@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: स्टार्ट-रीस्टार्ट बटन और कज्जली तीज की मेहंदी

शुक्रवार, 27 अगस्त 2010

स्टार्ट-रीस्टार्ट बटन और कज्जली तीज की मेहंदी

रात को इसी ब्लाग की एक पोस्ट टाइप करने में लीन था। दो चरण समाप्त हुए और एक चित्र जरूरत पड़ी जो राँच साल से कंप्यूटर में सहेजा हुआ है, उसे तलाश करने लगा। वह मिला ही नहीं। पोस्ट अधूरी थी। कंप्यूटर उसे तलाश कर ही रहा था कि अचानक बिजली एक चौथाई सैकंड के लिए ट्रिप हुई और कंम्प्यूटर बंद हो गया। यूपीएस तो पिछले छह माह से हमारे कंप्यूटर सप्लायर-सुधारक शैलेन्द्र न्याती के कब्जे में है। वह मेरी ससुराल के कस्बे का है तो हमें जीजा कहता है। हम भी अपने कंप्यूटर का भविष्य साले के हाथों सौंप कर निश्चिंत हैं। वह वैसे भी होशियार और बिलकुल प्रोफेशनल है और जुगाड़ी भी। यूपीएस की बैटरी खत्म हो चुकी थी, उसे बदला जाना था। इस बीच शैलेंद्र का वर्कशॉप कम दुकान अपना स्थान बदल चुकी है। यूपीएस वापस मिलेगा भी या नहीं, इस में अब संदेह है।  
बिजली ट्रिप होने का सीधा प्रभाव हुआ कि कंप्यूटर बंद हुआ। ऑफिस की ट्यूबलाइट वापस रोशनी देने लगी। मैं ने कंप्यूटर का री-स्टार्ट बटन दबाया। कंप्यूटर फिर भी चालू नहीं हुआ। फिर स्टार्ट बटन दबाया लेकिन उस से तो कुछ होना ही नहीं था। फिर रीस्टार्ट बटन दबाया। आखिर कंप्यूटर ने पूरी तरह से चालू होने से मना कर दिया। गड़बड़ कोई एक माह पहले भी हुई थी। तब भी कंप्यूटर जी ने बार बार बटन दबाने के बावजूद चालू होने से मना कर दिया था। तब इन्हें अपनी पत्नी के पीहर यानी साले साहब शैलेंद्र न्याती जी के यहाँ भेजना पड़ा था। वहाँ कोई पाँच मिनट में ही ये चालू हो गये। उन का स्टार्ट बटन सेवानिवृत्त हो चुका था। फिर उस का चार्ज री-स्टार्ट बटन को दिया गया। तब से हमारे कंप्यूटर जी री-स्टार्ट बटन से ही चालू होते रहे हैं। लगता है अब रीस्टार्ट बटन भी अपनी गति को प्राप्त होने को है। शायद उसे ईर्ष्या होने लगी हो कि मेरा अभिन्न साथी सेवानिवृत्त हो कर आराम कर रहा है, तब फिर मैं क्यों काम करूं? मैं ने भी बटनों पर निष्फल प्रयास कर ने के स्थान पर बिस्तर की शरण लेना उचित समझा।
म ने भी राहत की साँस ली और रात जल्दी ही सोने के लिए अपने कमरे की शरण ली। श्रीमती जी जाग ही नहीं रही थीं बैठ कर टीवी देख रही थीं। मेरी हैरानियत तुरंत दूर हो गयी। वे मेहंदी लगाए बैठी थीं, जो मुझे याद दिला रहा था कि कल कज्जली तीज है। वैसे वे सुबह मेरे अदालत जाने के बाद मेहंदी लगा चुकी थीं। लेकिन रंग ठीक से नहीं खिला होने से दुबारा लगा चुकी थीं। मैरे होठों पर मुस्कुराहट आ गई। मैं ने दिन में एक महिला अपर जिला न्यायाधीश को अदालत के इजलास में काम करते हुए देखा था। उन्हों ने दोनों हाथों की उंगलियों से ले कर कोहनी तक खूबसूरत मेहंदी लगाई हुई थी। उन्हों ने रक्षा बंधन के साथ मिले तीन दिनों के अवकाश का अच्छी तरह आनंद लिया था। मैं ने उन के बारे में पत्नी जी को बताया तो तुरंत प्रतिक्रिया हुई कि वे अवश्य अग्रवाल होंगी। यह अनुमान बिलकुल सही था। 
सुबह देखा तो पत्नी जी के हाथों की मेहंदी पूरी तरह रच चुकी थीं। मैं दिन के प्रथम प्रसाधन से लौटा तो श्रीमती जी मेहंदी रचे हाथों से दिन का पहला कॉफी का प्याला लिए हाजिर थीं। उसे निपटा कर अपनी आदत के मुताबिक बाहर गया। अखबार समेट अपने ऑफिस की अपनी कुर्सी पर बैठा। कुछ अखबारों की सुर्खियाँ देखीं और आदतन बिजली के बटन पर हाथ गया जिस की सप्लाई कंप्यूटर को जाती है। फिर सहज ही कंप्यूटर के री-स्टार्ट बटन पर उंगली गई। अरे! यह क्या बटने के दोनों और की सूचक बत्तियाँ हरी और नीली रोशनी में जगमगा रही थीं। रात भर विश्राम कर के री-स्टार्ट बटन ने फिर काम करना आरंभ कर दिया था। नतीजे के तौर पर यह पोस्ट हाजिर है। पर नोटिस मिल चुका है, बटन बदलवाना पड़ेगा। वह मैं पिछले महिने बदलवा चुका होता। पर साले साहब का कहना था कि इस डिब्बे की डिजाइन में फिट होने वाला बटन अब नहीं आता। मैं ने प्रश्न किया था -फिर? तो शैलेन्द्र बोला था - फिर क्या? जुगाड़ करेंगे, नहीं बैठा तो डब्बा ही बदल देंगे। मैं ने कहा डब्बा अंदर के सामान सहित बदलने का क्या? नया पाँच सौ जीबी स्टोरेज, दो जीबी रेम और नए प्रोसेसर वाला रिप्लेसमेंट में दे देंगे, बस बारह हजार देनें पड़ेंगे।  आप की स्पीड भन्नाट हो जाएगी। तब से मैं सोच रहा हूँ कि बारह हजार खर्च किए जाएँ या नहीं ? !!!

