@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: और भी गम हैं जमाने में मुहब्बत के सिवा

शनिवार, 17 अप्रैल 2010

और भी गम हैं जमाने में मुहब्बत के सिवा



कोटा, 16 अप्रेल 2010

मित्रों!
आज व्यस्तता रही। अदालत से आने के बाद बाहर जाने की तैयारी करनी पड़ी। अब कम से कम दो दिन और अधिक से अधिक चार दिनों तक कोटा से बाहर रहना हो सकता है, वहीं जहाँ के ये दोनों चित्र हैं। चाहें तो आप पहचान सकते हैं. ये दोनों चित्र अनवरत की पिछली पोस्टों पर उपलब्ध हैं।

लगभग ढाई वर्ष से हिन्दी ब्लागीरी में हूँ, और यहाँ नियमित बने रहने का प्रयास रहता है। पर फैज़ सही कह गए हैं -और भी गम हैं जमाने में मुहब्बत के सिवा।

तो उन का भी खयाल तो रखना होता है।

यदि समय मिला और आप से जुड़ने का साधन तो इस बीच भी आप से राम-राम अवश्य होगी।


--- दिनेशराय द्विवेदी

21 टिप्‍पणियां:

जगदीश्‍वर चतुर्वेदी ने कहा…

निश्चिंत होकर जाइए मोहब्बत में इंतजार भी करते हैं।यही आपकी बेकरारी फिर मिलाकर छोड़ेगी। यह अंतराल रंग लाएगा।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

हम्म्म्म....जी.... बात तो सही है....और भी ग़म हैं मोहब्बत में ज़माने के सिवाय....

वाणी गीत ने कहा…

और भी गम हैं ज़माने में मुहब्बत और ब्लॉगिंग के सिवा ...!!

M VERMA ने कहा…

मुहब्बत ही तो है जो जमाने के गम को कम करती है.

Udan Tashtari ने कहा…

फऱीदाबाद सैक्टर 7-डी - पहेली का हल. :)

आ जाईये बिटिया से मिल कर.

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

P.N. Subramanian ने कहा…

ठीक कह रहें हैं पंडितजी.

Arvind Mishra ने कहा…

और भी गम हैं जमाने में मुहब्बत के सिवा।
कभी कभी मुझे भी लगने लगता है खास कर ऐसा कोयी और कहता है जब तब ...

उम्मतें ने कहा…

ये तो हमने आपसे कुछ दिन पहले ही कहा था बस अंदाज ज़रा दूसरा था...याद कीजिये !

..."ब्लोगिंग से छुट्टी लेकर बताइए"

विष्णु बैरागी ने कहा…

एक जैसी दिनचर्या कोग भंग करनेवाले ऐसे उपादान ताजगी तो देते ही हैं, नये विषय भी देते हैं। आप लौटेंगे तो केवल आप ही नहीं, हम भी समृद्ध होंगे।
शुभम् भवन्‍तु यात्रायाम्।

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

लगभग ढाई वर्ष से हिन्दी ब्लागीरी में हूँ, और यहाँ नियमित बने रहने का प्रयास रहता है। पर फैज़ सही कह गए हैं -और भी गम हैं जमाने में मुहब्बत के सिवा।......
SAHEE HAI...

Shekhar Kumawat ने कहा…

chalo hame intaj rahega aap ka



shekhar kumawat

http://kavyawani.blogspot.com

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

और भी गम है जमाने में ब्‍लोगरी के सिवाय।

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

इधर हम आए हैं और आप … ?

हो आइए ।
यात्रा - प्रवास शुभ रहे ।
लौटने पर इधर चक्कर लगाना न भूलें ।
* http://shabdswarrang.blogspot.com
- राजेन्द्र स्वर्णकार

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

जहां भी जाइए मुहब्बत के ही साथ जाइए..
"और क्या गम हो सकता हैं जमाने में मुहब्बत के सिवा" :-)
सादर

ZEAL ने कहा…

aur chahe jitne gam kyon na ho.....mohhabbat ka gam to anokha avan 'aadarsh' gam hai....magar afsos to is baat ka hai ki itna pyara gam hume mayassar na hua .

chalo koi baat nahi..

Na shikwa yaar se, na shikayat rakeeb se,
Jo bhi hua, khuda se hua, ya naseeb se.

Smiles..

Khushdeep Sehgal ने कहा…

द्विवेदी सर,

हमें छोड़कर कहां जाइएगा, जहां जाइएगा हमें पाइएगा...

कुछ टंटों की वजह से नियमित कमेंट नहीं कर पा रहा...कारण कल की पोस्ट में स्पष्ट करने वाला हूं...

जय हिंद...

सुशीला पुरी ने कहा…

ठीक है .......इंतजार कर लिया जाएगा ,आपकी यात्रा सुंदर हो और वहाँ कोई गम न हो ......

Abhishek Ojha ने कहा…

हम इंतज़ार करेंगे :)

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

धमाका चार दिन बाद ही सही, रहेगा धमाका ही ।

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

जहां रहें आबाद रहें - कोटा रहें फरीदाबाद रहें! :)