@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: शानदार, साफ सुथरी फुटबॉल देखने को मिली विश्वकप 2010 के पहले सेमीफाइनल में

बुधवार, 7 जुलाई 2010

शानदार, साफ सुथरी फुटबॉल देखने को मिली विश्वकप 2010 के पहले सेमीफाइनल में

हुत दिनों बाद ऐसी सुंदर फुटबॉल देखने को मिली। कहीं किसी तरह का फालतू टकराव नहीं। नतीजा ये हुआ कि फ्री-किक बहुत कम देखने को मिली। आखिर नीदरलेंड ने विजय पायी। पहला गोल नीदरलेंड ने शानदार फील्ड किक से किया तो पहले हाफ के उत्तरार्ध में यही कारनामा उरुग्वे के फोरलेन ने कर दिखाया। दूसरे हाफ के आरंभ में खेल 1-1 की बराबरी पर था।
दूसरे हाफ में जो दो चमत्कारी गोल नीदरलेंड की ओर से हुए उन्हों ने नीदरलेंड को 1974 और 1978 के बाद तीसरी बार फाइनल की राह दिखा दी। लेकिन उरुग्वे ने आखिर तक अपना खेल खेला और अंतिम क्षणों में एक गोल दाग कर नीदरलेंड की जीत के अंतर को 3-2 तक सीमित कर दिया। अब उरुग्वे को तीसरे स्थान के लिए आज दूसरे सेमीफाइनल में हारने वाली टीम से खेलना होगा।
नीदरलैंड के लिए कप्तान जियोवानी वान ब्रोर्कोस्ट ( 18वें मिनट ), वेस्ले श्नाइडर ( 70वें ) और अर्जेन रोबेन ( 73वें मिनट ) ने गोल किए।
उरुग्वे ने अपनी ओर से कोशिश कम नहीं की लेकिन उसकी ओर से कप्तान डियगो फोरलैन (40वें मिनट)और मैक्सिमिलियानो परेरा (90 मिनट, इंजुरी टाइम) केवल दो ही गोल कर पाए। 
दोनों ही टीमों ने शानदार और साफ सुथरी फुटबॉल खेली। मैच की सांख्यिकी इस बात की गवाह है ....

नीदरलैंड की ओर से दूसरा गोल करने वाला माथा दिखाते खिलाड़ी
  • गोल की तरफ उरुग्वे ने 12 निशाने लगाए तो नीदरलेंड उस से एक कम केवल 11
  • लक्ष्य से बाहर उरुग्वे ने 6 निशाने लगाए तो नीदरलेंड ने उस से दो कम केवल 4
  • लक्ष्य पर उरुग्वे ने 6 निशाने साधे तो नीदरलेंड ने उस से एक अधिक 7 निशाने
  • उरुग्वे ने 15 फाउल खेले तो नीदरलेंड ने उस से एक अधिक  कुल 16
  • उरुग्वे ने 47 % समय गेंद को अपने कब्जे में रखा तो 53% समय में नीदरलेंड ने
  • उरुग्वे के खिलाड़ी 4 बार ऑफसाइड हुए तो नीदरलेंड के खिलाड़ी 5 बार
  • उरुग्वे को कॉर्नर मिले 4 तो नीदरलेंड को कॉर्नर मिले 5
  • पीले कार्ड उरग्वे को 2 बार दिखाए गए तो नीदरलेंड को तीन बार
  • लाल कार्ड दिखाने की नौबत नहीं आई
गोल की ओर हैडर मारते नीदरलैंड का खिलाड़ी
कुल मिला कर खेलने के मामले में उरुग्वे ने भी निराश नहीं किया। लेकिन इस के साथ ही अंतिम दक्षिण अमरीकी टीम फाइनल की दौड़ से बाहर हो गई। फुटबॉल विश्वकप 2010 यूरोप में जाना तय हो गया। 
ज रात भारतीय समय के अनुसार फिर एक शानदार मुकाबला देखने को मिलेगा, जर्मनी और स्पेन के बीच। लेकिन जैसी संभावना है वह इतना साफ सुथरा शायद ही रहे जितना कल का मुकाबला था। हाँ खेल में आज की अपेक्षा अधिक तेजी देखने को मिलेगी। 


10 टिप्‍पणियां:

रंजन (Ranjan) ने कहा…

हमारे यहां तो रात डेढ़ बजे आता है.. मैच नहीं देख पाए...:(

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

पड़ोस में बिजली गिरने से मेरी टीवी में जुड़ा केबल अतिरिक्त ऊर्जा खींच लाया। नतीजा ये हुआ कि भीतर कुछ जल गया और टीवी दुकान पर बनने चली गयी। फुटबाल मैच न देख पाने का मलाल लिए बैठा हूँ।

मैच प्रारम्भ होने का भारत्तीय समय और टीवी चैनल का नाम बताएं तो आज वाला दूसरा सेमी फाइनल देखने की कोशिश करूंगा।

उम्मतें ने कहा…

आपने भी भारी आंकड़े बाज़ी कर डाली :)

Udan Tashtari ने कहा…

हमने देखा..मजा आया!

