भ्रष्टाचार विरोधी जन अभियान की आँच देश के कोने कोने तक पहुँच रही है। ऐसे में मेरा नगर कोटा कैसे चुप रह सकता था। यहाँ भी गतिविधियाँ आरंभ हो गई हैं। गतिविधियों की एक रपट अख्तर खान अकेला ने अपने ब्लाग पर यहाँ प्रस्तुत की है। कल शाम बहुत से गैर राजनैतिक संगठनों के प्रतिनिधियों की एक बैठक बुलाई गई है। उस में कोटा में इस आन्दोलन को आगे बढ़ाने की योजना पर विचार होगा। इस बैठक में उपस्थित रहने का मेरा पूरा प्रयास रहेगा।
आज कोटा न्यायालय में भी इस आंदोलन की सुगबुगाहट रही। वकील आपस में बातें करते रहे कि उन्हें भी इस मामले में कुछ करना चाहिए। किसी ने कहा कि कल वकीलों को न्यायिक कार्य का बहिष्कार कर धरने पर बैठ जाना चाहिए। कुछ देर बाद दो वकील एक आवेदन पर वकीलों के हस्ताक्षर कराते दिखाई दिए। हर स्थान पर वकीलों का एक वर्ग होता है जो इस तरह के मुवक्किलों का प्रतिनिधित्व करता है जिन्हें मुकदमे का निर्णय न होने में अधिक लाभ होता है। ये दीवानी मामलों के वे पक्षकार होते हैं जिन के विरुद्ध न्यायालय से राहत मांगी गई होती है। या फिर वे अभियुक्त होते हैं जिन्हें सजा का भय सताता रहता है और मुकदमे के निर्णय को टालते रहते हैं। यह वर्ग हमेशा इस तलाश में रहता है कि कोई मुद्दा मिले और वे न्यायिक कार्य का बहिष्कार (वकीलों की हड़ताल) कराएँ। वकीलों की हड़ताल कभी दो-चार लोगों या वकीलों के एक समूह के आव्हान पर नहीं होती। वह हमेशा अभिभाषक परिषद के निर्णय पर होती है। ये दोनों वकील अभिभाषक परिषद को कल की हड़ताल रखने के लिए परिषद को दिए जाने वाले ज्ञापन पर वकीलों के हस्ताक्षर प्राप्त करने का अभियान चला रहे थे।
वे मेरे पास भी आए। मैं ने आवेदन पढ़ा और उस पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। उन्हों ने पूछा -आप अण्णा के आंदोलन का समर्थन करते हैं? मैं ने कहा -हाँ। -तो फिर आप को इस आवेदन पर हस्ताक्षर कर देने चाहिए। मैंने उन्हें कहा कि अण्णा कामबंदी पसंद नहीं करते, आप अण्णा की शुचिता के विरुद्ध काम कर रहे हैं। आप को अण्णा के आंदोलन का समर्थन करना है तो अभिभाषक परिषद की आम-सभा बुलवाइए और उस में संकल्प लीजिए कि कोई भी वकील और उस का मुंशी अदालत के किसी भी क्लर्क, चपरासी, न्यायाधीश, सरकारी अभियोजक और पुलिसकर्मी को जीवन में कभी कोई रिश्वत नहीं देगा। यदि किसी वकील या उस के मुंशी का ऐसा करना प्रमाणित हुआ तो उसे त्वरित कार्यवाही कर के अभिभाषक परिषद की सदस्यता से जीवन भर के लिए निष्कासित कर दिया जाएगा और बार कौंसिल को यह सिफारिश की जाएगी कि वह उस का वकालत करने का अधिकार सदैव के लिए समाप्त कर दे। इतना सुनने पर दोनों वकील अपना आवेदन ले कर आगे बढ़ गए।
मैं जानता था कि यदि सौ लोगों से हस्ताक्षर युक्त आवेदन भी अभिभाषक परिषद के पास पहुँचा तो कार्यकारिणी दिन भर के न्यायिक कार्य के बहिष्कार की घोषणा कर देगी। मैं तुरंत अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष के पास पहुँचा और उन्हें एक लिखित पत्र दिया, कि कुछ लोग अण्णा के आन्दोलन का समर्थन करने के बहाने आप से कल न्यायिक कार्य स्थगित करने का निर्णय लेने के लिए वकीलों से हस्ताक्षर करवा रहे हैं। आवेदन कुछ ही देर में आप तक पहुँचेगा। किन्तु अण्णा कामबंदी पसंद नहीं करते। यदि अभिभाषक परिषद इस आंदोलन का समर्थन करती है तो सब से पहले उस के प्रत्येक सदस्य को यह संकल्प करना होगा कि वह स्वयं को आजीवन भ्रष्टाचार से मुक्त होने की घोषणा करे। इस के बाद ही इस आंदोलन के समर्थन में खड़ा हो और कामबंदी बिलकुल न की जाए।
