पता नहीं एनडीटीवी में और उन के एंकर कम ब्लागर रवीश कुमार जी में न जाने क्या खासियत है? हर महिने हिन्दी ब्लागरी में उन की एँकरी का जिक्र हो जाता है। मैं ने अपने टीवी पर एनडीटीवी तलाशा तो गायब था। मैं ने केबल वाले से लड़ने का मूड बना लिया। उसे एक गाली फैंकी.....बाटी सेक्या!* हमारे चर्चित वरिष्ठ हिन्दी ब्लागर और एँकर जी का चैनल ही सप्लाई नहीं करता है। फिर सोचा उस की शक्ल बिगाड़ने के पहले दस्ती समस्वरण (tuning) कर के देखूँ। वहाँ एऩडीटीवी मिल गया। हमने लगाया कि तभी नाक झाड़ने का तकाज़ा हो चला। हम उठ कर वाश बेसिन तक जा कर आए। तब तक श्रीमती जी अपना वाला चैनल लगा चुकीं थीं। हमारी हिम्मत न हुई कि इस सुप्रीमकोर्ट की अवमानना कर दें। हम श्रीमती जी के सोने की प्रतीक्षा करेंगे। अगर तब तक हम खुद न सो गए तो। वर्ना जुकाम रात को दो-तीन बार जगा ही देता है। तब एनडीटीवी और रवीश कुमार जी के दर्शन-श्रवण लाभ प्राप्त किए जाएँगे। अब ये कोई जरूरी नहीं कि इस दर्शन-श्रवण लाभ को आप के साथ बांटा ही जाए।
*बाटी सेक्या! = [यह हमारे हाड़ौती की एक गाली है, जो उन लोगों को इंगित करती है जो किसी के मृत्यु की कामना करते हुए उस के तीसरे (अस्थिचयन) के दिन बाटी सेक कर खाने की कामना करते रहते हैं]