सभी को रक्षाबंधन के त्यौहार पर हार्दिक शुभकामनाएँ!!!
मंगलवार, 24 अगस्त 2010
सिंथेटिक मावा/खोया और उस की मिठाइयों का बहिष्कार करें ....
सभी को रक्षाबंधन के त्यौहार पर हार्दिक शुभकामनाएँ!!!
शुक्रवार, 6 अगस्त 2010
मुश्किल का दूध
गूजर की झौंपड़ी के बाहर भैंसें |
गूजर की झौंपड़ी |
गूजर की झौंपड़ी के पास उपला उद्योग |
गूजर से दूध ले कर लौटती श्रीमती शोभाराय |
मंगलवार, 14 अक्तूबर 2008
सुंदर कितना लगता है, पूनम का ये चांद,? शहर से बाहर आओ तो .......
- तो मैं दूध ले कर आऊँ?
- हाँ ले आओ, वरना शाम को भोग कैसे लगेगा? रात को छत पर क्या रखेंगे?
मुझे स्मरण हो आया अपना बालपन और किशोरपन। शाम होने के पहले ही मंदिर की छत पर पूर्व मुखी सिंहासन को सफेद कपड़ों से सजाया जाता। संध्या आरती के बाद फिर से ठाकुर जी का श्रंगार होता। श्वेत वस्त्रों से। करीब साढ़े सात बजे, जब चंद्रमा बांस भर आसमान चढ़ चुका होता। ठाकुर जी को खुले आसमान तले सिंहासन पर सजाया जाता। कोई रोशनी नहीं, चांदनी और चांदनी, केवल चांदनी। माँ मन्दिर की रसोई में खीर पकाती। साथ में सब्जी और देसी घी की पूरियाँ। फिर ठाकुर जी को भोग लगता। आरती होती। जीने से चढ़ कर दर्शनार्थी छत पर आ कर भीड़ लगाते। कई लोग अपने साथ खीर के कटोरे लाते उन्हें भी ठाकुर जी के भोग में शामिल किया जाता।
किशोर हो जाने के बाद से मेरी ड्यूटी लगती खीर का प्रसाद बांटने में। एक विशेष प्रकार की चम्मच थी चांदी की उस से एक चम्मच सभी को प्रसाद दिया जाता। हाथ में प्रसाद ले कर चल देते। लेकिन बच्चे उन्हें सम्हालना मुश्किल होता। वे एक बार ले कर दुबारा फिर अपना हाथ आगे कर देते। सब की सूरत याद रखनी पड़ती। दुबारा दिखते ही डांटना पड़ता। फिर भी अनेक थे जो दो बार नहीं तीन बार भी लेने में सफल हो जाते।
कहते हैं शरद पूनम की रात अमृत बरसता है। किसने परखा? पर यह विश्वास आज भी उतना ही है। जब चांद की धरती पर मनुष्य अपने कदमों की छाप कई बार छोड़ कर आ चुका है। सब जानते हैं चांदनी कुछ नहीं, सूरज का परावर्तित प्रकाश है। सब जानते हैं चांदनी में कोई अमृत नहीं। फिर भी शरद की रात आने के पहले खीर बनाना और रात चांदनी में रख उस के अमृतमय हो जाने का इंतजार करना बरकरार है।
शहरों में अब शोर है, चकाचौंध है रोशनी की। चकाचौंध में हिंसा है। और रात में किसी भी कृत्रिम स्रोत के प्रकाश के बिना कुछ पल, कुछ घड़ी या एक-दो प्रहर शरद-पूनम की चांदनी में बिताने की इच्छा एक प्यास है। वह चांदनी पल भर को ही मिल जाए, तो मानो अमृत मिल गया। अमर हो गए। अब मृत्यु भी आ जाए कोई परवाह नहीं। भले ही दूसरे दिन यह अहसास चला जाए। पर एक रात को यह रहे, वह भी अमृत से क्या कम है।
