@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: 'सलूक' महेन्द्र 'नेह' की कविता, उन के आने वाले संग्रह 'थिरक उठेगी धरती' से

मंगलवार, 6 अक्टूबर 2009

'सलूक' महेन्द्र 'नेह' की कविता, उन के आने वाले संग्रह 'थिरक उठेगी धरती' से

महेन्द्र 'नेह' का कविता संग्रह 'थिरक उठेगी धरती' लगभग तैयार है। लोकार्पण की तिथि तय होनी है। आप को पढ़ाते हैं उसी संग्रह से एक कविता ............

       सलूक
  • महेन्द्र 'नेह'

'उसने'
आदमी को निचोड़ा
और तौलिए का
विज्ञापन बना दिया
'उसने'
आदमी को सुखाया
और आदमी देर तक थरथराता रहा
'उसने'
आदमी के बदन पर इत्र छिड़का और
तहा कर जेब में रख लिया
'उसने'
जेब से निकाला आदमी
और उस से अपनी नाक पोंछ ली


आदमी क्या करता
आदमी लाचार था
और उसे अपने को
जिंदा रखना था
जाने क्या सिफ्त है
आदमी में
कि अपने सपनों को
कुचले जाने की आखिरी हदों तक
और अपमान के सब से कड़वे घूँटों
के बीच भी वह जिंदा रह जाती है


आदमी जिंदा रह गया है
और बुरे दिनों के बीच
नए सपने बुनने में लगा है


आदमी को भरोसा है
कि मौसम जरूर बदलेगा
देखते हैं आदमी बदले हुए मौसम में
'उसके' साथ कैसा सलूक करता है?

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10 टिप्‍पणियां:

Himanshu Pandey ने कहा…

महेन्द्र नेह जी की कविता की मारक संवेदना प्रभावित करती है, एक छाप छोडती है मन में । अक्सर पढ़ते रहे हैं हम उनकी कवितायें यहाँ । पुनः इस कविता का आभार ।

’थिरक उठेगी धरती’ शीर्षक ही कितना सुन्दर है ! लोकार्पण की प्रतीक्षा । विस्तार से बताइएगा ।

बेनामी ने कहा…

मजबूत और प्रभावी । संग्रह की सफलता के लिए शुभ कामनाएं ।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत सशक्त. शुभकामनाएं.

रामराम.

Udan Tashtari ने कहा…

जबरदस्त...वाकई थिरक उठी मनस की धरती!! आपका आभार दिनेश भाई.

Ashok Kumar pandey ने कहा…

संग्रह का नाम मोह गया. किसने छापा है और कीमत क्या है - बताइयेगा
कविता उत्सुकता जगह रही है .... कुछ और कवितायें पढ़वाइये.

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

@अशोक कुमार पाण्डेय
पुस्तक बस आने वाली है शायद अगले माह लोकार्पण हो।

Arvind Mishra ने कहा…

सशक्त रचना -आदमी इसलिए वहां है जहाँ वह आज है !

अजित वडनेरकर ने कहा…

जबर्दस्त कविता पढ़वाने के लिए शुक्रिया...महेन्द्रजी को अग्रिम बधाई...
प्रकाशक कौन है?

शरद कोकास ने कहा…

महेन्द्र नेह के इस कविता संग्रह की प्रतीक्षा रहेगी । बधाई ।

राज भाटिय़ा ने कहा…

एक सशक्त रचना, बहुत अच्छी, आप का धन्यवाद