कुछ देर और मुझे शाखा प्रबंधक के कक्ष में रुकना पड़ा तो मैं ने उन्हें बताया कि उन के कंप्यूटरों में हिन्दी भाषा का उपयोग करने की सुविधा है लेकिन उसे चालू नहीं किया हुआ है। यहाँ तक कि वे इस सुविधा को चालू कर के पूरे कंप्यूटर को हिन्दी रूप प्रदान कर सकते हैं। मैं ने उन के कंप्यूटर के डेस्कटॉप पर लगे आईकॉन के नाम देवनागरी में बदले। उन्हें बताया कि कैसे फाइल और फोल्डर्स के नाम नागरी में अंकित किए जा सकते हैं। उन्हों ने पूछा कि हिन्दी तो उन के कंप्यूटर पर पहले भी टाइप की जाती रही है, लेकिन जब वे उस पर हिन्दी फोन्ट में फाइल का नाम लिखते थे तो रोमन में अजीबोगरीब शब्द आ जाते थे, लेकिन आप ने यह सब कैसे लिखा?
मैंने उन्हें बताने लगा कि उन का कंप्यूटर उन सब भाषाओं को समझ सकता है जो कि कंट्रोल पैनल के 'क्षेत्र और भाषा' विकल्प में दर्ज हैं, लेकिन वे उस विकल्प का उपयोग नहीं करते। वे केवल अंग्रेजी विकल्प का ही प्रयोग करते हैं जब कि उन का कंप्यूटर एक साथ अनेक भाषाओं और लिपियों में काम कर सकने की क्षमता रखता है। जब वे केवल अंग्रेजी के विकल्प का उपयोग भी आरंभ कर दिया जाता है तो जो कंप्यूटर केवल अंग्रेजी समझता था वह हिंदी भी समझने लगता है। लेकिन कंप्यूटर केवल यूनिकोड के हिन्दी फोन्ट को ही हिंदी के फोन्ट के रूप में मान्यता देता है, अन्य फोंट को नहीं। उस का कारण यह है कि अन्य फोंट वास्तव में अंग्रेजी कोड पर आधारित हैं। अंतर सिर्फ इतना है कि उन में किसी खास रोमन अक्षर के स्थान पर देवनागरी के किसी अक्षर, अर्धाक्षर या मात्रा का चित्र विस्थापित कर दिया गया है जिस से देवनागरी के अक्षर को भी कंप्यूटर रोमन का ही कोई अक्षर समझता रहता है।
लगभग सभी व्यवसायिक संस्थाओं और उपक्रमों में हिन्दी में काम करने की सुविधाएँ उपलब्ध हैं लोग परंपरा के कारण अंग्रेजी में का्म करते रहते हैं। यदि उपभोक्ता खुद हिन्दी में काम करने की मांग करने लगें तो यह काम हिन्दी में हो सकते हैं। मैं तो हर स्थान पर हिन्दी में काम करने की मांग करता हूँ। आप चाहें तो आप भी कर सकते हैं। मुझे लगता है कि उपभोक्ता हिन्दी में काम करने की मांग करने लगें तो हिन्दी को उस का उचित स्थान प्राप्त करने में वे महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। क्या आप भी उपभोक्ता के रूप में हिन्दी में काम करने की मांग करते हैं? यदि नहीं तो क्या अब करेंगे?