साढ़े सात बजे दूध वाले के पास जा कर आया। दूध नहीं था। कहने लगा आज गांव से दूध कम आया और शरद पूनम की मांग के कारण जल्दी समाप्त हो गया। फिर शरद पूनम कैसे होगी? कैसे बनेगी खीर? और क्या आज की रात अमृत बरसा, तो कैसे रोका जाएगा उसे? उसे तो केवल एक धवल दुग्ध की धवल अक्षतों के साथ बनी खीर ही रोक सकती है। दूध वाले से आश्वासन मिला, दूध रात साढ़े नौ तक आ रहा है। मैं ले कर आ रहा हूँ। मेरे जान में जान आई। घर लौटा तो शोभा ने कहा स्नान कर के भोजन कर लो। जब दूध आएगा, खीर बन जाएगी। रात को छत पर चांदनी में रख अमृत सहेजेंगे। प्रसाद आज नहीं सुबह लेंगे। पूनम को नहीं कार्तिक के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को।
मैं ने वही किया जो गृहमंत्रालय का फरमान था। अब बैठा हूँ, दूग्धदाता की प्रतीक्षा में। दस बज चुके हैं। वह आने ही वाला होगा। टेलीफोन कर पूछूँ? या खुद ही चला जाऊँ लेने? मैं उधर गया और वह इधर आया तो? टेलीफोन ही ठीक रहेगा।
मैं बाहर आ कर देखता हूँ। चांद भला लग रहा है। जैसे आज के दिन ही उस का ब्याह हुआ हो। लेकिन ये दशहरा मेले की रोशनियाँ, शहर की स्ट्रीट लाइटस् और पार्क के खंबों की रोशनियाँ कहीं चांद को मुहँ चिढ़ा रही हैं जैसे कह रही हों अब जहाँ हम हैं तुम्हें कौन पूछता है? मेरा दिल कहता है थोड़ी देर के लिए बिजली चली जाए। मैं चांद को देख लूँ। चांद मुझे देखे अपनी रोशनी में। मैं सोचता हूँ, मेरी कामना पूरी हो, बिजली चली जाए उस से पहले मैं इस आलेख को पोस्ट कर दूँ। मेरी अवचेतना में किसी ग्रामीण का स्वर सुनाई देता है ......
सुंदर कितना लगता है? पूनम का ये चांद,
जरा शहर से बाहर आओगे तो जानोगे,
खंबों टंगी बिजलियाँ बुझाओ तो जानोगे........
पुनश्चः - दूध वाला नहीं आया। आए कमल जी मेरे कनिष्ठ अधिवक्ता। मैं ने कहा - दूध लाएँ? वह अपनी बाइक ले कर तैयार दूध वाला गायब दुकान बंद कर गया। उसे कोसा। अगली दुकान भी बंद। कमल जी ने बाइक अगले बाजार में मोड़ी। वहाँ दूध की दुकान खुली थी। मालिक खुद बैठा था। उस के खिलाफ कुछ दिन पहले तक मुकदमा लड़ा था। मैं ने कहा - दूध दो बढ़िया वाला।
उस ने नौकर को बोला - प्योर वाला देना।
दूध ले कर आए। अब खीर पक रही है।
फिर जाएंगे उसे ले कर छत पर। अमृत घोलेंगे उस में। घड़ी, दो घड़ी।
अब बिजली चली ही जाना चाहिए, घड़ी भर के लिए......
शुक्रवार, 5 सितंबर 2008
सब से प्राचीन परंपरा, रोट पूजा, ऐसे हुई
रविवार, 25 मई 2008
गुर्जर-2............यह आँदोलन है या दावानल ?
कोटा के आज के अखबारों में गुर्जर आंदोलन छाया हुआ है।
अखबारों ने जो शीर्षक लगाए हैं, उन्हें देखें.....................
