पिछले आलेख में मैंने आप को बताया था.... किस तरह शरीर से बाहर निकलने वाले अपशिष्ट बेदखल होने के बजाए वहीं कब्जा जमा कर बैठ गए। उस से जो हमारा हाल हुआ उस ने हमें पहुँचा दिया अस्पताल। जाँच पर रक्तचाप सामान्य निकला यानी 80/130 और ईसीजी में कुछ भी असामान्य नहीं। डाक्टर ने शर्करा जाँच कराने को लिखा। .....
मैं उस दिन के आलेख में आप को बताना भूल गया कि इस के अलावा लिपिड प्रोफाइल जाँच कराने के लिए भी लिखा था, और इस के लिए तो हमें अल्ल सुबह बिना कुछ खाए-पिए (पानी के अलावा) अस्पताल जाना था, रक्त-नमूना देने के लिए। अस्पताल की प्रयोगशाला खुलना था सुबह आठ बजे। हम रात को पंचसकार खा कर सोए थे शायद यही कब्जाधारियों को बेदखल करने में कामयाब हो? अब पांच से आठ तीन घंटे कैसे बिताए जाएँ। सुबह की कॉफी पिए बगैर और सब काम तो रुके पड़े थे। तम्बाकू के लिए रात डाक्टर मना कर ही चुके थे। खाली मटके का पानी पी पी कर हम कब्जाए हुओं को धक्का मारते रहे, बीच बीच में अन्तरजाल टटोलते रहे, जानने को कि ये लिपिड प्रोफाइल क्या बला है?
अन्तरजाल बता रहा था – “लिपिड प्रोफ़ाइल अनेक जाँचों का समूह है, जो कि अक्सर कोरोनरी हृदय रोग की जोखिम निर्धारित करने लिए एक साथ किए जाने के लिए कराए जाते हैं। इस में समूचे-कोलेस्ट्रोल, एचडीएल-कोलेस्ट्रोल (जो अच्छा कोलेस्ट्रोल कहा जाता है), एलडीएल-कोलेस्ट्रोल (जो बुरा-कोलेस्ट्रोल कहा जाता है), तथा ट्राइग्लिसराइड की जाँचें शामिल की जाती हैं।
ये वे जाँचें हैं जो इस बात का अच्छा संकेत देती हैं कि किसी व्यक्ति की रक्तवाहिनियों के कठोर हो जाने या उन में अवरोध उत्पन्न हो जाने के कारण उसे हृदयाघात की कितनी संभावना हो सकती है?
इस का उपयोग यह है कि हृदय रोग के अन्य जाने हुए कारकों के साथ लिपिड प्रोफाइल की जाँचों के परिणामों को मिला कर रोगी के हृदय रोग की चिकित्सा की योजना बनाई जाती है।“
इधर एक मामूली कब्जाधारी भी सरकने को तैयार नहीं था। तम्बाकू चबाने की याद आई तो डाक्टर का स्मरण हो आता। यह सोच कर कि उस ने कौन सा आज ही छोड़ने को कहा था। आखिर हम ने चुटकी भर तम्बाकू चूने के साथ रगड़ा, सुपारी काट कर उस में मिलाई और मुहँ में फाँक गए। तम्बाकू का रखना था कि कब्जाधारियों में हलचल मचने लगी। हम ने टेबुल पर रखे डाक्टर के पर्चे, ईसीजी रिपोर्ट और उस के साथ शुल्क जमा करने वाली रसीदों को घूर कर देखा। पर तब तक हल्ला गुल्ला बढ़ गया था। जाना ही पड़ा। कोई बीस प्रतिशत कब्जाधारी बेदखल हो गए। पौने आठ बज गए थे हम स्कूटर उठा सीधे पहुँचे अस्पताल और फिर प्रयोगशाला। एक अस्पताल का भर्ती मरीज पहले से रक्त देने बैठा था। सो हम हो गए दो नंबरी।
वापस लौटे, आते ही शोभा को कॉफी बनाने को बोला। कॉफी पी कर गए तो आधे से अधिक कब्जाधारी भाग छूटे थे। दुबारा कॉफी बनवाई और पी, तो 90 प्रतिशत का सफाया हो गया। हम सुबह का भोजन करने लायक हो गए थे। अदालत भी जाना था। शाम को अदालत से लौटे तो बहुत कुछ सामान्य हो चुके थे। घर पर बताया कि छह बजे खाना खाना है आठ बजे फिर शर्करा के लिए नमूना देने जाना है। पर खाना शुरू हुआ पौने सात बजे, नमूने का समय निर्धारित हुआ पौने नौ बजे। देकर आए।
