मंगलवार, 17 मार्च 2009
अमन काचरू के पिता को अपने पुत्र के अपराधियों की सजा में रुचि नहीं, रेगिंग का उन्मूलन चाहते हैं
हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा में 8 मार्च को रेगिंग के शिकार छात्र अमन काचरू के पिता श्री राजेन्द्र काचरू ने रेगिंग के निवारण को ही अपने जीवन का उद्धेश्य बना लिया है। उन्हों ने गुड़गाँव में संवाददाताओं को कहा कि रैगिंग पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के "वास्तविक क्रियान्वयन" से रेगिंग की समस्या का निवारण किया जा सकता है। अमन की रेगिंग के दौरान दी गई यातनाओं के कारण मृत्यु हो चुकी है। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
काचरू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश एक उदाहरण है। देश के सभी शिक्षण संस्थानों को इस आदेश को केवल औपचारिकता मात्र नहीं समझना चाहिए अपितु इस से सीखना चाहिए और इस का वास्तव में पालन करना चाहिए। उन्हों ने कहा कि मैं इस में रुचि नहीं रखता कि मेरे बेटे के अपराधी को क्या सजा मिलती है। मैं चाहता हूँ कि रेगिंग रुके और बच्चे इस का शिकार न बनें। सभी छात्रों के माता पिता को सुनिश्चित करना चाहिए कि उन की संताने रेगिंग में शामिल तो नहीं हैं। रेगिंग का उन्मूलन होना ही चाहिए।
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13 टिप्पणियां:
आजकल बड़ा ही गन्दा चलन बन गया है रैगिंग का ।
एक जमाने मे रैगिंग जूनियर और सीनियर के बीच दोस्ती बनाने के लिए होती थी ।
अफ़सोस की बात है कि रैगिंग की वजह से हर साल कितने छात्र-छात्राएं अपनी जान गवां देते है ।और रैगिंग करने वाले छात्र-छात्राएं अपना करियर भी ख़राब करते है । जब सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर रहे है तो क्या कहा जाय ।
केरल मे भी तो एक लड़की ने रैगिंग की वजह से आत्महत्या की कोशिश की थी ।
रेगिंग का यह रूप देख कर कौन अपने बच्चो को बाहर भेजना चाहेगा ....सख्त नियम लागू होने चाहिए इस पर
ये उनका बड़प्पन है द्रिवेदी जी मैंने दोनों माँ बाप का inteview टाईम्स now पर देखा था .हिल गया था ...इकलौते बेटे को खोकर भी उनकी मानवीयता ओर जज्बे को देखकर लगा वाकई इस देश में अभी बहुत से ऐसे लोग है जो इस कंक्रीट ओर झूठी दुनिया में एक उम्मीद की लौ जलाये रखे है
बहुत जीवट वाले हैं. रैगिंग भी एक ्कोढ है, जिसके खिलाफ़ सख्ती बरती जानी चाहिये.
रामराम.
व्यक्तिगत दुख से ऊपर उठ कर सामाजिक सरोकारों से जुड़ने वाले इस पिता के हौसले को नमन।
श्री काचरू जो करना चाहते हैं, वह अनुकरणीय है. अमन को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी.
कचरू जी के साथ पूरी संवेदनायें हैं।
कचरू जी के बेटे की मृत्यु से ही सही
एक बुरी प्रथा का अँत होगा
स्नेह,
- लावण्या
रेगिंग हर उलटी बिमारी भारत मै ही है, पता नही क्यो यह रेगिंग भी भारत मे ही है किसी अन्य देश मै नही, ओर इस रुप मै को कदापि नही, हं इसे जड से खत्म किया जाना चाहिये, ओर दोषियो को बहुत ही सख्त सजा दे देनी चाहिये, अमन के दोषियो को वो सजा दे दी जाये की अन्य रेगिंग करने वाले रेगिंग करने से पहले हजार बार सोचे... यानि सजाये मोत.
धन्यवाद
रैगिंग जैसे अपराध को रुकना ही चाहिए. ईश्वर अमन की आत्मा को शान्ति दे. ऐसे दुखद समय में भी अमन के माता-पिता का मानसिक संतुलन और व्यवहार सराहनीय है. बड़े अफ़सोस की बात है कि छोटी-छोटी बातों पर धरने, हड़ताल, दंगा-फसाद कर बैठने वाला हमारा समाज रैगिंग, रिश्वतखोरी, दहेज़, वेश्यावृत्ति, बाल-मजदूरी जैसे अक्षम्य अपराधों के प्रति इतना सहनशील है.
कल डॉक्टर अनुराग की पोस्ट पर किया गया कमेन्ट:
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हर साल रैगिंग होती है बच्चे छुपते फिरते हैं. वही बच्चे अगले साल रागिंग करते हैं ! अजीब सिलसिला चलता है. हर सीनियर बैच को ये लगता है की उनका बैच आखिरी था जब रैगिंग हुई थी. और अब तो कुछ होता है नहीं !
ऐसी घटनाएं जारी है. ये साइक्लिक प्रक्रिया जारी है :(
ऐसी घटनाओं के बाद तो ये एक भयंकर कुरीति के अलावा और कुछ नहीं लगता.
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बहुत ही दुख:द घटना ।
जवान बेटे की मृत्यु से उद्वेलित पिता का यह सोच और प्रयत्न अभिनन्दनीय है। काचरूजी ने 'व्यक्ति' के स्थान पर 'वृत्ति' को प्रतिशोध का लक्ष्य बनाया है।
ईश्वर उन्हें सफलता प्रदान करे और समाज को इस कोढ से मुक्ति मिल सके।
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