इन दिनों हिन्दी ब्लॉगिंग में कॉपीराइट का चर्चा रहा। एक-दो चिट्ठाकार साथियों से बातचीत से ऐसा अनुभव हुआ कि अधिकांश चिट्ठाकारों को कॉपीराइट कानून के सम्बन्ध में प्रारंभिक जानकारी भी नहीं है। कोई भी मामला अदालत के सामने आने पर कानून हमेशा यह मानता है कि प्रत्येक कानून का सभी नागरिकों को ज्ञान है। यदि आप किसी कानून के उल्लंघन के बारे में अदालत के समक्ष यह दलील दें कि आप तो उस से अनभिज्ञ थे और अनजाने में आप उस का उल्लंघन कर के कोई अपराध कर बैठे हैं तो अदालत आप की इस दलील पर कोई ध्यान नहीं देगी और आप को अनजाने में किए गए अपराध की सजा भुगतनी पड़ेगी। हाँ, अदालत सजा देते समय उस की मात्रा और प्रकार के बारे में विचार करते समय इस तथ्य को जरुर ध्यान में रखेगी कि आप ने यह अपराध पहली बार किया है या फिर दोहराया है। पहली बार में सजा मामूली चेतावनी या अर्थदण्ड होगी तो दूसरी बार में जेल जाने का अवसर आना अवश्यंभावी है।
आप की जानकारी के लिए इतना बता दूँ कि किसी भी कॉपीराइट के उल्लंघन पर कम से कम छह माह की कैद जो तीन वर्ष तक की भी हो सकती है, साथ में अर्थदण्ड भी जरुर होगा जो पचास हजार रुपयों से कम का न होगा और जो दो लाख रुपयों तक का भी हो सकता है। इस सजा को अदालत पर्याप्त और विशिष्ठ कारणों से कम कर सकती है लेकिन उसे इन पर्याप्त और विशिष्ठ कारणों का अपने निर्णय में उल्लेख करना होगा।
सभी चिट्ठाकारों को कॉपीराइट कानून की प्रारंभिक जानकारी होना आवश्यक है। इस कारण से इस कानून से सम्बन्धित प्रारंभिक जानकारी "अनवरत" के सहयोगी ब्लॉग "तीसरा खंबा" पर कुछ कड़ियों में प्रस्तुत की जा रही है जो सप्ताह में एक-या दो बार प्रकाशित की जाऐंगी।
9 टिप्पणियां:
द्विवेदी जी, आप की पोस्ट ने काफ़ी सोचने पर विवश किया. यह एक महत्वपूर्ण आयाम है ब्लागिंग का जिस पर गहराई से सोचे जाने की आवश्यकता अब और भी ज़्यादा लगने लगी है. मैंने तो आज से सावधान रहने की ठान ली है. आपका धन्यवाद. http://kabaadkhaana.blogspot.com/2008/02/blog-post_25.html
बहुत दिन बाद नेट पर आई और आपकी यह पोस्ट देखकर बहुत खुशी हुई । हमारे संशय दूर करने के लिए धन्यवाद ।
घुघूती बासूती
सही जानकारी दी..........
शुक्रिया हुकम इस जानकारी के लिए,
यह बहुतै जरुरी है!!
आप पुण्य का काम कर रहे हैं इस विषय पर लिख कर।
बढ़िया पोस्ट. धन्यवाद.
http://swapandarshi.blogspot.com/2008/02/blog-post_25.html
ye bhee dekhe
लेकिन अगर ऐसी बात पर कोई मुकदमा चलता है तो वो कहाँ चलेगा जैसे कॉपी करने वाला एक कोने में रहता हो और जिसका माल कॉपी हुआ वो दूसरे में।
kaanoon se hee saaree samasyaa sulajh jaayegee, aisaa bhee meraa manana nahee hai. Par log is baare me sachet rahe, aur anjaane me naa fanse ye bhee zarooree hai.
doosaraa aam paDhe -likhe naagriko ko jahan apane adhikaaro ki itanee parvaah rahatee hai, vahan jimmedaaree kaa ahasaas bhee honaa chaahiye.
kaanoon kaa dar se hee har kaam nahee karanaa chaahiye, ek naitiktaa ke bhee naye maandand sweekar karane honge.
blog abhee suruaatee daur me hai, agar is chhote se samooh me ek achchha culture banaayaa jaa sake to .....
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