राजस्थान में कानून और व्यवस्था की गिरती स्थिति का इस से बेजोड़ नमूना और क्या हो सकता है कि एक पदासीन जज के वकील पिता और वकील भाई की दिन दहाड़े गोली मार कर हत्या कर दी गई। गोली बारी में जज की माँ और उस का एक अन्य वकील भाई और उस की पत्नी गंभीर रूप से घायल हैं।
यह घटना भरतपुर जिले के कामाँ कस्बे में गुरुवार सुबह आठ बजे घटित हुई। कुछ नकाबपोशों ने घर में घुस कर गोलीबारी की जिस में बहरोड़ में नियुक्त फास्ट ट्रेक जज रामेश्वर प्रसाद रोहिला के वकील पिता खेमचंद्र और वकील भाई गिर्राज की हत्या कर दी गई। जज के एक भाई राजेन्द्र और उस की पत्नी व जज की माँ इस घटना में गंभीर रूप से घायल हो गई हैं। इस घटना का समाचार मिलते ही कस्बे में कोहराम मच गया और भरतपुर जिले में वकीलों में रोष व्याप्त हो गया जिस से समूचे जिले में अदालतों का कामकाज ठप्प हो गया। हा जा रहा है कि ये हत्याएँ जज के पिता खेमचंद और उस के पड़ौसी के बीच चल रहे भूमि विवाद के कारण हुई प्रतीत होती हैं।
यदि यह सच भी है तो भी हम सहज ही समझ सकते हैं कि राज्य में लोगों का न्याय पर से विश्वास उठ गया है और वे अपने विवादों को हल करने के लिए हिंसा और हत्या पर उतर आए हैं। इस से बुरी स्थिति कुछ भी नहीं हो सकती। जब राज्य सरकार इस बात से उदासीन हो कि राज्य की जनता को न्याय मिल रहा है या नहीं, इस तरह की घटनाओं का घट जाना अजूबा नहीं कहा जा सकता। राज्य सरकार आवश्यकता के अनुसार नयी अदालतें स्थापित करने में बहुत पीछे है। राजस्थान में अपनी आवश्यकता की चौथाई अदालतें भी नहीं हैं। जिन न्यायिक और अर्ध न्यायिक कार्यों के लिए अधिकरण स्थापित हैं और जिन का नियंत्रण स्वयं राज्य सरकार के पास है वहाँ तो हालात उस से भी बुरे हैं। श्रम विभाग के अधीन जितने पद न्यायिक कार्यों के लिए स्थापित किए गए हैं उन के आधे भी अधिकारी नहीं हैं। दूसरी और कृषि भूमि से संबंधित मामले निपटाने के लिए जो राजस्व न्यायालय स्थापित हैं उन में प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं। उन पर प्रशासनिक कार्यों का इतना बोझा है कि वे न्यायिक कार्ये लगभग न के बराबर कर पाते हैं। राजस्व अदालतों की तो यह प्रतिष्ठा जनता में है कि वहाँ पैसा खर्च कर के कैसा भी निर्णय हासिल किया जा सकता है।
यदि राज्य सरकार ने शीघ्र ही प्रदेश की न्यायव्यवस्था में सुधार लाने के लिए कड़े और पर्याप्त कदम न उठाए तो प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था और बिगड़ेगी और उसे संभालना दुष्कर हो जाएगा। इस घटना से प्रदेश भर के वकीलों और न्यायिक अधिकारियों में जबर्दस्त रोष है और शुक्रवार को संभवतः पूरे प्रदेश में वकील काम बंद रख कर अपने इस रोष का इजहार करेंगे।
8 टिप्पणियां:
अब कया कहे, जहां जज ओर वकील सुरक्षित नही वहां आम आदमी का कया हाल होगा यह कानून व्यवस्था पुरे भारत की है...
मै चार दिन से बिमार था, इस लिये ब्लांग पर नही आ पाया, आज नींद नही आ रही थी, बुखार है लेकिन कम इस लिये आज ब्लांगिग करने लगा, सब से पहली टिपण्णी आप के नाम से
घोर अव्यवस्था, असुरक्षा-चिन्तनीय!
हत्या के लिए पडोसी ,पूर्व मित्र या नाते रिश्तेदार होना काफी है ! जज हो या प्रधानमन्त्री ये बाद की प्राथमिकतायें हैं !
क़ानून व्यवस्था के प्रश्न पर सहमत !
चिंतनीय हालात का एक और उदहारण !
अगर ये सुरक्षित नहीं तो हम कहाँ जाएँ ??
दुखद।
जब इतने बडे ओहदेदार और रसूखदारों की ये हालत है तो आम नागरिक कहां जायेगा? बेहद दुखद और चिंतनीय.
रामराम.
bhaayi jaan dekho naa yeh kliyug he yaa raam raaj. akhtar khan akela kota rajsthan
एक टिप्पणी भेजें