मैं तो कल मुंशी प्रेमचंद जी की जयन्ती नहीं मना पाया। बस उन का आलेख 'महाजनी सभ्यता तलाशता रहा। लेकिन उधर प्रेस क्लब में 'विकल्प जन सांस्कृतिक मंच' ने मुंशी जी का जन्मदिन बेहतरीन रीति से मनाया। इस अवसर पर नगर के सभी जाने माने साहित्यकार और कलाकार एकत्र हुए, जी हाँ वहाँ कुछ ब्लागर भी थे, बस मैं ही नहीं जा सका था। इस अवसर पर "आज की कहानी और प्रेमचंद" विषय पर एक परिचर्चा आयोजित की गई।
प्रोफेसर राधेश्याम मेहर |
परिचर्चा में समवेत विचार यह निकल कर आया कि आज के कथाकारों को केवल परिवेश की अक्कासी ही नहीं अपितु मुंशी प्रेमचंद की कहानियों और उपन्यासों से प्रेरणा ले कर आम-आदमी के जीवन की सचाइयों आत्मसात करते हुए समाज को दिशा प्रदान करने वाली रचनाओं का सृजन करना चाहिए।
कवि ओम नागर |
परिचर्चा को प्रारंभ करते हुए नगर के चर्चित कथाकार विजय जोशी ने कहा कि आज की कहानियों में भौतिक विकास तो दिखाई पड़ता है लेकिन आत्मिक विकास नदारद है। कवि ओम नागर ने कहा कि आज के गाँवों की स्थितियाँ प्रेमचंद के गाँव से अधिक त्रासद हैं, लेकिन कहानियों में वे प्रभावी ढंग से अभिव्यक्त नहीं हो रही हैं।
डॉ. अनिता वर्मा |
कवि, व्यंगकार और ब्लागर अतुल चतुर्वेदी ने आधुनिक समय की अनेक कहानियों के उदाहरण देते हुए बताया कि इन कहानियों में बाजारवाद तो है लेकिन मनुष्य की मुक्ति की राह दिखाई नहीं देती है। प्रेमचंद की कहानियों के पात्र आज भी गाँव-गाँव में जीवन्त हैं। लेकिन आधुनिक कहानियों में अनुभव की वह आँच नहीं दिखाई देती जो प्रेमचंद की कहानियों में थी। डॉ. अनिता वर्मा ने कहा कि मनुष्य और समाज से प्रेमचंद को गहरा लगाव था, आज का कथाकार उस गहराई को छू भी नहीं पाता है।
श्याम पोकरा |
विशिष्ठ अतिथि श्याम पोकरा ने कहा कि प्रेमचंद ने जितनी भी कहानियाँ लिखीं वे सभी समाज के कड़वे यथार्थ से उपजी हैं। लेखकों को कृत्रिमता से बचते हुए सहजता के साथ समाज के उत्पीड़ितों की गाथा लिखनी चाहिए।
कथाकार विजय जोशी |
परिचर्चा की अध्यक्षता कर रहे कवि-रचनाकार अम्बिका दत्त ने कहा कि प्रेमचंद के पास समाज के प्रति गहरी निष्ठा, त्यागमय जीवन मूल्य, व प्रगतिशील दृष्टि थी। इसी कारण से वे आज तक बड़े लेखक बने हुए हैं। अध्यक्ष मंडल के ही सदस्य प्रोफेसर राधेश्याम मेहर ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रेमचंद ने कहानियों के केन्द्रीय पात्रों राजा-रानी को किसान और मजदूर से प्रतिस्थापित कर दिया। वे ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध स्वातंत्र्य चेतना जगाने वाले महत्वपूर्ण और प्रमुख साहित्यकार थे। समारोह के संचालक शिवराम ने इस में अपनी बात जोड़ी कि आज के साहित्यकारों को जन-स्वातंत्र्य की चेतना जगाने के लिए प्रेमचंद की ही तरह काम करने की आवश्यकता है। विकल्प जन सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष महेन्द्र नेह ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
कवि-रचनाकार अम्बिका दत्त |