दिल्ली में कोहरा है
वायुयान देरी से उड़ रहे हैं
या उड़ानें रद्द हैं
कहीं कहीं बरसात है
पीछे तेज हवा है
शीत लहर जारी है
अखबारों में लोगों के
सर्दी से मरने की खबरें हैं
यह कोई कविता नहीं, मौसम का जायजा भर है। आप यादवचंद्र जी से अवश्य परिचित होंगे यदि नहीं तो यहाँ इस ब्लाग पर यादवचंद्र वाली टैग को क्लिक कर देखें, आप उन्हें जानने लगेंगे। यहाँ उन की एक कविता प्रस्तुत है......
मरे ठंड से
- यादवचंद्र
सूरज - चांद - सितारे सारे अस्त आज दो हफ्तों से
मंगन - दाता - सेठ - मजूरे त्रस्त आज दो हफ्तों से
रिक्सा चला, न गाड़ी निकली पस्त आज दो हफ्तों से
सिर्फ शराबी - तस्कर - नेता व्यस्त आज दो हफ्तों से
जोर ठंड का ऐसा प्यारे
दूकानों से लकड़ी गायब
गाँव गाँव में जोर श्राद्ध का
कफन, दही, औ पगड़ी गायब
पाले के मारे खेतों से
आलू दलहन मसूरी गायब
पॉकिट कटी कमल साहु ने
हुई भूख से अंतड़ी गायब
अन्न - वस्त्र के बिना मरे, पर
रपट हो गई - मरे ठंड से
खैर, सभी दल मिल - जुल उन की
शोक - सभा कर रहे ढंग से
पारित कर प्रस्ताव शोक का
भाषण देंगे अंग - अंग से
भरे - पेट अखबार रहेंगे
फोटो - भाषण - ग़ज़ल - व्यंग से
बूढ़े, बच्चे नाक सुड़कते खाँस रहे दो हफ्तों से
कब दिन बदले, पंडित पतरा बाँच रहे दो हफ्तों से
कब ब्याहेगी गैया, दादी आँक रही दो हफ्तों से
गौने आई दुलहन सूरज झाँक रही दो हफ्तों से
12 टिप्पणियां:
मत कुछ कहिये ,जिन्दगी दरहम बरहम है
अहा,
हम भी गर्मी माँग रहे, बेहाल हुये दो हफ्तों से।
अभी तो शुरुआत है .....
शुभकामनायें आपको !
प्रवीणजी बंगलौर में बेहाल हो गये ? जब हम वहाँ रहते थे भारतीय विज्ञान संस्थान में, तो कुछ खास सर्दी नहीं पडती थी। उसके बाद जब ह्यूस्टन में आये तो यहां के मौसम पर निहाल हो गये, जहां अधिकतर अमेरिका ठंड मे मरा जा रहा है, हम टीशर्ट पहन कर दौड लगा रहे हैं, ऐसे मौसम पर कौन न दीवाना हो जाये । पूरे सीजन में १० दिन कडाके की ठंड पडती है, लेकिन ऐसे पडती है कि अगर आज तापमान २० डिग्री है तो कल शून्य डिग्री, ये ही हमारे शहर की खासियत है।
आज शाम पांच बजे ऐसे बादल बरस रहे थे कि पूरा शहर बह जायेगा, छ: बजे हम बिना बरसात के छ: मील दौड आये और दस बजे बीयर पीकर बाहर निकले तो तारे टिमटिमा रहे थे। जय ह्यूस्टन :)
बढ़िया प्रस्तुति ..
bhaaijaan mujhe bhi bhut tez thnd lgne lgi he . akhtar khan akela kota rajsthan
जनता क्या करे,हमारी सरकार ओर अफ़सर शाही ने देश का स्त्य नाश कर रखा हे , कोई सिस्टम नही, भगवान भरोसे देश चल रहा हे, जब कि विदेशो मे भारत से बीस गुणे ज्यादा सर्दी पडती हे, लेकिन सरकार को फ़िक्र होती हे जनता की, ना की अपने ऎशो आराम की.
इस अच्छी कविता के लिये आप का धन्यवाद
@@सिर्फ शराबी - तस्कर - नेता व्यस्त आज दो हफ्तों से...
बहुत खूब.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
सिर्फ शराबी - तस्कर - नेता व्यस्त आज दो हफ्तों से. बाकि तो देखो फिर सब को, मरे पडे हैं ठंडी से.
नूतन वर्ष आपके लिये शुभ और मंगलमय हो...
इसे 'पडे हुए हैं ठंडी से' पढा जाए.
शब्द शब्द में जिंदगी की किताब
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