शनिवार, 14 अप्रैल 2018
मेष संक्रान्ति, बैसाखी, बोहाग बिहु, पुथण्डु, विशु और बगाली नववर्ष पोइला बैशाख
रविवार, 22 मार्च 2015
वृत्त की परिधि का आरंभिक बिन्दु
शनिवार, 13 अप्रैल 2013
सही और विज्ञान सम्मत वर्षारंभ आज बैसाखी के दिन
श्रद्धांजलि!
मंगलवार, 16 मार्च 2010
मुबारक हो तुम को नया साल यारो
- पुरुषोत्तम ‘यक़ीन’
मुबारक हो तुम को नया साल यारो
यहाँ तो बड़ा है बुरा हाल यारो
मुहब्बत पे बरसे मुसीबत के शोले
ज़मीने-जिगर पर है भूचाल यारो
अमीरी में खेले है हर बदमुआशी
है महनतकशी हर सू पामाल यारो
बुरे लोग सारे नज़र शाद आऐं
भले आदमी का है बदहाल यारो
बहुत साल गुज़रे यही कहते-कहते
मुबारक-मुबारक नया साल यारो
फ़रेबों का हड़कम्प है इस जहाँ में
‘यक़ीन’ इस लिए बस हैं पामाल यारो
शनिवार, 10 जनवरी 2009
अजित वडनेरकर का जन्म दिन और पुरुषोत्तम 'यकीन' की नए साल की बधाई
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'ग़ज़ल'
पुरुषोत्तम ‘यक़ीन’
मुबारक हो तुम को नया साल यारो
यहाँ तो बड़ा है बुरा हाल यारो
मुहब्बत पे बरसे मुसीबत के शोले
ज़मीने-जिगर पर है भूचाल यारो
अमीरी में खेले है हर बदमुआशी
है महनतकशी हर सू पामाल यारो
बुरे लोग सारे नज़र शाद आऐं
भले आदमी का है बदहाल यारो
बहुत साल गुज़रे यही कहते-कहते
मुबारक-मुबारक नया साल यारो
फ़रेबों का हड़कम्प है इस जहाँ में
‘यक़ीन’ इस लिए बस हैं पामाल यारो
बुधवार, 2 जनवरी 2008
ईसा का 2008वाँ साल १८ घंटे देरी से
नया साल अभी १ जनवरी को शाम 6 बजे सांझ ढलने के बाद शुरु हुआ। आप आने वाली सुबह, यानी जनवरी की सुबह को ही नए साल के सूरज की पहली किरन देख पाएंगे या देख पाए होंगे। 2008 की पहली जनवरी की सुबह जो सूरज की पहली किरन आप ने देखी, न देखी हो तो भी वह ईसा के 2007वें साल के आखिरी दिन की पहली किरन थी।
आप आश्चर्य में न पड़ें। यह बिलकुल सही है। एक साल 365 दिन और 6 घंटों का होता है। अब आप मेरे साथ गणित करते चलें। ईसा का पहला साल आधी रात को शुरु हुआ, और खत्म हुआ 365 दिन और 6 घंटों के बाद। दूसरा साल शुरू हुआ १ जनवरी २ को सुबह ६ बजे। इस के ठीक ३६५ दिन और ६ घंटों के बाद तीसरा साल शुरू हुआ 1 जनवरी 3 को दोपहर 12 बजे। चौथा साल शुरू हुआ 1 जनवरी 4 को शाम 6 बजे। और पांचवाँ साल? क्या 1 जनवरी 5 को रात 12 बजने के समय?