राम त्यागी ने कहा…

ऑफिस से आने के बाद मैच देखा ..मजा आया

गिरिजेश राव, Girijesh Rao ने कहा…

हम देखत देखत सोय गएन।
सपना देखे कि एक तरफ कंग्रेसी और दूजी ओर लाल गेरुआ सब एकै साथ आपस में फुटबाल खेल रहैन । थोड़ा अउर ध्यान से देखै तो फुटबाल की ज़गह अपने लखनलाल का कॉमन मैन (स्टुपिड) दे दना दन लात खाए जा रहा था। रेफरिया 'बन्द बन्द' चिल्लाय रहा था। सीटी बजी तो नींद खुली देखा भोर हो रही थी। मलिकायन भी मेरे चौंक उठने से जग गई थीं - मैंने उन्हें बताया भोर के सपना सच होत है।
कहा कमर पर ऑयोडेक्स लगाय दो, बड़ी पिराय रही है। लात तो हर जगह पड़ी है लेकिन कमर पर कमीनों का जोर अधिक था।

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

@गिरिजेश राव,
सपने में लगी चोट का इलाज दिन के उजाले में कैसे संभव है। मरहम भी सपने में ही लगवाना पड़ेगा।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

कल का मैच यदि संकेत है तो फाइनल बहुत रोमांचक होने वाला है । दोनो फील्ड किकों ने मन मोह लिया ।

Sachi ने कहा…

बहुत लाजवाब मैच था| दोनों टीमों के खिलाड़ियों ने दिल जीत लिया| नीदरलैंड का किया हुआ पहला गोल जितना सुंदर था, उतना ही सुंदर और अद्भुत उरुग्वे द्वारा किया हुआ पहला गोल था|

हैडर के समय डच खिलाड़ी के मुँह पर लगने वाले उरुग्वे के खिलाड़ी के शॉट भी सुंदर था, जिसके बाद थोड़ी देर के लिए खेल रुका रहा|

आपकी रेपोर्टिंग भी सुंदर है |

राज भाटिय़ा ने कहा…

दिनेशराय द्विवेदी जी हम साफ़ सुथरी तो बिलकुल नही कहेगे, क्योकि बहुत लडाई हुयी थी, शायद भारत मै टी वी पर नही दिखाई गई, नीदर लेंड के खिलाडी बात बात पर लड रहे थे, आखिर मै रेफ़री ने उन्हे समझाया कि तुम सब को पहले ही पीले कार्ड मिल चुके है अगर ज्यादा गडबड की तो मेच दे निकल जाओगे, ओर अंत मै भी खुब हंगामा हुआ, लेकिन लडने से बच गये.
ओर आज का मेच भी देखने लायक है, इस मै जर्मनी की इज्जत का सवाल है, ओर जर्मनी हर हाल मै इसे जीतना चाहेगा, लेकिन दुसरी तरफ़ स्पेन की टीम ने भी इस बर्ष कमर कस रखी है, अभी कुछ कहना कठिन है.... पलडा जर्मनी का भारी है, लेकिन इन का ओकटो पुस कुछ ओर ही कह रहा है? लेकिन इस मेच मै लडाई आम बात है, खिलाडी एक दुसरे को दबाने के लिये लडते है, आज देखे कोन क्या गुल खिलाता है, हमारे यहां सभी कारो ,ट्रको, ओर घरो पर जर्मनी के चार चार झंडे लहरा रहे है, काश यह कल भी लहराये...यहां लोगो ने पार्टिया रखी है बडे बडे शमियाने लगा कर, जीत गये तो भी खुब पीयेगे, ओर .. दुकान दारो ने एक शर्त रखी थी, कि हम से ती वी खरीदो ओर बता दो कोन जीतेगा, आखरी मेच ओर जिन लोगो ने जर्मनी की जीत बताई है, ओर जर्मनी जीत गया तो टी वी बिलकुल फ़्रि चाहे कितना ही मंहगा क्यो ना हो,. ओर यहां टी वी ३० हजार € तक भी मिलता है, वेसे हम ने नही लिया, क्योकि पहले जर्मनी डग मगा गया था, ओर फ़िर तारीख निकल गई थी, आज देखे हमारे नालायक क्या करते है,लेकिन वीयर(एक) तो पक्की है