सिकन्दरा में कहर - हालात बेकाबू, 23 और मरे, दो दिन में 39 लोग मारे गए, 100 से अधिक घायल - जवानों ने की एसपी व एसडीएम की पिटाई - हिंसक आंदोलन बर्दाश्त नहीं...वसुन्धरा - तीन कलेक्टर दो एसपी बदले - मौत का बयाना - कोटा में आज दूध की सप्लाई बंद, हाइवे पर जाम लगाएँगे - रेल यातायात ठप, बसें भी नहीं चलीं - टिकट विंडो भी रही बन्द - कोटा-दिल्ली-आगरा के बीच रेल सेवाएँ ठप,यात्रियों ने आरक्षण रद्द कराए, परेशानी उठानी पड़ी, रेल प्रशासन को करोड़ों का नुकसान, कई परीक्षाएँ स्थगित - लाखों के टिकट रद्द - श्रद्धांजली देने के खातिर गूजर नहीं बाँटेंगे दूध - ट्रेनें रद्द होने से कई परीक्षाएँ रद्द - एम.एड. परीक्षा टली - प्री बी.एड परीक्षा बाद में होगी - रेलवे ट्रेक की भी क्षति - श्रद्धांजलि देने की खातिर गुर्जर नहीं बाँटेंगे दूध - गुर्जर आंन्दोलन की आँच हाड़ौती में भी फैली - नैनवाँ पुलिस पर हमला - चार पुलिसकर्मी घायल- गर्जरों ने पहाड़ियों पर जमाया मोर्चा - राष्ट्रीय राजमार्ग 76 पर बाणगंगा नदी के पास जाम - कोटा शिवपुरी ग्वालियर सड़क संपर्क दो घंटे बन्द रहा - बून्दी बारां व झालावाड़ में जाम - स्टेट हाईवे 34 पर आवागमन बन्द - रावतभाटा रोड़ पर देर रात जाम - बून्दी जैतपुर में जाम पुलिसकर्मी पिटे - झालावाड़ बसें बन्द - 17 गुर्जर बन्दियों ने दी अनशन की धमकी - सेना सतर्क, बीएसएफ पहुँची, आरफीएसएफ की एक कम्पनी बयाना जाएगी - हर थाने को दो गाड़ियाँ - रात को दबिश - हाड़ौती के कई कस्बों में आज बन्द - राजस्थान विश्व विद्यालय की परीक्षाएं स्थगित - पटरी पर कुछ भी नहीं - ... प्रदेश में अशांति की अंतहीन लपटें - भरतपुर बयाना के हालात=पटरियाँ तोड़ी फिश प्लेटें उखाड़ी - दूसरे दिन बयाना में पहुँची सेना, शव लेकर रेल्वे ट्रेक पर बैठे रहे बैसला - डीजीपी ने हेलीकॉप्टर से लिया जायजा - चिट्ठी आने तक नहीं हटेंगे बैसला- गुर्जर आन्दोलन = गुस्सा+ जोश= पाँच किलोमीटर - यह तो धर्मयुद्ध है - जोर शोर से पहुँची महिलाएँ - चाहे चारों भाई हो जाएँ कुर्बान - मेवाड़ में सड़कों पर उतरे गुर्जर - राजसमन्द में हाईवे जाम - हजारों गुर्जरों का बयाना कूच - छिन गया सुख चैन- ठहरी साँसें - अटकी राहें - सहमी निगाहें - हैलो भाई तुम ठीक तो हो - कई रास्ते बंद जयपुर रोड़ पर खोदी सड़क - 8 कार्यपालक मजिस्ट्रेट नियुक्त - किशनगढ़ भीलवाड़ा बन्द सफल - दो गुर्जर नेता गिरफ्तार - करौली -टोक में सड़कें सुनसान - चित्तौड़गढ़ अजमेर अलवर और करौली आज बन्द - सहमे रहे लोग आशंकाओं में बीता दिन - शकावाटी में भी बिफरे गुर्जर - नीम का थाना में एक बस को आग के हवाले किया - चार बसों में तोड़ फोड़ - बस चालक घायल कई जगह रास्ता जाम- पाटन में सवारियों से भरी बस को आग लगाने का प्रयास - सीकर झुन्झुनु के गुढ़ागौड़ जी व खेतड़ी में गुर्जरों की सभाएँ और सीएम का पुतला फूँका ............
..........................................आपने पढ़े खबरों के हेडिंग ये एक दिन के एक ही अखबार से हैं। दूसरे अखबार से शामिल नहीं किये गए हैं। अब आप अंदाज लगाएँ कि यह आँदोलन है या दावानल ?
इस दावानल का स्रोत कहाँ है? वोटों के लिए और सिर्फ वोटों के लिए की जा रही भारतीय राजनीति में ? पूरी जाति, वह भी पशु चराने और उन के दूध से आजीविका चलाने वाली जाति से आप क्या अपेक्षा रख सकते हैं। यह पीछे रह गए हैं तो उस में दोष किस का है? इन के साथ के मीणा अनुसूचित जाति में शामिल हो कर बहुत आगे बढ़ गए हैं। गुर्जरों को यह बर्दाश्त नहीं। उन्हें राजनीतिक हल देना पड़ेगा। पर मीणा वोट अधिक हैं। उन्हें नाराज कैसे करें?
पिछड़ेपन को दूर करने की नाकाम दवा आरक्षण के जानलेवा साइड इफेक्टस हैं ये।
ये आग भड़क गई है। नहीं बुझेगी आरक्षण से। पीछे कतार में अनेक जातियाँ खड़ी हैं।
आरक्षण को समाप्ति की ओर ले जाना होगा। पिछड़ेपन को दूर करने और समानता स्थापित करने का नया रास्ता तलाशना पड़ेगा। मगर कौन तलाशे?