शाम को अभिभाषक परिषद की कार्यकारिणी की बैठक हुई। मैं ने अभी परिषद के अध्यक्ष को फोन पर पूछा कि क्या निर्णय लिया गया? तो उन्हों ने बताया कि केवल दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक न्यायिक कार्य को स्थगित किया जाएगा और सभी अभिभाषक इस अवधि में धरने पर उपस्थित हो कर अण्णा के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का समर्थन करेंगे। उन्हों ने बताया कि मेरे पत्र पर विचार किया गया था। लेकिन इस सम्बन्ध में आम राय होने पर ही कोई प्रस्ताव लिया जाना संभव है।
मेरा अपना मत है कि जो व्यक्ति स्वयं भ्रष्टाचार से दूर रहने का संकल्प नहीं करता है उसे इस आंदोलन का समर्थन करने और उस में शामिल होने का कोई अधिकार नहीं है। ऐसे लोगों के समर्थन और आंदोलन में शिरकत से आंदोलन को मजबूती नहीं मिलेगी। ऐसे लोग आंदोलन को कमजोर ही कर सकते हैं। आम लोगों में हर घटना, हर अवसर को अपने निजि स्वार्थ के लिए उपयोग कर लेने की प्रवृत्ति होती है। लेकिन इस आंदोलन की सफलता इसी बात पर निर्भर करेगी कि वह ऐसी प्रवृत्ति पर काबू करने की समुचित व्यवस्था बनाए रखी जाए। हमारे यहाँ व्यवस्था गिराऊ आंदोलन सफलता प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन एक व्यवस्था के गिरने पर कोई भी देश किसी निर्वात में नहीं जी सकता। उसे एक वैकल्पिक व्यवस्था दिया जाना आवश्यक है। यदि मजूबत वैकल्पिक व्यवस्था न मिले तो जिन प्रवृत्तियों के विरुद्ध संघर्ष करते हुए विजय प्राप्त की जाती है वे ही फिर से हावी हो कर नई व्यवस्था को पहले से अधिक प्रदूषित कर देती हैं।
19 टिप्पणियां:
आपका स्टैण्ड पूर्णतया उचित है...
आपकी सजगता और सक्रियता औरों के लिए प्रेरणा बने !
जो व्यक्ति स्वयं भ्रष्टाचार से दूर रहने का संकल्प नहीं करता है उसे इस आंदोलन का समर्थन करने और उस में शामिल होने का कोई अधिकार नहीं है- बिल्कुल सही कहा आपने. पूर्णतः सहमत...
आपका यह निर्णय उचित है ।
सच कहा है आपने, कामबंदी उपाय नहीं है, सिद्धान्ततः।
बिलकुल सही है ....यह मामूली काम नहीं है ! हर हालत में बड़ी बड़ी बाते करने से पहले अपना गिरेबान झांकना चाहिए ! अफ़सोस है खुद को कोई नहीं देखता ...शुभकामनायें !!
स्वागतेय ताजी वैचारिक बयार. (भाइयों को ऐतराज न हो कि आंधी, तूफान, सुनामी क्यों नहीं कहा जा रहा है.)
जिन प्रवृत्तियों के विरुद्ध संघर्ष करते हुए विजय प्राप्त की जाती है वे ही फिर से हावी हो कर नई व्यवस्था को पहले से अधिक प्रदूषित कर देती हैं।
यही सारभूत वाक्य है !
खुद ईमानदार होते हुए भी जब इंसान गरीब होता हैं और बेईमान को अमीर देखता हैं तो शायद रास्ता दिखना बंद हो जाता हैं
आपसे सहमत हूँ..
व्यक्ति स्वयं संकल्प ले की घुस नहीं देगा और नहीं लेगा तो हल जल्दी निकल सकता है.. लेकिन हरे-हरे नोट लोगों का ईमान ख़राब कर ही देते हैं.
avasarvadi......to.....aise hi avsar......ke khoj me rahta hai.....
apke vichar aur nirnay prabhavit karte hain......
yaksh prashn 'mai kyon nahi..anna'
pranam.
