जिस अपराध के लिए डॉ.बिनायक सेन को रायपुर (छत्तीसगढ़) के अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने दंडित किया है, उसी अपराध के लिए राष्ट्रपिता महात्मागांधी और लोकमान्य तिलक दंडित किए जा चुके हैं और उन्हें उस के लिए ब्रिटिश भारत की जेलों में दिन बिताने पड़े। आज उस अपराध को हिन्दी मीडिया का एक हिस्सा 'देशद्रोह' शब्द का प्रयोग कर रहा है जो पूरी तरह अनुचित है। अंग्रेजी मीडिया इस के लिए Sedition शब्द का प्रयोग कर रहा है। भारतीय दंड संहिता (IPC) में भी इस यही शब्द प्रयोग किया गया है। डॉ. हरदेव बाहरी के शब्दकोष में Sedition का अर्थ 'राजद्रोह' किया गया है, न कि देशद्रोह। यदि Sedition का अर्थ देशद्रोह हो तो हमें लोकमान्य तिलक और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के लिए कहना होगा कि वे देशद्रोही थे जिस के लिए उन्हों ने सजाएँ भुगतीं।
यह केवल एक शब्द के अनुवाद और प्रयोग का मामला नहीं है। दंड संहिता की जिस धारा के अंतर्गत डॉ. बिनायक सेन को दंडित किया गया है उसे इसी संहिता में परिभाषित किया गया है और इस का अंग्रेजी पाठ तथा हिन्दी पाठ निम्न प्रकार हैं -
अंग्रेजी पाठ-
Section 124A. Sedition
Whoever, by words, either spoken or written, or by signs, or by visible representation, or otherwise, brings or attempts to bring into hatred or contempt, or excites or attempts to excite disaffection towards. 2[* * *] the Government established by law in 3[India], 4[* * *] shall be punished with 5[imprisonment for life], to which fine may be added, or with imprisonment which may extend to three years, to which fine may be added, or with fine.Explanation1 -The expression "disaffection" includes disloyalty and all feelings of enmity.Explanation2 -Comments expressing disapprobation of the measures of the attempting to excite hatred, contempt or disaffection, do not constitute an offence under this section.Explanation3 -Comments expressing disapprobation of the administrative or other action of the Government without exciting or attempting to excite hatred, contempt or disaffection, do not constitute an offence under this section.
हिन्दी पाठ -
धारा 124 क. राजद्रोह
जो कोई बोले गए या लिखे गए शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्यप्रस्तुति द्वारा या अन्यथा भारत में विधि द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा या अवमान पैदा करेगा, या पैदा करने का प्रयत्न करेगा, या असंतोष उत्तेजित करेगा या उत्तेजित करने का प्रयत्न करेगा वह आजीवन कारावास से, जिस में जुर्माना भी जोड़ा जा सकेगा या तीन वर्ष तक के कारावास से जिस में जुर्माना जोड़ा जा सकेगा, या जुर्माने से दंडित किया जा सकेगा।
स्पष्टीकरण-1 'असंतोष' पद के अन्तर्गत अभक्ति और शत्रुता की सभी भावनाएँ आती हैं।
स्पष्टीकरण-2 घृणा, अवमान या असंतोष उत्तेजित किए बिना या प्रदीप्त करने का प्रयत्न किए बिना सरकार के कामों के प्रति विधिपूर्ण साधनों द्वारा उन को परिवर्तित कराने की दृष्टि से आक्षेप प्रकट करने वाली टीका-टिप्पणियाँ इस धारा के अधीन अपराध नहीं हैं।
स्पष्ठीकरण-3 घृणा, अवमान या असंतोष उत्तेजित किए बिना या प्रदीप्त करने का प्रयत्न किए बिना सरकार की प्रशासनिक या अन्य प्रक्रिया के प्रति आक्षेप प्रकट करने वाली टीका-टिप्पणियाँ इस धारा के अधीन अपराध नहीं हैं।
उक्त दोनों पाठों का अध्ययन करने के बाद किसी भी भाँति इस अपराध को देशद्रोह का अपराध नहीं कहा जा सकता है। इसे राजद्रोह ही कहा जा सकता है। मीडिया ने जिस तरह इस अपराध के लिए देशद्रोह शब्द का प्रयोग किया है उस का आरंभ जानबूझ कर किया गया है, बाद में अनुकरण के माध्यम से इस शब्द को प्रचार मिला है और लोग इस का अंधानुकरण कर रहे हैं। मेरी स्वयं की मान्यता है कि जो ताकतें चाहती थीं कि बिनायक सेन को येन-केन-प्रकरेण सजा मिले जिस से कम से कम छत्तीसगढ़ का कोई सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी शासन के विरुद्ध बोलने-लिखने और आवाज उठाने की हिम्मत न करे वे ही शक्तियाँ इस शब्द के प्रचार के पीछे रही हैं और इरादतन Sedition को बार-बार देशद्रोह लिखा जा रहा है। यह कृत्य भी किसी अपराध से कम नहीं है।
मेरा सभी मीडियाकर्मियों, ब्लाग लेखकों और बुद्धिजीवियों से आग्रह है कि वे इस षड़यंत्र को समझें और Sedition को देशद्रोह लिखना बंद करें, इसे राजद्रोह ही लिखा जाए।