पिछले दो दिन से सुबह और रात के समय चौड़ी पट्टी (ब्रॉडबैंड) लिप लिप कर रही है, आज सुबह भी यही हाल रहा। नतीजा है कि चिट्ठे पढ़ने में कमी हो गई। दो दिन काम भी बहुत रहा, समय नहीं रहा। कल सर्दी की लपट और रात्रि जागरण से आज का दिन सिर जकड़ा रहा।शनिवार के कारण जल्दी घर आ कर कुछ देर सोया तो हलका और स्वस्थ हो गया। ऐसा करना जरूरी भी था। शिवराम जी के तीसरे पुत्र पवन की शादी थी। कल सगाई में नहीं जा सका था। पता था आज उलाहना मिलेगा, जैसे ही शिवराम जी मिले वह भी मिला। कहने लगे आप मेरे परिवार में अपनी स्थिति नहीं जानते। सब लोग आप को पूछते रहे यहां तक कि शशि (उन का मँझला पुत्र) के ससुर आप को पूछ रहे थे। मैं ने क्षमा मांगी। उन सभी से जो कल मुझे पूछ रहे थे। अभी 11 बजे वहाँ से लौटा हूँ।
शिवराम जी का परिवार कला की क्यारी है। वे खुद कवि, नाटककार, नाट्यनिर्देशक, समालोचक संपादक हैं, छोटा भाई पुरुषोत्तम यकीन जो दुनिया में सबसे छोटी बहर की ग़जल लिख चुका है और शायद राजस्थान में सब से अधिक ग़जलें लिखने वाला शायर है। ज्येष्ठ पुत्र रवि पेशे से इंजिनियर लेकिन श्रेष्ठ चित्रकार है और सैंकड़ों कविता पोस्टरों का रचना कर चुका है साथ ही नायाब कवि भी। शशि और पवन नाटकों के कलाकार रहे हैं। मँझला बेटा शशि मुंबई में है तो मेरी बेटी पूर्वा का कम से कम एक दिन उस के परिवार में बीतता है।
इस कला की क्यारी की एक पौध का विवाह हो तो उस में कला की छाप होना अवश्यंभावी था। उस की बानगी इस विवाह के आमंत्रण से मिल सकती है। जिसे मैं यहाँ आप के सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ।
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नोट : आमंत्रण का पूरा आनंद लेने के लिए दोनों चित्रों को क्लिक करें
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यह कविता किस ने लिखी यह मैं शिवराम जी से पूछना भूल गया। पर मुझे लगता है यह रवि की है।
पहली टिप्पणी आने के बाद नहीं रहा गया, शिवराम जी से पूछा तो अनुमान सही था। कविता रवि की ही है।
अन्दर बाएँ छपा चित्र पवन के एक छाया चित्र का रवि द्वारा निर्मित रेखांकन है। पूरा आमंत्रण रवि ने खुद अपनी हस्तलिपि में लिखा है।
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विवाह बंधन
* रविकुमार
यह बंधन नहीं
शायद बंधनों से मुक्त होना है
प्रेम और जज़्बात की
नवीन सृष्टि में खोना है
यह मुक्ति रचती है
अपने ख़ुद के नये बंधन
अपने अस्तित्व के
अहसास की
रोमांचक शुरुआत है यह
दो धड़कनों की
एक आवाज़ है यह
एक नए जहाँ का आग़ाज है
विवाह के आमंत्रण पत्र पर छपी कविता .......
विवाह बंधन
* रविकुमार
यह बंधन नहीं
शायद बंधनों से मुक्त होना है
प्रेम और जज़्बात की
नवीन सृष्टि में खोना है
यह मुक्ति रचती है
अपने ख़ुद के नये बंधन
अपने अस्तित्व के
अहसास की
रोमांचक शुरुआत है यह
दो धड़कनों की
एक आवाज़ है यह
एक नए जहाँ का आग़ाज है
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