@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: Najm
Najm लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
Najm लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 2 जून 2011

कुमार शिव की एक नज़्म ... 'बोलता है उदास सन्नाटा'

'नज़्म'

बोलता है उदास सन्नाटा
  •     कुमार शिव


रूबरू है शमा के आईना
बंद कमरे की खिड़कियाँ कर दो
शाम से तेज चल रही है हवा

 ये जो पसरा हुआ है कमरे में
कुछ गलतफहमियों का अजगर है
ख्वाहिशें हैं अधूरी बरसों की
हौसलों पर टिका मुकद्दर है

रात की सुरमई उदासी में
ठीक से देख मैं नहीं पाया
गेसुओं से ढका हुआ चेहरा
आओ इस काँपते अँधेरे में
गर्म कहवा कपों में भर लें हम
मास्क चेहरों के मेज पर रख दें
चुप रहें और बात कर लें हम

महकती हैं बड़ी बड़ी आँखें
हिल रहे हैं कनेर होटो के
बोलता है उदास सन्नाटा