@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: विश्व भ्रातृत्व विजयी हो! रक्षा-बंधन के महापर्व पर शुभकामनाएँ!

बुधवार, 5 अगस्त 2009

विश्व भ्रातृत्व विजयी हो! रक्षा-बंधन के महापर्व पर शुभकामनाएँ!

आज रक्षा बंधन का त्यौहार है। मैं समझता हूँ भारतीय संस्कृति का सब से अनुपम त्यौहार। जो विश्व भ्रातृत्व की केवल बात नहीं करता अपितु उस का रियाज भी कराता है। सावन के महीने का अंतिम दिन। हम सभी उस दिन इतने व्यस्त रहते थे कि सिर उठा कर देखने की फुरसत नहीं होती थी। मंदिर में सुबह चार बजे से काम आरंभ होता। पूर्णमासी के कारण बहुत दर्शनार्थी होते। दादाजी कथा करते तो श्रोताओं से चौक भर जाता बिना किसी लाउडस्पीकर के उन की आवाज सब तक पहुँचती। कथा के बीच मंदिर पिताजी या मैं संभालते। माँ और कुछ और लोग रसोई में भोग बनाते। 12 बजे इस से निवृत्त होते तो भोजन कर आधा घंटा विश्राम करते। फिर शाम के दर्शनार्थियों के लिए झाँकियाँ और झूले बनाने लगते। यह काम शाम साढ़े -सात तक चलता रहता जब तक कि झूले और झाँकियाँ बन कर पट खुल जाते। फिर कुछ लोगों को दर्शनार्थियों के लिए गाइड बनना पड़ता जो झांकी के पीछे की पौराणिक कहानी लोगों को बताते जाते। मुझे विशेष रूप से इस काम में बहुत आनंद आता। यहाँ तक कि और भी लोग जो स्वैच्छा से हाथ बंटाना चाहते दिन भर मंदिर में बने रहते और हमारा सहयोग करते। 

अम्माँ घर के सभी दरवाजों के दोनों और खड़िया से पुताई कर उस पर श्रवण कुमार का माँडना माँडती। उन की पूजा से त्योहार आरंभ होता। वही श्रवण कुमार जो मातृ-पितृ भक्ति के लिए जाने जाते हैं, जिन्हों ने कावड़ में बिठा कर सारे तीर्थ अपने माता-पिता को कराए। दोपहर बाद नगर के दूसरे छोर पर रहने वाली बुआ जातीं। फूफाजी तो सुबह से ही मंदिर में होते हमारे काम में हाथ बंटाने को। वे चाय पीतीं, नाश्ता करतीं बहनों को बुला कर राखी बांधने की तैयारी कर लेतीं। बहनें आती बुला जातीं -दो मिनट काम छोड़ कर राखी तो बंधवा लो। पर काम तो काम था। जब तक हाथ का काम पूरा हो कैसे स्थान छो़ड़ें। बहने तीन-चार बार बुला जातीं। फिर अंतिम उलाहना जाता जल्दी से राखी बंधवा लो फिर बुआ चली जाएँगी। पिताजी काम छोड़ उठ जाते। सब को कहते -सब काम छोड़, पहले राखी बंधवा लो। सब काम छोड़ राखी बंधवाने कतार से बैठ जाते। राखी बांधने में जितनी देर लगती अम्माँ चाय बना कर सब के लिए लातीं। वह दस-पन्द्रह मिनट का राखी बंधवाने का समय पूरे दिन की थकान उतार देता। बुआ कहतीं -भाई साहब परसों भैया दूज पर भोजन हमारे यहाँ करेंगे। पिताजी सहर्ष हाँ कर देते और भैया दूज को तिलक कराने बुआ के यहाँ जाते।

