आज मकर संक्रांति है। पिछले वर्ष मैं ने मकर संक्रान्ति पर हिन्दी की बोलियों में से एक हाड़ौती बोली में आलेख लिखा था। उसे अधिक लोग नहीं पढ़ पाए थे। कुल तीन टिप्पणियाँ प्राप्त हुई थीं। लेकिन यह बोली व्यापक रूप से राजस्थान के चार जिलों कोटा, बाराँ, बून्दी और झालावाड़ में बोली जाती है। आप का इस से परिचय हो इस लिए आज फिर से इस बोली में अपना आलेख लिखा है। हो सकता है आप को यह बोझिल लगे। लेकिन पढ़िए अवश्य ही। इस से हिन्दी की एक बोली से आप का परिचय तो होगा ही। वैसे थोड़ा प्रयास करेंगे तो समझ भी सभी आएगा। विषय भी आप को रोचक लगेगा। आप पिछले वर्ष का आलेख पढना चाहें तो यहाँ चटका लगा कर पढ़ सकते हैं। उस में हाड़ौती में संक्रान्ति के पर्व से संबंधित परंपराओं का उल्लेख है। साथ वाले मानचित्र में देश और राजस्थान में हाड़ौती की स्थिति दिखाई गई है।
राम राम! सभी जणाँ के ताईं बड़ी सँकरात को राम राम!!
बहणाँ बरो न मानँ, के जणाँ के ताईं तो राम राम करी। पण जण्याँ के ताईं न करी। पण जणाँन मँ जण्याँ भी तो सामिल छे।
आज बड़ी संकरात छे। बड़ी अश्याँ, के सँकराताँ तो बारा होवे छे, जद जद भी भगवान सूरजनाराण एक रासी सूँ दूसरी मँ परबेस करे, तो उँ सूँ सँकरात खेवे। आसमान मँ बण्या याँ बारा घराँ का सात मालिक बताया। एक घर तो खुद भगवान सूरजनाराण को, एक घर चन्दरमाँ को, अर बाकी मंगळ जी, बुध म्हाराज, बरहस्पति जी, शुक्कर जी अर् शनि म्हाराज का दो-दो घर।
भगवान सूरजनाराण बरस का बारा म्हींना में हर घर मँ एक म्हीनों रेह छ। अब शनि म्हाराज व्हाँका ही बेटा छ, ज्याँ का दोन्यूँ घर लाराँ लाराँ ही पड़ छ। जी सूँ दो म्हीनाँ ताईं भगवान सूरजनाराण क ताईं बेटा क य्हाँ रेहणी पड़ छ। अब आज व्ह शनि म्हाराज का घर मँ उळगा तो दो म्हीना पाछे मार्च का म्हीनाँ में ही खड़ेगा। सूरजनाराण एक म्हींना सूँ तो गुरू म्हाराज बरहस्पति का घर म्हँ छा, अब दो म्हींना बेटा शनी का घर म्हँ रहेगा, फेर म्हींनों भर बरहस्पति का घर मं रहेगा। फेर एक म्हीनों मंगळ म्हाराज क य्हाँ, फेर एक म्हीनो शुक्कर जी क य्हाँ, फेर एक म्हीनों बुध जी क य्हाँ। ऊँ क बाद एक म्हीनों चन्दरमा जी का घर रेह र आपणा घरणे फूगगा ज्हाँ फेर एक म्हीनों रेहगा। ऊंक पाछे फेर पाछा ई बुध जी, शुक्कर जी, मंगळ जी, बरहस्पति जी ती घराँ में एक एक म्हींना म्हींना भर रेता हुया जद पाछा बेटा का घरणे पधारेगा तो अगला बरस की बड़ी संकरात आवेगी।
उश्याँ बरस को आरंभ मंगळ सूँ होणी छावे नँ, जीसूं तेरा अपरेल नँ जद भगवान सूरजनाराण मंगळ म्हाराज का घर मँ परबेस करे तो ऊँ दन बैसाखी मनावे छे। अर ऊं दन ही सूरजनाराण का बरस को आरंभ होवे छे। ऊँ क आस पास ही आपणी गुड़ी पड़वा भी आवे छे।
दो म्हीनाँ ताईं जद भगवान सूरजनाराण को मुकाम गुरू म्हाराज बरहस्पति जी क य्हाँ रह छ। तो कोई भी आडो ऊँळो काम करबा की मनाही छ। अब आपण परथीबासियाँ का तो सारा काम ही आडा ऊँळा होवे। जीसूँ ही आपण याँ दो म्हीनां क ताईं मळ का म्हीना ख्हाँ छाँ। अर य्हाँ में भगवद् भजन, कथा भागवत अर दान पुण्य का कामाँ क अलावा दूसरा काम न्हँ कराँ। आज ऊ एक म्हींनो पूरो होयो। आज सूँ फेर सारा काम सुरू होता। हर बरस सुरू हो ही जावे छे। पण ईं बरस आज क दन ही बरहस्पति जी खुद भी घरणे फ्हली सूँ ई बिराज रिया छे। अब दोन्यूँ को मिलण अर साथ 10 फरवरी ताँईं रहगो जीसूँ व्हाँ ताईं आडा ऊँळा काम, जासूँ आपण मंगळ काम ख्हाँ छाँ न होवेगा, जश्याँ सादी-ब्याऊ, मुंडन आदी।
बड़ी संकरात पे अतनो ही खेबो छ!
आप को परेमी,
ऊई, दिनेसराई दुबेदी