@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: अमूल्य घोड़ा

गुरुवार, 11 दिसंबर 2025

अमूल्य घोड़ा

लघुकथा

अरब में एक साईस था, जो एक अमीर के घोड़ों की देखरेख करता था. अमीर के पास एक से एक बेहतरीन घोड़े थे. साईस की भी इच्छा थी कि उसका अपना घोड़ा हो, पर उसके पास इतना धन नहीं था. आखिर अपनी बचत से उसने मेले से एक घोड़े का बच्चा खरीदा और उसे बेटे की तरह पाला. वह उससे बातें करता, उसे दुलारता और अपनी सारी कमाई उसी पर खर्च करता.

जब घोड़ा जवान हुआ तो साईस को लगा कि ऐसा घोड़ा पूरे अरब में नहीं होगा. उसने सोचा कि इसकी असली पहचान तो मेले में ही होगी जहाँ सारे अरब से घोड़े आते हैं. अमीर से अवकाश लेकर वह अपने घोड़े को मेले में ले गया.

मेले में सबसे महंगे घोड़े की कीमत देखकर उसने अपने घोड़े की कीमत (टैग-प्राइस) उससे भी सवाई रख दी. लोग घोड़ा देखने आते, पर कीमत देखकर लौट जाते. तभी एक अमीर ने बोली लगाई. फिर दूसरा अमीर आया और उसने उससे अधिक बोली लगाई. इस तरह कीमत बढ़ती गई और टैग से भी दुगनी हो गई. जैसे जैसे उसकी कीमत बढ़ती जाती साईस का दिल डूबने लगता कि, मेरा बेटा मुझ से छिन जाएगा.

साईस मन ही मन सोचने लगा, ... "मैंने तो कीमत अपनी इच्छा से तय की थी, पर असली कीमत तो वही है जो लोग देने को तैयार हैं. मालिक की चाह अलग है, पर असली मूल्य बाजार ही तय करता है."

आखिरकार पहला अमीर मैदान छोड़ भागा और दूसरा अमीर खुश हुआ कि उसने पहले वाले अमीर को मात दे दी. पर जब मेले के अधिकारी ने रकम जमा करने को कहा तो वह अमीर बोला, "मैंने घोड़ा खरीदना नहीं है, मुझे तो बस दूसरे को पछाड़ने का सुख चाहिए था."

साईस बहुत खुश हुआ कि उसका बेटा-सा घोड़ा अब उसके पास ही रहेगा. वह अपने बेटे को साथ ले कर अमीर के पास लौटा. अमीर ने घोड़ा देखकर पूछा, "यह घोड़ा तुम लाए हो?"

साईस ने विनम्रता से कहा, "हुजूर, मेरी इतनी हैसियत कहाँ कि ऐसा घोड़ा खरीद सकूं. यह घोड़ा मैंने ही पाल-पोसकर अपने बेटे की तरह बड़ा किया है. मेले में इसकी कीमत मैंने सबसे महंगे घोड़े से सवाई रखी थी. पर दो रईस आए और बोली लगाने लगे. आखिर मेरी बताई कीमत से दुगने तक पहुँच गए. अचानक एक रईस ने बोली छोड़ दी. दूसरे ने इसे लेने से इन्कार कर दिया कि मैं तो बस दूसरे अमीर को पछाड़ना चाहता था. मेरा मकसद पूरा हुआ. यह कह कर वह मेला छोड़ कर चला गया.


कुछ रुक कर साईस ने फिर कहा, "असली कीमत वही बनी जो बाजार ने तय की. मैं खुश हूँ कि मेरा बेटा मेरे पास है. मैं इसे वापस ले आया हूँ. इसे आप मेरी ओर से नजराना समझ रख लीजिए. मैं इसी में खुश हूँ कि यह हमेशा मेरे पास रहेगा."

रईस ने खुश हो कर कहा, “भले ही मेले में इस घोड़े की कीमत सबसे अधिक लगी हो, लेकिन यह घोड़ा बेशकीमती ही नहीं, बल्कि अमूल्य है. इसकी कोई कीमत नहीं, जिसे कोई बाप की तरह प्यार करे उसकी कोई कीमत नहीं होती. यह घोड़ा तुम्हारा है और हमेशा तुम्हारा ही रहेगा. आज से यह इस घुड़साल में सबके साथ रहेगा."

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