नहीं, पूरे एक दिन की गड़बड़ हो गयी। केलेण्डर बनाने वालों ने गड़बड़ को दूर कर दिया हर चौथे साल में एक दिन बेशी जोड़ कर। तब से हर चौथे साल में एक दिन 29 फरवरी बेशी होने लगा। पर यह गड़बड़ दूर होती है चौथे साल के फरवरी महीने में जा कर। इसलिए हर चौथा साल शुरू होता है १ जनवरी की शाम 6 बजे। 2008वाँ साल वही चौथा साल है।
हो गयी गणित ? अब इसे अगले साल तक याद रखें। पर यह भी याद रखें अगला साल 31 दिसम्बर की रात 12 बजे बाद शुरू हो जाएगा।
31 दिसम्बर 2007 की रात 12 बजने के करीब एक घंटे पहले मुझे सूचना मिली कि मेरे एक प्रिय संबंधी श्री डी.सी.शर्मा जी नहीं रहे। मैं एक जनवरी की सुबह पाँच बजे ही उन की अन्त्येष्टी में सम्मिलित होने के लिए सवाई माधोपुर के लिए रवाना हो गया और शाम छह बजे घर लौटा। तब जाकर मेरा नया साल 2008 शुरू हुआ। यह भी एक वजह है।
डी.सी.शर्मा जी मिलनसार, दूसरों के काम आने वाले दिलदार आदमी थे। जो भी उनसे मदद मांगता अपनी सामर्थ्यानुसार करते थे। वे राजस्थान पी.डब्लू.डी. में सहायक इंजीनियर के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। मात्र 66 वर्ष की उन की आयु थी। उन की दूसरी पुत्री का विवाह मेरे छोटे भाई के साथ हुआ था। बाद में वे अपनी तीसरी पुत्री के लिए वर देखने कोटा आए तो संभावित वर के पिता ने उन से पूछा कि द्विवेदी जी तो गौड़ ब्राह्मण नहीं हैं? उन्हों ने कहा-मुझे पता नहीं कौन से हैं? उन्हीं से पूछ लीजिए। उन सज्जन ने फिर पूछा –फिर आप ने बिना जाने यह सम्बन्ध कैसे कर लिया? तो इस पर शर्मा जी बोले –भाई मेरी और वकील साहब (मैं) की जन्मपत्री मिल गयी और हम ने संबंध बना लिया। बाद में उन सज्जन का पुत्र शर्मा जी का दामाद नहीं बन सका।
शर्मा जी को मेरी विनम्र श्रद्घांजली। वे मेरी स्मृतियौं में अमिट रहेंगे।
सभी ब्लागर साथियों को नववर्ष पर बहुत-बहुत बधाइयाँ।
मंगलवार, 1 जनवरी 2008
जब्भी चाहो मनाऔ नयो साल, मना मती करो ....(2)
आप ने अब तक अपने लिए नया साल नहीं चुना हो तो आगे बढ़ा जाए। पंजाब के लोग १३ अप्रेल को बैसाखी के दिन से अपना नया साल शुरू करते हैं और जितनी धूमधाम से इसे मनाते हैं, दुनियाँ भर में शायद ही कोई अन्य नववर्ष मनाया जाता हो। मुझे यह नववर्ष सब से अधिक वैज्ञानिक प्रतीत होता है। इस दिन मेष की संक्रांति होती है, और सूरज मीन राशि से निकल कर मेष राषि में प्रवेश करता है। यानी सूरज एक राशिचक्र को पूरा कर नए राशि चक्र में प्रवेश करता है। इन दिनों फसलें खेतों से घरों पर आ चुकी होती हैं, अधिकांश बिक भी चुकी होती हैं, तो रोकड़ा किसान के पास होता है। पूरे भारत में अर्थचक्र तेजी से घूमने लगता है। लोगों के चेहरों पर चमक होती है। मैं इस दिन चाह कर भी नववर्ष नहीं मना पाता। मेरे यहां कोई भी परिवार-सदस्य, दोस्त या रिश्तेदार इसे नहीं मनाता और उन के बिना काहे का नववर्ष इसलिए मैं भी नहीं मना पाता।
अपने मनपसंद, पर नहीं मनाए जा सकने वाले इस नववर्ष का बखान बहुत हो लिया। अब आगे बढ़ा जाए। इस से अगले ही दिन बंगाली और आसामी अपना नववर्ष मनाते हैं। कैसे इस की विशेष जानकारी मुझे नहीं. देबू दा’ इस बारे में अधिकारिक रूप से बता सकते हैं। मैं इस विषय पर आलेख लिखने के उन के अधिकार पर डाका क्यों डालूँ।