15 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

कर ही लीजिए कायाकल्प अपने अभिन्न साथी का।
आखिर आजीविका भी तो अब इस पर निर्भर होने जा रही। ब्लॉगिंग तो होते रहेगी

Abhishek Ojha ने कहा…

अरे कुछ दिन तो बिना बटन के चलाइए अभी :) थोक पीट के चलेगा मशीन ही तो है !

Neeraj Rohilla ने कहा…

भन्नाट...कितने दिनों के बाद ये शब्द सुना...

हमारे कालेज के समय का एक किस्सा है। एक कम्प्यूटर साइंस के अध्यापक थे जिनकी अंग्रेजी थोडी कमजोर थी। किसी बात को विद्यार्थियों को अंग्रेजी में समझाने में थोडी मुश्किल हुयी तो अनायास ही उनके मुंह से निकल गया, "डेटा भरभराकर इधर से उधर चला जायेगा"...

उस दिन से वो अमर हो गये :)

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

मैं विगत 12 वर्षों से कम्पयुटर बगैर किसी युपीएस और एन्टीवायरस के चला रहा हूँ।:)

ज्यादा पुराना हो गया है तो अपग्रेड कर लिजिए।
अब पुराने सामान और उनकी सेटिंग नहीं मिलती।

त्यौहार तो आनंद लेने के लिए ही हैं।
आभार

Nitin Bagla ने कहा…

भन्नाट...!

Satish Saxena ने कहा…

"सुबह देखा तो पत्नी जी के हाथों की मेहंदी पूरी तरह रच चुकी थीं।"
कोशिश करूंगा ....

उम्मतें ने कहा…

पत्नी के पीहर वाले की बात मान ही लीजिए :)

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बटन ही बदलवा लीजिये। पुराना डब्बा बहुत याद आता है।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

"इस बीच शैलेंद्र का वर्कशॉप कम दुकान अपना स्थान बदल चुकी है। यूपीएस वापस मिलेगा भी या नहीं, इस में अब संदेह है"

अरे वकील साहेब, तो दावा ठोक दीजिए ‘साले’ पे :)

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

@cmpershad
साले साहब से बात हुई है। यूपीएस बैटरी बदल कर जल्दी आ रहा है, और बटन बदलने की जरूरत नहीं है। बिजली ट्रिप हो जाने पर एक बार पावर प्लग निकाल कर दुबारा लगा देने से वह फिर काम करने लगता है।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

आप तो भन्नाट काम करते रहिये और लंप्य़ुटर को सन्नाट चलाते रहिये.:)

रामराम.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

भूल सुधार :-

लंप्य़ुटर = कंप्य़ुटर

पढा जाये.

रामराम

राज भाटिय़ा ने कहा…

जब भी कभी आप का पीसी अचानक बंद हो जाये तो कम से कम दो मिंट जरुर रुके फ़िर बटन द्वाये ओर देखे केसे नही चलता, बाकी आज हमारा भी दिल करता है कि बीबी के मेहंदी वाले हाथ देखे, यहां मेहंदी मिलती नही जो मिलती है वो रंग होता है भारत मै जब भी आये तो भागदोड ओर शिकायतो मै ही समय निकल जाता है, यानि हमारी बीबी ने सिर्फ़ शादी वाले दिन ही मेहंदी लगाई थी, उस के बाद शायद आज.... अभी ढुढता हुं घर मै कही पडी हो तो जरुर बात बन जायेगी.
धन्यवाद इस सुंदर पोस्ट के लिये

ZEAL ने कहा…

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खूबसूरत मेहदी से रचे हाथ पर लिखी पोस्ट , आपके निर्मल की और इशारा कर रहे हैं... कंप्यूटर का तो रुकना , चलना , हैंग होना लगा ही रहता है।
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Priya Sharma ने कहा…

Indian festivals are a vibrant celebration of culture, tradition, and unity. Festivals of India in Hindi. From the dazzling lights of Diwali to the joyful colors of Holi, each festival brings people together in a unique way. Whether it’s Navratri’s energetic dances, Eid’s feasts, or Pongal’s harvest rituals, these celebrations reflect India’s rich diversity and heritage.