मैं समझ चुका हूँ की अब दूर से यह कहने से काम नहीं चलेगा की अन्ना तुम संघर्ष करो हुम तुम्हारे साथ हैं, दुनिया भर के समाचार पत्र पढ़ कर ऐसा लग जरूर रहा है की अन्ना बस लड़ाई जीत गए, सभी बुद्धीमान लोग अच्छी तरह समझ रहे होंगे की जिनके सामने सत्याग्रह किया जा रहा है वे अधिकतर बेहद घाघ एवं धूर्त हैं, आसानी से नहीं मानेंगे, सबको उलझाए रखेंगे, तमाम सारे नियमों का हवाला देंगे, हाँ अगर वे डर रहे हैं तो अन्ना के जिद्दी स्वभाव से की यह वृद्ध व्यक्ति अनशन के कारण कहीं स्वर्गवासी हो गया तो तो हमारे लेने के देने पड़ जायेंगे और बस यही एक कारण दिखता है सफलता का, अन्ना किसी की बात ना सुने, अपनी उचित बात मनवा कर ही दम लें. मैं तो आज ही निकल रहा हूँ दिल्ली के लिए हालांकि मै बहुत शर्मिन्दा हूँ की मैंने यह कदम इतनी देर से क्यों उठाया मैं इसके लिए सारे देशवासियों से अंतरात्मा से क्षमा माँगता हूँ. बस अभी दो ढाई घंटे में दिल्ली पहुँच जाउंगा चाहे कारोबार कितना भी प्रभावित हो.
आपका कदम अनुकरणीय है। हम सबको अपनी जगह पर रहते हुए ऐसा हर संभव प्रयत्न करना चाहिए।
चोरों को तो मौका चाहिए ये किसी के मरने पर मर्सिया गाने के बहाने जायेगे और कफ़न में चढ़े पैसे अंटी में डाल कर चलते बनेगे.
यह आन्दोलन फैशन में नही बदलना चाहिए सत्ता पक्ष इसी ताक में लगा है और उसने अपने आदमी भी फिट कर रखे होंगे. जरूरत है उन्हें पहचानने और बाहर करने की
आपने सही कहा।
सारा देश हजारे के साथ है
आपके लेख में व्यक्त विचारों से पूरी तरह से सहमत हूँ. खासतौर पर तीसरा पैराग्राफ "वे ............उस का वकालत करने का अधिकार सदैव के लिए समाप्त कर दे। इतना सुनने पर दोनों वकील अपना आवेदन ले कर आगे बढ़ गए।
बजा दिया क्रांति बिगुल, दे दी अपनी आहुति अब देश और श्री अन्ना हजारे की जीत पर योगदान करें आज बगैर ध्रूमपान और शराब का सेवन करें ही हर घर में खुशियाँ मनाये, अपने-अपने घर में तेल,घी का दीपक जलाकर या एक मोमबती जलाकर जीत का जश्न मनाये. जो भी व्यक्ति समर्थ हो वो कम से कम 11 व्यक्तिओं को भोजन करवाएं या कुछ व्यक्ति एकत्रित होकर देश की जीत में योगदान करने के उद्देश्य से प्रसाद रूपी अन्न का वितरण करें.
महत्वपूर्ण सूचना:-अब भी समाजसेवी श्री अन्ना हजारे का समर्थन करने हेतु 022-61550789 पर स्वंय भी मिस्ड कॉल करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे. पत्रकार-रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना हैं ज़ोर कितना बाजू-ऐ-कातिल में है.
आपने एक बहुत सही बात कही है. मैं इस से पूर्णतया सहमत हूँ. जो व्यक्ति स्वयं भ्रष्टाचार से दूर रहने का संकल्प नहीं करता है उसे इस आंदोलन का समर्थन करने और उस में शामिल होने से बचना चाहिए. ऐसे लोगों का समर्थन आंदोलन को मजबूत नहीं करेगा बल्कि कमजोर का देगा.
सहमत हूं… लेकिन ऐसे "अवसरवादी" तत्व तो खुद अण्णा के आंदोलन में उनके साथ मंच पर भी मौजूद थे, उनसे कैसे निजात मिलेगी… :)
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