अब हम सीधे अगस्त के महीने में आ जाते हैं। इस बीच किसी का नववर्ष छूट गया हो तो माफ करना, और टिप्पणी कर, अपनी नाराजगी दूर कर लेना। मैं उसे सहेज लूंगा, अगले साल का नववर्ष आलेख लिखने के काम आ जाऐँगी या बीच में जब भी भूला हुआ नववर्ष पड़ जाएगा, तभी ठेल दूंगा। इसी महीने भाद्रपद शुक्ल तृतिया को जैन धर्मावलम्बी संवत्सरी मनाते हैं, और जैन नववर्ष इसी दिन से आरम्भ होता है।
अब तक आप ने नववर्ष मनाने के लिए अपना दिन तय कर लिया होगा। अगर नहीं किया हो तो अब यह आखिरी अवसर है। कम से कम तब तक, जब तक कि मैं, आप या और कोई भी अन्य कोई दिन नववर्ष मनाने के लिए ढूंढ नहीं लाता है। अब हाजिर है, आप का मन पसंद दिन, यानी कार्तिक की अमावस्या का दिन। जब अमावस्या की काली रात में पूरा भारत जगमगा उठता है। सोने वालों की नीन्द धमाकों से हराम रहती है। रहे भी क्यों नहीं। यार, कोई ये भी सोने का दिन है, यह तो सोने वाली के आने का दिन है। जागो और घर का दरवाजा खुल्ला रक्खो, जाने कब लक्ष्मी जी आ जाऐं, और आप उन की किरपा से वंचित हो जाऐं। भारत के आज कल के वास्तविक राजपुरुष, यानी व्यापारी, उद्योगपति, पूंजीपति और देसी में ‘बनिए’ इसी दिन से अपना नववर्ष शुरु करते हैं। आप भी कर लीजिए। मुझे तो इसी में सुभीता और लाभ-शुभ नजर आता है। त्यौहार तो मनाना ही है। नववर्ष बोनस में मनाया जा सकता है।
और भी कोई दिन आप को पता हो, या कभी लग जाए तो मुझे जरुर बताऐं। अगले साल गारण्टी के साथ आप के नाम के साथ उस का जिक्र करुंगा। लेकिन.....
इस पोस्ट को समाप्त करने के पहले मुझे मेरे शहर के हास्य कवि दिवंगत श्री गुलकन्द जी का स्मरण हो आया है। उन की अंतिम आकांक्षा यह थी कि उन की अंतिम यात्रा में कोई भी ऐसा न हो जिसने भंग नहीं पी रखी हो। जो लोग गलती से सादा पहुँच गए हों. तो मुक्ति धाम (श्मशान) में ही घोंटें, और पिएं। कोई ऐसा न हो जिस ने शंकर जी के प्रसाद का सेवन नहीं किया हो। वे अपनी ये वसीयत कविता के रूप में मृत्यु के कुछ दिन पहले ही लिख कर अपने पुत्रों के हवाले कर गए।
इन्हीं गुलकन्द जी के एक मित्र दूसरे मित्र से मिले। तो दूसरे ने पूछा कि कल आप कवि गोष्टी में नहीं आए। तो जवाब मिला कि गुलकन्द जी ने जन्मदिन मनाया था, उसी पार्टी में था। पूछने वाले की प्रतिक्रिया थी, कि आप झूठ बोल रहे हैं, गुलकन्द जी का जन्मदिन तो पिछले महीने था, और मैं खुद उस पार्टी में शामिल था। पूछताछ पर पता लगा कि गुलकन्द जी साल में तकरीबन आठ-दस बार जन्मदिन मना लिया करते थे। मेरा कहने का मतलब ये है, कि भैया उल्लास का मौका हो, तो कब्भी मना लो। साल में दस बार क्यों नहीं। और नहीं मनाना हो तो मती मनाओ पर ओरन को तो मना मती करो।
अब आया आज का दिन। यानी कि एक जनवरी का दिन। सारी दुनियाँ में ही नहीं भारतवर्ष यानी हिन्दुस्तान में भी सब से अधिक लोग इसी दिन नया साल मनाते हैं। और जिस दिन को बहुमत जनता नववर्ष मनाए, वही हमारा भी नया साल।
तो नया साल आप के लिए नई खुशियाँ लाए, बधाइयाँ, और बधाइयाँ।
सोमवार, 31 दिसंबर 2007
जब्भी चाहो मनाऔ नयो साल, मना मती करो ....(1)
चलो जितना हमें याद है उतना हम ही बताए देते हैं। जिस से जो लोग इस रात नये साल का लेने से वंचित हो जाऐं, वे आगे वंचित नहीं हों।
जनवरी माह में १४ तारीख को मकर संक्रांति होती है, दक्षिण भारतीय इसे ‘पोंगल’ के नाम से मनाते हैं। मगर यह वर्ष २००८ लीप इयर होने के कारण इस वर्ष मकर की संक्रांति १५ जनवरी को आ रही। यदि २००७ का साल लीप इयर हो जाता, तो पिछले साल २००७ में भी और २००८ में भी मकर संक्रांति १४ जनवरी को ही होती। भारत और भारतीय संस्कृति से प्रभावित अनेक देशों में इस दिन से नए वर्ष का प्रारम्भ माना जाता है। आप चाहें तो इस दिन नववर्ष मना सकते हैं। आप को इस दिन में कोई आपत्ति हो तो आप आगे चलिए।