आज सुबह जाँच परिणाम लेने जाना था। शोभा (गृहस्वामिनी) ने सुबह से ही हल्ला कर दिया। जाना नहीं क्या? बिना नहाए धोए जाओगे क्या? आज कॉफी समय पर मिल गई थी। कब्जाधारी जाते ही बेदखल हो गए। हम ने नहा-धो, टीका लगाया और पहुँच गए प्रयोगशाला। रिपोर्ट बन गई थी। रजिस्टर में दर्ज थी। लेकिन छपी नहीं थी। छपने में समय लगा। तब तक डाक्टर बहिरंग में विराजमान हो चुके थे। हम ने जाच परिणाम सीधे उन के पास जा जंचाया।
डाक्टर ने परिणाम देखा। फिर मुझे देखा। बोले –क्या खाते हो कोलेस्टरोल नियंत्रण के लिए। मैने कहा –कुछ भी तो नहीं। हाँ, देसी घी नहीं खाता पचास के बाद से। सोच रक्खा है कि यह दीपक, हवन और 50 से कम वालों के लिए है। वे बोले –कोई दवा नहीं। मैने कहा –बिलकुल नहीं। हाँ दौड़ने का शौक है, तो दौड़ लेता हूँ गाहे-बगाहे, नियमित वह भी नहीं।
मै भौंचक्का था। आखिर बात क्या है? मैं ने पूछ ही लिया –क्या कुछ गड़बड़ है डाक्टर साहब। वे बोले –कुछ भी नहीं। तिरेपन के हो रहे हो। मैं ने इस उमर में इतनी अच्छी प्रोफाइल नहीं देखी। आप को किसी दवा की जरूरत नहीं।
हम उछल पड़े जैसे परीक्षा में योग्यता सूची में नाम आ गया हो., वह भी सब से ऊपर।
शर्करा जाँच और लिपिड प्रोफाइल जाँच की रिपोर्ट यहाँ पेश है। आप भी जाँचें। खास तौर पर डाक्टर पाठक जरूर जांचें। बताएँ योग्यता सूची में नाम कहाँ है?
पिछले आलेख पर छत्तीसगढिया संजीव तिवारी, वकील रश्मि सुराणा, बवाल भाई, सतीश पंचम, प्रभाकर पाण्डेय, अनूप शुक्ला, उडनतश्तरी वाले समीर लाल, अरविंद मिश्रा, लोकेश, राज भाटिय़ा, विजयशंकर चतुर्वेदी, डा० अमर कुमार, अभिषेक ओझा, सिद्धार्थ, और अनिता कुमार, जी की टिप्पणियाँ मिलीं। कुछ ने खुद स्वीकार किया कि वे भी तम्बाकू सेवन करते हैं, और कहीं कहीं गृहमंत्रालय की आपत्ति पर बहस जारी है। किसी ने आलेख की तारीफ में कसीदे पढ़े. किसी ने सलाह दी कि तम्बाकू से मुक्ति प्राप्त कर ही ली जाए। किसी किसी ने नए चित्र की भी तारीफ की। चित्र पर पहली ही टिप्पणी आलोक जी की थी। उस के तुरंत बाद हम ने शोभा (गृहस्वामिनी) से कह कर नजर उतरवा ली। सब लोग खूब तारीफ कर सकते हैं चित्र की। पर चित्र में खूबसूरती जिस कारण से है वह चित्र में नहीं है। यह बच्चे के एक जन्मदिन के चित्र में से काटा गया टुकड़ा है। बच्चा मेरी साली की बेटी का बेटा है और सारा सौंदर्य उसी के कारण इस चित्र में है। सब से सुंदर टिप्पणी डाक्टर अमर कुमार जी की थी उसे पुनः उदृत कर रहा हूँ ...........
“कभी देखता अनवरत का बदला कलेवर।
कभी भटकाता आपके फोटो का फ़्लेवर ।।
डाक्टर को बोले नहीं कि क्यों दिखाते तेवर।
मरीज़ों को धूल फँकाते और खुद खाते घेवर।।
वैसे..पोस्ट अच्छी बन पड़ी है, बड़े दिनों बाद मुकालात हो रही आपसे।
इतनी अच्छी कास्मेटिक सर्ज़री कहाँ से करवायी, हमें भी जरा बताइये तो”।।
हाँ एक संकल्प जरूर किया है कि एकदमै तो नहीं, पर शनैः शनैः तम्बाकू का साथ जरूर छोड़ दूंगा।