उरुग्वे और घाना के बीच फुटबॉल क्वार्टर फाइनल मुकाबला सुबह होने तक चलता रहा। हम सोचते थे इस बार घाना सेमीफाइनल में प्रवेश कर यहाँ तक पहुँचने वाली पहली अफ्रीकी टीम बन जाएगी। लेकिन इतिहास रचते रचते रह गया। खेल का उत्तरार्ध आरंभ हुआ ही था कि उरुग्वे एक गोल बना कर बराबरी पर आ गई। यह बराबरी समय समाप्त होने तक बनी रही। अतिरिक्त समय के अंतिम क्षणों में घाना को एक पैनल्टी शूट मिला लेकिन बॉल गोल-पोल से टकरा कर ऊपर निकल गई। उरुग्वे का गोली बाद में बहुत देर तक गोल-पोल को चूमता रहा जैसे वह उन की टीम का बारहवाँ खिलाड़ी हो। क्यों न चूमता? आखिर उस की भूमिका कम न थी। फिर हुआ पैनल्टी शूट आउट। उरुग्वे के एक शूटर ने गलती की और बॉल गोल सीमा के बहुत ऊपर से निकली। लेकिन उन के गोली ने दो गोल बचा लिए और उरुग्वे घाना की चुनौती समाप्त करते हुए सेमीफाइनल प्रवेश पा गया।
अब हम फुटबॉल तो क्या किसी ऐरे-गैरे खेल के भी विशेषज्ञ नहीं हैं जो इस मैच की समीक्षा करें। हम ने स्कूल में फुटबॉल खेलने की कोशिश जरूर की थी। रोजाना प्रेक्टिस पर भी जाते थे। पर टीम में स्थान न बना पाए। शायद टीम वालों को हमारे आकार का भय सताता रहा हो कि कहीं ऐसा न हो कि विपक्षी टीम के खिलाड़ी हमें ही फुटबॉल न समझ बैठें। फिर एक दिन इस फुटबॉल प्रेम का अंत हो गया। हुआ यूँ कि हम हैडर मारना चाहते थे, लेकिन फुटबॉल ने हमें अपनी साथी समझ लिया। माथे पर ऐसी चिपकी कि चक्कर आ गए। घायल हो कर घर लौटे तो दादा जी ने हिदायत दे डाली कि हम फुटबॉल न खेलेंगे। उन के आदेश की कोई अपील भी तो न थी। अब फुटबॉल से ये जो दर्शकीय प्रेम बचा है उस का मुजाहिरा कैसे तो करें?
अब हम क्या कहें? कल हम चाहते थे कि ब्राजील जीत जाए लेकिन वह हार गया। फिर घाना पर विश्वास जमाया तो वह भी पैनल्टी शूट-आउट में पिट गया। घाना के खिलाड़ियों में जीत का माद्दा था और इच्छा भी। लेकिन अनुभव और प्रशिक्षण की कमी उन्हें ले डूबी। जैसे घाना के हालात हैं, उन में प्रशिक्षण सुविधाएँ मेरे विचार में उन्हें कम ही मिली होंगी। यदि इसी टीम को ये सब मिल जाए तो यह आने वाले मुकाबलों में बहुत सी टीमों के लिए चुनौती बन कर खड़ी हो सकती है। घाना हार भले ही गई हो, लेकिन खिलाड़ियों के खेल ने मेरे दर्शक का दिल जरूर जीत लिया। रात जाग कर मैच देखना नहीं अखरा।
आज अब आधा घंटा भी शेष नहीं रहा है। विश्वकप का सब से दिलचस्प मुकाबला आरंभ होने में। जर्मनी और अर्जेंटीना दोनों ही टीमें कप की प्रबल दावेदार हैं। माराडोना तो अर्जेंटीना को कप मिलने पर निर्वस्त्र हो कर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करने पर उतारू हैं। कल तो अपनी पसंदीदा टीमों के हार जाने पर कतई निराशा नहीं हुई थी। लेकिन आज दुख अवश्य होगा। हम चाहते थे कि ये दोनों टीमें कम से कम सेमीफाइनल तक अवश्य पहुँचें। पर उन में से एक को आज दौड़ से बाहर होना होगा। दूसरा मैच पराग्वे और स्पेन के बीच है। यह मुकाबला भी दिलचस्प होने वाला है। आप भी जरूर देखिएगा। केवल टीमों और खिलाड़ियों के कारण ही नहीं, मैदान में उन के लारिसा रिक्वेल जैसे जोशीले समर्थकों के कारण भी।
5 टिप्पणियां:
बेहतरीन विवरण, आँखों देखा हाल! बहुत खूब!
लो जी हमारी निकम्मी टीम दुनिया की बेहतरीन टीम से जीत गई ओर वो भी बहुत शानदार तरीके से, अब जर्मनी बन सकता है फ़ुट वाल की दुनिया का मास्टर
आज जर्मनी का खेल देखकर मजा आ गया
घाना को आगे देखने कि मेरी भी तमन्ना थी :(
आर्जेन्टीना की ऐसी पिटाई ?
आह. लगा की जैसे क्रिकेट मैं इंडिया की टीम बांग्लादेश को धो रही हो.
बहुत निराशा हो रही है !
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