फुटबॉल विश्वकप 2010 का आखिरी मुकाबला पराग्वे का स्पेन से था। स्पेन को पराग्वे के मुकाबले एक काफी मजबूत टीम माना जा रहा था और लोगों की आकांक्षाएँ ऐसी थीं कि स्पेन पराग्वे की अच्छी धुलाई करेगा। लेकिन हुआ ये कि पराग्वे पूरे मैच में स्पेन को गोल के लिए तरसाता रहा। जिस तरह से मैच का आरंभ हुआ था ऐसा लग रहा था कि कहीं पहला गोल करने में पराग्वे सफल न हो जाए। आरंभ में पराग्वे ने स्पेनी गोल पर अच्छे हमले किए। लेकिन स्पेन की मजबूत टीम जो शायद पराग्वे को आसान समझ कर पूरी ताकत और योजना के साथ नहीं खेल रही थी जल्दी ही होश में आ गई। स्पेनी खिलाड़ियों ने जब तालमेल के साथ खेलना आरंभ किया तो पराग्वे के लिए गोल पर हमले करना मुश्किल हो गया। पराग्वे के खिलाड़ी पूरी तरह रक्षात्मक हो गए। लेकिन जब वे रक्षा पर उतरे तो स्पेनी खिलाड़ियों को गोल तक गेंद पहुँचाना असंभव लगने लगा। पराग्वे के खिलाड़ियों ने स्पेन को पूरे मैच में छकाया और मौका पड़ने पर गोल पर हमले भी बोले जो स्पेनी खिलाड़ियों को आतंकित करते रहे।
गोल के बाद जश्न मनाते स्पेनी खिलाड़ी |
आप इसी बात से पराग्वे की चुनौती का अनुमान कर सकते हैं कि विश्वकप की प्रबल दावेदार टीम को पराग्वे के खिलाड़ियों ने मैच का समय पूरा होने के आठ मिनट पहले तक गोल बनाने से वंचित रखा। स्पेनी इस मैच का पहला और अंतिम गोल मैच के बयासीवें मिनट में कर पाए। पराग्वे के खिलाड़ी पहले से जानते थे कि वे स्पेन को हरा नहीं सकेंगे। लेकिन जब स्पेन अपना पहला गोल करने में असफल रही तो उन का जोश बढ़ता गया और इसी ने स्पेनियों को बहुत परेशान किया। गोल हो जाने के बाद के आठ मिनटों में भी उन्हों ने स्पेनी खिलाड़ियों को चैन नहीं लेने दिया। ऐसा लग रहा था कि शायद मैच का निर्णय अतिरिक्त समय या पैनल्टी शूट से ही हो पाएगा। पराग्वे की हार के साथ ही लारिसा रिक्वेल का सपना भी टूटा। पर वे अपना करतब दिखाने के लिए और अवसर तलाश लेंगी।
बहरहाल क्वार्टर फाइनल मुकाबले हो चुके हैं और सेमी फाइनल की टीमें निश्चित हो चुकी हैं। अब नीदरलेंड (हॉलेंड) का मुकाबला विश्वकप मैदान में बची रही एक मात्र गैर यूरोपीय दक्षिणी अमेरीकी उरुग्वे से है। ऐसा लग रहा है कि हॉलेंड को उरुग्वे से निपटने में अधिक मुश्किल नहीं होगी। लेकिन खुद हॉलेंड यही समझ बैठा तो उस के लिए मुश्किल हो सकती है और यह भी कि वह फाइनल खेलने से वंचित हो जाए। दूसरा मुकाबला निश्चित रूप से शानदार होने वाला है। जर्मन टीम विश्वकप के लिए जितना दावा जता रही है, स्पेन के दावे को उस से कम कर के नहीं आँका जा सकता। जर्मन टीम का असली परीक्षण इसी सेमीफाइनल में होने वाला है। वैसे यह भी कहा जा रहा है कि जर्मनी और अर्जेंटीना के बीच हुए मुकाबले में कुछ गड़बड़ जरूर हुई है। अर्जेंटीना के खिलाड़ियों तक जर्मनी की एप्रोच की बातें भी चल रही हैं। लेकिन यह तो हमेशा होने वाली बातें हैं। यदि इन में सचाई हुई तो ये बातें निकल कर जल्दी ही निकल कर चौपाल पर आ जाएँगी। हम जुटते हैं दो दिन बाद सेमीफाइनल देखने की तैयारी में।
6 टिप्पणियां:
अप तो बड़े खेल प्रेमी निकले तड़ातड़ पोस्ट दाग रहे हैं !
बहुत फ़ेर बदल होते है जी इस फ़ुट वाल की दुनिया मै, स्पेन की टीम मै भी उतना ही दम है जितना जर्मनी की टीम मै.... लेकिन फ़िर भी जर्मनी की टीम का रोब है, वेसे अगले मेच मै सब ठीक रहा तो इस खेल का फ़ेसला अंत मै ही होगा, ओर उम्मीद है खुब रोमांचकारी होगा वो मेच, अगर उस मे जर्मन जीत गया तो इस बार दुनिया का बादशाह होगा जर्मन फ़ुटबाल मे, इस से अगला मुकाबला होगा होलेंड से अगर आंकडे सही चले तो, अभी जर्मन के ६०% चांस है जीत के....
तो खेल जगत मे भी आपकी जानकारी काफी विस्त्रित है। शुभकामनायें
बहुत ही रोचक विवरण, उतना ही रोचक वर्डकप का दौर ।
:-) अरविन्द मिश्र सही कह रहे हैं भाई जी ! आश्चर्य तो मुझे भी है ...
शुभकामनायें !
जर्मनी ने पूरे टूर्नामेंट में खेले गए पाँच मैचों में तीन में चार गोल दागे हैं। उनके फार्वर्ड खिलाड़ियों में गति, पैनापन और फिनिश करने की अद्भुत क्षमता है। इस युवा टीम की काबिलियत के बारे में प्रश्नचिन्ह लगाने वाले वास्तविकता की अनदेखी कर रहे हैं। रही बात स्पेन से मुकाबले की तो वो भी एक अच्छी टीम है और उसे सेमीफाइनल में मुलर के ना होने का फायदा भी मिलेगा।
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