नववर्ष 2010 का प्रथम सूर्योदय
फऱीदाबाद सैक्टर 7-डी
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नववर्ष मंगलमय हो
सब के लिए नई खुशियाँ लाए
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हड़ताल का अर्थ कम से कम वकीलों के लिए छुट्टियाँ नहीं हो सकता। हड़ताल में हम भले ही अदालतों में नहीं जा रहे हों लेकिन अपने मुवक्किलों का इतना तो ध्यान रखना ही होता है कि उन के किसी मुकदमे में उन के किसी हित की हानि न हो। रोज अदालत जाना जरूरी है। रोज के मुकदमों में अदालत ने क्या कार्यवाही की है , या केवल तारीख बदल दी है इस का पता लगाना जरूरी है। वही सुबह समय से अदालत तक जाना और वही शाम पाँच बजे वापस लौटने का क्रम जारी है। शाम को दफ्तर में वही समय से बैठना फाइलों को तारीखें बदल कर उन की सही जगह रखना। वही मुवक्किलों का आना, उन की समस्याएँ सुलझाना आदि सब कुछ जारी है। इस बीच किसी को तत्काल किसी उपाय की जरूरत हुई तो उसे उस की व्यवस्था भी कर के दी और उस के हितों की सुरक्षा भी की। जब हम पूर्णकालिक रूप से इस प्रोफेशन में व्यस्त हों तो यह कैसे कहा जा सकता था कि हम छुट्टियों पर हैं।
वास्तव में वकीलों की हड़ताल को हड़ताल की संज्ञा देना ही गलत है। इसे अधिक से अधिक अदालतों का बहिष्कार कहा जा सकता है। बस फर्क पड़ा है तो यह कि वकीलों की कमाई इस बीच लगभग शून्य या उस से कम ही रही है। वकील अपने वकालत के खर्च भी पूरी तरह नहीं निकल पा रहे हैं। वकीलों का मानना है कि वे प्रोफेशन के हिसाब से कम से कम साल भर पिछड़ गए हैं। ऐसे में उन से कोई कहे कि वे छुट्टियाँ मना रहे हैं, तो उन पर क्या गुजरती होगी ये तो वही बता सकता है जिेसे यह सब सुनता पड़ा हो। हो सकता है कुछ गुस्सा भी आता हो। लेकिन यह प्रोफेशन ही ऐसा है, उसे भी वकील मुस्कुराकर या उसे विनोद में बदल कर विषय को ही गुम कर देता है । अब आंदोलन अंतिम दौर में है। सरकार से बात जारी है। हो सकता है नए साल के पहले सप्ताह में कोई हल निकल आए। 