@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: सुनें,राग मालकौंस ! तनाव शैथिल्य से मुक्ति पाने का प्रयास करें।

गुरुवार, 4 जून 2009

सुनें,राग मालकौंस ! तनाव शैथिल्य से मुक्ति पाने का प्रयास करें।

आज डॉ0 अरविंद मिश्रा ने अपने ब्लाग क्वचिदन्यतोअपि..........! पर लिखा है कि बर्लिन और अमेरिका में विगत २५ वर्षों से शोधरत भारतीय मूल की अमेरिकन नागरिक वैज्ञानिक डॉ जैस्लीन ए मिश्रा ने  कल  बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के अकैडमी स्टाफ कालेज में संपन्न हुए एक रोचक व्याख्यान में शास्त्रीय संगीत के मानव शरीर पर प्रभावों के बारे में चर्चा की जिसे  टाईम्स आफ इंडिया के आज केअंक में भी कवर किया गया है।  डॉ जैस्लीन ए मिश्रा डॉ. अरविंद मिश्रा जी की चाची हैं। 

इस व्याख्यान में डॉ जैस्लीन ए मिश्रा कहा कि उन्हों ने अपने शोध के दौरान यह पाया  है की राग मालकौंस की तनाव शैथिल्य में अद्भुत भूमिका है !

यहाँ मैं उस्ताद आमिर खान द्वारा गाया गया राग मालकौंस सुनिए, इसे कुछ दिन दोहराएँ और देखें वास्तव में यह आप के तनाव को शिथिल करता है या नहीं।  प्रतिक्रिया से अवश्य अवगत कराएँ।


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13 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार झा ने कहा…

badaa hee sukoon dene wala hai ye to dinesh bhai.....aise sangeet man ko shaanti hee panhuchaate hain..

बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण ने कहा…

मैं संगीत का जानकार नहीं हूं, लेकिन मैंने कहीं पढ़ा है कि संगीतज्ञ बताते हैं कि आनंद भैरवी राग सुनने से रक्तचाप कम होता है। इसी प्रकार अमृतवर्षा राग वर्षा करा सकता है। नीलांबरी राग नींद ला सकता है।

मैंने अपने ब्लोग जयहिंदी में संगीत के इलाज के बारे में एक लेख प्रकाशित किया है जिसमें इस तरह की और जानकारी है।

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

तनाव कम करनें में संगीत की भूमिका तो है ही .

राज भाटिय़ा ने कहा…

यह तो पता नही की कोन सा संगीत सुननए से तनाव भागता है, लेकिन संगीत से तनाव जरुर कम होता है , बहुत ही सुंदर जानकारी दी आप ने, अब यह संगईत जरुर सुनूगां.
धन्यवाद

दर्पण साह ने कहा…

gaane ko doharan hai ya sunne ko?

kyunki agar gaa ke doharan hai to sharir aur ass paas ke log shartiya shithil ho jaiyenge.

kyunki main gaaoun to koi bhi raag "gandarvh Raag" main parivartit ho jaata hai....
:)

Abhishek Ojha ने कहा…

अभी तो कोई तनाव ही नहीं है :)
शाम को सुनता हूँ !

Arvind Mishra ने कहा…

ये तो सुन लिया ! किसी और का गाया हुआ है दिनेश जी ? या फिर केवल वाद्ययंत्र से निकला मालकौंस सुनने को मिल सकता है ?

Himanshu Pandey ने कहा…

सुनता हूँ । अच्छी लगी यह प्रस्तुति ।

श्यामल सुमन ने कहा…

बीस पच्चीस बर्ष पूर्व कुछ राग सीखने की कोशिश में रागों का कुछ कुछ परिचय और बहुत प्रेम है। बहुत मजा आया। आभार।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

गौतम राजऋषि ने कहा…

हमारे नेट पे कोई साइट ही खुल जाती है वही बड़ी बात है द्विवेदी जी, आडियो क्लीप को बजाना तो महाभारत है...

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

मालकौँस राग मेँ शौर्य और भक्ति का अनोखा सँगम है जहाँ ईश्वर या उस अनजाने तत्त्व से याचना नहीँ किँतु, द्रढता से अपने सत्त्व क समर्पण किया जाता है
और इन उस्तादोँ की गायकी के तो क्या कहने !! वाह वाह ...
आलेख अच्छा लगा -
- लावण्या

ghughutibasuti ने कहा…

मधुर लगा यह सुनना। दो बार सुना और तनाव? जाने दीजिए, वह क्या होता है? :)
घुघूती बासूती

बेनामी ने कहा…

सुबह सुबह आपका पोस्ट दिखा, सुनकर आनन्द आ गया. धन्यवाद.