अब आ गया है मार्च का महीना। २२ मार्च को पूरी दुनियां में दिन-रात बराबर होते हैं। यहीं से उत्तरी गोलार्ध में दिन रात से बड़े होना शुरू होते हैं, आप उत्तरी गोलार्ध के निवासी हैं तो इस दिन को साल के पहले बड़े दिन के रूप में मना सकते हैं। इस समय वसन्त ऋतु होती है। भारत सरकार के (केलेण्डर माफ कीजिए कुछ लोगों को इस पर आपत्ति हो सकती है इसलिए) तिथिपत्र में यहीं से साल शुरू होता है और पहला महीना चैत्र होता है। आप चाहें तो इस दिन नया साल मना सकते हैं। हालांकि ऐसा लगता है कि खुद भारत सरकार भी इस दिन नया साल मनाना भूल चुकी है।
इस के बाद आ जाती है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा। यह दिन मैं कभी नहीं भूलता। मेरे दादा जी जो एक बड़े मन्दिर के पुजारी थे, इस दिन से लगातार पन्द्रह दिनों तक रोज सुबह मंगला आरती के समय नीम की कोंपलों को काली मिर्च के साथ पीस कर बनाई गयी गोलियों का मिश्री के साथ ठाकुर जी को भोग लगाया करते थे। बाद में गोलियों के खत्म होने तक ठाकुर जी के दर्शनार्थियों को ये गोलियाँ प्रसाद के रूप में निगलनी पड़ती थीं। बाद में मुखस्वाद बदलने के लिए मिश्री भी उपलब्ध रहती थी। मुझे तो पूरे पखवाड़े यह गोलियाँ खानी ही पड़ती थीं, आखिर ठाकुर जी को भी तो मिश्री के पहले वही खानी पड़ती थीं, तो पुजारी के पोते को तो वह खाना लाजमी था। दादाजी जिन्हें हम दाज्जी पुकारते थे कहते थे कि पन्द्रह दिनों तक निरणे ही, अर्थात् सो कर उठने के बाद बिना कुछ खाए-पिए ही, कंचे जितनी बड़ी दो गोलियां रोज खाने से व्यक्ति पूरे साल स्वस्थ रहता है। यह दिन हिन्दु नववर्ष के रूप में मनाया जाने लगा है। विश्व हिन्दु परिषद्, रा.स्व.से.संघ और उस के सभी उपांग संगठन इस दिन को नववर्ष के रूप में मनाते हैं, और औरों को भी मनाने को कहते हैं। इसी दिन से चैत्र नवरात्र प्रारंभ होते हैं। मुझे पूरे नवरात्र नौ दिनों तक एक समय आहारी रहना अच्छा लगता है। यह स्वास्थ्य की दृष्टि से भी उत्तम है। दोनों नवरात्र मौसम के बदलने के समय आते हैं। और एक समय निराहार रहने से पेट को तनिक आराम मिलता है, और वह मौसम का शिकार होने से बच जाता है। आप चाहें तो इस दिन नया साल मना लें। सिन्धी इसी दिन, या अगले दिन, जब भी चान्द दिखे नववर्ष मनाते हैं और तेलगू नववर्ष भी इसी दिन मनाया जाता है।
मैं भी यह दिन मनाता हूँ, लेकिन नववर्ष के रूप में इसे मनाना मुझे अच्छा नहीं लगता। एक कारण तो यह कि पूरे दिन निराहार रहने पर भोजन शाम को मिलता है, दूसरे सुबह-सुबह खायी गोलियों से हुआ कड़वा मुहँ दिन भर वैसा ही बना रहता है। खाने पीने का मजा ही चला जाए, तो काहे का नववर्ष। दूसरा कारण जरा वैज्ञानिक है। वर्ष का मतलब है, पृथ्वी जितने समय में सूरज का एक चक्कर पूरा कर ले, यानी ३६५ दिन ६ घंटे। अब कभी तो यह नया साल ३५५ दिनों में यानी साल के पूरे होने में दस दिन पहले ही आ जाता है और तीन साल में एक बार ३८५ दिनों बाद टपकता है कि इन्तजार कर के ही बोर हो जाऐं।
(आप भी इस आलेख को खत्म होने के इन्तजार में बोर हो गए होंगे। इसलिए विराम देता हूँ। शेष कुछ घंटों के बाद नए साल में..............)