दूसरे दिन से दादाजी दोपहर 12 बजे मंदिर के पट बंद हो जाने के बाद भोजनादि से निवृत्त हो कर अपनी घर के बाहर की पोशाक धोती, बंडी, पगड़ी पहनते, आँखों पर गोल शीशों की एनक और हाथ में एक छड़ी और राखियों का थैला ले कर निकलते और नगर के सारे महाजनों की दुकानों पर उन की तराजू को रक्षा सूत्र बांध कर संध्या तक वापस लौटते। इस से उन्हें कोई विशेष आमदनी होती। लेकिन उन्हें संतोष प्राप्त होता। वे कहते यह शुभकामना देने और आपसी रिश्तों को मजबूत करने का काम है। लोग इसे आशीर्वाद मानते हैं। कोई महाजन छूट जाता तो वह उलाहना देने आता। दादा जी को कहता -आप हमें भूल गए, राखी बांधने नहीं आए।
भारतीय दर्शन परंपरा में अद्वैत मानता है कि सारी सृष्टि का सृजन एक ही ब्रह्म से हुआ है और वह ब्रह्म में ही स्थित है। विशिष्ठाद्वैत कहता है जिस तरह वृक्ष बीज का ही विस्तार है यह अनुभवगम्य जगत भी ब्रह्म का ही विस्तार है। साँख्य यह कहता है कि प्रकृति का विकास ही यह जगत है। जब संपूर्ण जगत एक ही ब्रह्म या प्रकृति से उत्पन्न और उस में स्थित है तो सारा विश्व एक अदृश्य भ्रातृत्व से बंधा है। आप मानें या मानें आप सब भाई हैं ही। रक्षा बंधन इसी तथ्य को स्मरण करने का दिन है। आधुनिक विज्ञान ने यह साबित कर दिया है कि पूरी मानव जाति (होमोसेपियन्स) का एक ही स्थान (अफ्रिका) से उद्भव हुआ और कालांतर में वह पूरी पृथ्वी पर फैल गई। स्थान भेद से उन में रंग,रूप आदि भेद उत्पन्न हो गए। इस तरह पूरी मानव जाति भ्रातृत्व में बंधी है।
आज का दिन इन्हीं मान्यताओं और समझ को आत्मसात करने का है और विश्व-भ्रातृत्व की भावना को विस्तार देने का संकल्प करने का है। सब को रक्षा-बंधन के इस महापर्व पर बधाई और शुभ कामनाएँ। विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!



13 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

is baar raakhi japan kae stores mae bhi daekhi apni pramparaaye ham sab jagah lae jaa rahey haen is sae achcha kya hoga

sabhie kop is pavan parv ki badhaaii

श्यामल सुमन ने कहा…

संस्मरण के साथ साथ विश्व-भ्रातृत्व का संदेश - बहुत ही सकारात्मक पोस्ट दिनेश भाई। इस पावन दिवस की शुभकामना।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक बधाई. आप्ने परंपराओं की अच्छी याद दिलाई.

रामराम.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

रक्षाबंधन का श्रवण कुमार की कथा से संबंध भी है, यह मेरे लिए जानकारी है। आभार।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

कई बार सोचता हूं कि इस दिन सार्वजनिक अवकाश क्यों नहीं होता ?

Unknown ने कहा…

waah
waah
bahut khoob
umdaa post...........

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

बड़े मौके पर देख रहा हूं आपकी पोस्ट। अभी अभी मेरी बहन की राखी मिली है कूरियर से। बहुत प्रसन्नता है।
आपको बधाई इस दिन पर।

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

शुभ कामनाएं। साधुवाद।

बेनामी ने कहा…

विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!

Gazab ki Samjik Aur Adhyatmik post hai yeh. Ek naee drishti ke Saath.
Badhai Raksha Bandhan ki.

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत सुन्दर पोस्ट है आपको भी रक्षा बन्धन की बहुत बहुत बधाई

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

Beautiful rakhi lagai apne. Happy Rakshabandhan.

पाखी की दुनिया में देखें-मेरी बोटिंग-ट्रिप

ghughutibasuti ने कहा…

रक्षाबन्धन के दिन श्रवण कुमार का स्मरण शायद केवल राजस्थान में होता है।

घुघूती बासूती

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

Happy Raksha ~~
Bandhan to you Dinesh bhai jee