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क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
ओह!! बहुत उम्दा!! शिवराम जी रचनायें बहुत सोचने को विवश करती हैं.
सुचिंतित !
बिलकुल 'सतसैया के दोहरे' की तरह। थोडे में बहुत, और बहुत गम्भीर।
मार्मिक।
बहुत सुन्दर और गहरे भाव लिये कविता बहुत अच्छी लगी । शिवराम जी को बधाई। आपका धन्यवाद्
बहुत अच्छी..
behad gahre bhav liye ..........bahut hi sundar.
व्यथा से शक्ति पाने की कोशिश .. काबिलेतारीफ ..
इन आंखों पर पर्दा गिरा दो, बहुत बोलती हैं...जय हिंद...
छोटी किंतु सशक्त कविता।संभव हो तो पुस्तक का प्रकाशन स्म्बधित जानकारी दें। शैलेन्द्र चौहान जी की कविताओं की तारीफ़ एक मित्र के मुख से भी सुना है।
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10 टिप्पणियां:
ओह!! बहुत उम्दा!! शिवराम जी रचनायें बहुत सोचने को विवश करती हैं.
सुचिंतित !
बिलकुल 'सतसैया के दोहरे' की तरह। थोडे में बहुत, और बहुत गम्भीर।
मार्मिक।
बहुत सुन्दर और गहरे भाव लिये कविता बहुत अच्छी लगी । शिवराम जी को बधाई। आपका धन्यवाद्
बहुत अच्छी..
behad gahre bhav liye ..........bahut hi sundar.
व्यथा से शक्ति पाने की कोशिश .. काबिलेतारीफ ..
इन आंखों पर पर्दा गिरा दो, बहुत बोलती हैं...
जय हिंद...
छोटी किंतु सशक्त कविता।
संभव हो तो पुस्तक का प्रकाशन स्म्बधित जानकारी दें। शैलेन्द्र चौहान जी की कविताओं की तारीफ़ एक मित्र के मुख से भी सुना है।
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