अम्माँघर के सभी दरवाजों के दोनों और खड़िया से पुताई कर उस पर श्रवण कुमार का माँडना माँडती। उन की पूजा से त्योहार आरंभ होता। वही श्रवण कुमार जो मातृ-पितृ भक्ति के लिए जाने जाते हैं, जिन्हों ने कावड़ में बिठा कर सारे तीर्थ अपने माता-पिता को कराए।दोपहरबादनगरकेदूसरेछोरपररहनेवालीबुआआजातीं।फूफाजीतोसुबहसेहीमंदिरमेंहोतेहमारेकाममेंहाथबंटानेको।वेचायपीतीं, नाश्ताकरतींबहनोंकोबुलाकरराखीबांधनेकीतैयारीकरलेतीं।बहनेंआतीबुलाजातीं -दोमिनटकामछोड़करराखीतोबंधवालो।परकामतोकामथा।जबतकहाथकाकामपूरानहोकैसेस्थानछो़ड़ें।बहनेतीन-चारबारबुलाजातीं।फिरअंतिमउलाहनाआजाताजल्दीसेराखीबंधवालोफिरबुआचलीजाएँगी।पिताजीकामछोड़उठजाते।सबकोकहते -सबकामछोड़, पहलेराखीबंधवालो।सबकामछोड़राखीबंधवानेकतारसेबैठजाते।राखीबांधनेमेंजितनीदेरलगतीअम्माँचायबनाकरसबकेलिएलातीं।वहदस-पन्द्रहमिनटकाराखीबंधवानेकासमयपूरेदिनकीथकानउतारदेता।बुआकहतीं -भाईसाहबपरसोंभैयादूजपरभोजनहमारेयहाँकरेंगे।पिताजीसहर्षहाँकरदेतेऔरभैयादूजकोतिलककरानेबुआकेयहाँजाते।
भारतीयदर्शनपरंपरामेंअद्वैतमानताहैकिसारीसृष्टिकासृजनएकहीब्रह्मसेहुआहैऔरवहब्रह्ममेंहीस्थितहै।विशिष्ठाद्वैतकहताहैजिसतरहवृक्षबीजकाहीविस्तारहैयहअनुभवगम्यजगतभीब्रह्मकाहीविस्तारहै।साँख्ययहकहताहैकिप्रकृतिकाविकासहीयहजगतहै।जबसंपूर्णजगतएकहीब्रह्मयाप्रकृतिसेउत्पन्न और उस में स्थित हैतोसाराविश्वएकअदृश्यभ्रातृत्वसेबंधाहै।आपमानेंयानमानेंआपसबभाईहैंही।रक्षाबंधनइसीतथ्यकोस्मरणकरनेकादिनहै।आधुनिकविज्ञाननेयहसाबितकरदियाहैकिपूरीमानवजाति (होमोसेपियन्स) काएकहीस्थान (अफ्रिका) सेउद्भवहुआऔरकालांतरमेंवहपूरीपृथ्वीपरफैलगई।स्थानभेदसेउनमेंरंग,रूपआदिभेदउत्पन्नहोगए।इसतरहपूरीमानवजातिभ्रातृत्वमेंबंधीहै।