कोटा, 16 अप्रेल 2010
मित्रों!
आज व्यस्तता रही। अदालत से आने के बाद बाहर जाने की तैयारी करनी पड़ी। अब कम से कम दो दिन और अधिक से अधिक चार दिनों तक कोटा से बाहर रहना हो सकता है, वहीं जहाँ के ये दोनों चित्र हैं। चाहें तो आप पहचान सकते हैं. ये दोनों चित्र अनवरत की पिछली पोस्टों पर उपलब्ध हैं।
लगभग ढाई वर्ष से हिन्दी ब्लागीरी में हूँ, और यहाँ नियमित बने रहने का प्रयास रहता है। पर फैज़ सही कह गए हैं -और भी गम हैं जमाने में मुहब्बत के सिवा।
तो उन का भी खयाल तो रखना होता है।
यदि समय मिला और आप से जुड़ने का साधन तो इस बीच भी आप से राम-राम अवश्य होगी।
--- दिनेशराय द्विवेदी
21 टिप्पणियां:
निश्चिंत होकर जाइए मोहब्बत में इंतजार भी करते हैं।यही आपकी बेकरारी फिर मिलाकर छोड़ेगी। यह अंतराल रंग लाएगा।
हम्म्म्म....जी.... बात तो सही है....और भी ग़म हैं मोहब्बत में ज़माने के सिवाय....
और भी गम हैं ज़माने में मुहब्बत और ब्लॉगिंग के सिवा ...!!
मुहब्बत ही तो है जो जमाने के गम को कम करती है.
फऱीदाबाद सैक्टर 7-डी - पहेली का हल. :)
आ जाईये बिटिया से मिल कर.
nice
ठीक कह रहें हैं पंडितजी.
और भी गम हैं जमाने में मुहब्बत के सिवा।
कभी कभी मुझे भी लगने लगता है खास कर ऐसा कोयी और कहता है जब तब ...
ये तो हमने आपसे कुछ दिन पहले ही कहा था बस अंदाज ज़रा दूसरा था...याद कीजिये !
..."ब्लोगिंग से छुट्टी लेकर बताइए"
एक जैसी दिनचर्या कोग भंग करनेवाले ऐसे उपादान ताजगी तो देते ही हैं, नये विषय भी देते हैं। आप लौटेंगे तो केवल आप ही नहीं, हम भी समृद्ध होंगे।
शुभम् भवन्तु यात्रायाम्।
लगभग ढाई वर्ष से हिन्दी ब्लागीरी में हूँ, और यहाँ नियमित बने रहने का प्रयास रहता है। पर फैज़ सही कह गए हैं -और भी गम हैं जमाने में मुहब्बत के सिवा।......
SAHEE HAI...
chalo hame intaj rahega aap ka
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com
और भी गम है जमाने में ब्लोगरी के सिवाय।
इधर हम आए हैं और आप … ?
हो आइए ।
यात्रा - प्रवास शुभ रहे ।
लौटने पर इधर चक्कर लगाना न भूलें ।
* http://shabdswarrang.blogspot.com
- राजेन्द्र स्वर्णकार
जहां भी जाइए मुहब्बत के ही साथ जाइए..
"और क्या गम हो सकता हैं जमाने में मुहब्बत के सिवा" :-)
सादर
aur chahe jitne gam kyon na ho.....mohhabbat ka gam to anokha avan 'aadarsh' gam hai....magar afsos to is baat ka hai ki itna pyara gam hume mayassar na hua .
chalo koi baat nahi..
Na shikwa yaar se, na shikayat rakeeb se,
Jo bhi hua, khuda se hua, ya naseeb se.
Smiles..
द्विवेदी सर,
हमें छोड़कर कहां जाइएगा, जहां जाइएगा हमें पाइएगा...
कुछ टंटों की वजह से नियमित कमेंट नहीं कर पा रहा...कारण कल की पोस्ट में स्पष्ट करने वाला हूं...
जय हिंद...
ठीक है .......इंतजार कर लिया जाएगा ,आपकी यात्रा सुंदर हो और वहाँ कोई गम न हो ......
हम इंतज़ार करेंगे :)
धमाका चार दिन बाद ही सही, रहेगा धमाका ही ।
जहां रहें आबाद रहें - कोटा रहें फरीदाबाद रहें! :)
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