कल एक यात्रा पर जाना हुआ। 300 किलोमीटर जाना और फिर लौटना। बला की गर्मी थी। रास्ते में हर जगह पानी के लिए मारामारी दिखाई दी। हर घर इतना पानी अपने लिए सहेज लेना चाहता था कि घर में रहने वालों का जीवन सुरक्षित रहे। पानी सहेजने की इस जंग में हर स्थान पर केवल और केवल महिलाएँ ही जूझती दिखाई दीं। इस जंग में चार साल की लड़कियों से ले कर 60 वर्ष तक की वृद्धाएँ दिखाई पड़ीं। कहीं भी पुरुष पानी भरता, ढोता दिखाई नहीं दिया। क्यों सब के लिए पानी जुटाना महिलाओं के ही जिम्मे है?
ऐसी पनघटें अब बिरले ही दिखाई पड़ती हैं। पानी कुएँ और रस्सी की पहुँच से नीचे चला गया है |
अब यही पनघट है |
यात्रा में कार की चालक सीट मेरे जिम्मे थी, चित्र एक भी नहीं ले सका। यहाँ प्रस्तुत सभी चित्र गूगल खोज से जुटाए गए हैं।