@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: जी, वकालत करता हूँ।

शुक्रवार, 6 मार्च 2009

जी, वकालत करता हूँ।

अंग्रेजी शब्दों का हिन्दी में अनुवाद करना और उन का प्रचलित होना भी अजीब झमेला है।  भारत का हिन्दी बोलने और व्यवहार करने वाला क्षेत्र बहुत ही व्यापक है, और इसी लिए जो नतीजे सामने आते हैं वे भी बहुत विविध होते हैं।  अब अंग्रेजी में दो शब्द हैं, लॉ'यर (Lawyer) और एड'वॅकेट (Advocate)।  पहले शब्द का अर्थ होता है जो विधि (कानून) की जानकारी रखता है और उसी का व्यवसाय करता है।  दूसरे शब्द का अर्थ है किसी अन्य की पैरवी करने वाला।  भारत में अंग्रेजी का प्रभाव आरंभ होने के सदियों पहले से इन दोनों शब्दों के लिए एक बहुत ही सुंदर शब्द प्रचलित है 'वकील' जिस में ये दोनों भाव मौजूद हैं।  मुस्लिम निकाह के दौरान जहाँ वधू पर्दे में होती है और सब के सामने नहीं आ सकती, वहाँ वर की ओर से वधू को अपनी जीवन संगिनी बनाए जाने का प्रस्ताव ले कर वधू के पास जाने वाले और उस का उत्तर ले कर काजी तक पहुँचाने वाले व्यक्ति को भी वकील कहते हैं।  क्यों कि वह वर का प्रस्ताव ले जा कर वधू को देता है।  इस से यह स्पष्ट है कि इस शब्द में दूसरे की बात को किसी तीसरे के सामने रखने वाले व्यक्ति को वकील कहा जाता है।  सामान्य रूप से यदि कहीं किसी विवाद में हम अनपेक्षित रूप से किसी को अचानक किसी उपस्थित या अनुपस्थित व्यक्ति का तर्क सहित समर्थन करता देखें तो तुरंत उसे यह कह बैठते हैं कि, तुम उस के वकील हो क्या?  कुल मिला कर वकील एक व्यापक शब्द है जो अंग्रेजी के उक्त दोनों शब्दों के लिए पूरी तरह उपयुक्त है, व्यवहार में आसान है और इसलिए हिन्दी भाषियों के बीच बहुप्रचलित है।

लॉ'यर (Lawyer) शब्द जिन के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है, जरूरी नहीं कि वे किसी की पैरवी भी करते हों।  वे केवल कानून के व्याख्याकार भी हो सकते हैं।  किसी समस्या के समय उपस्थित होने वाले इस प्रश्न को कि, कानून उन्हें किस प्रकार से व्यवहार करने को कहता है?  हल करने वाले को भी लॉ'यर (Lawyer) कहते हैं।  भारत की अदालतों में जब पैरवी करने वालों के व्यवसाय के नियमन के लिए कानून की जरूरत हुई तो  एडवोकेट, शब्द का उपयोग हुआ और एडवोकेट एक्ट बनाया गया। जो व्यक्ति बार कौंसिल में पंजीकृत हो और व्यावसायिक रूप से अदालतों के समक्ष पैरवी करने को अधिकृत हो उसे एडवोकेट कहा गया।  इस कानून के पहले तक इस व्यवसाय को करने वालों को सामान्य रूप से वकील ही कहा जाता था।  वे लोग भी वकील कहे जाते थे जो बिना किसी विशिष्ठ शैक्षणिक प्रमाण पत्र या डिग्री के भी स्वयमेव अभ्यास से हासिल योग्यता के आधार पर पैरवी करने के लिए मान्यता हासिल कर लेते थे।  इस कानून के बनने के बाद बिना मानक शैक्षणिक योग्यता के पैरवी का अधिकार प्राप्त करना असंभव हो गया।

जब केवल मानक शैक्षणिक योग्यता वाले लोग ही वकील बनने लगे तो उन्हों ने खुद को पुराने अभ्यास के आधार पर वकील बने लोगों से खुद को अलग दिखाने के लिए खुद को एडवोकेट लिख कर प्रचारित करना प्रारंभ कर दिया जिस से वे ये दिखा सकें कि वे केवल अभ्यासी नहीं अपितु विधि स्नातक की योग्यता धारी वकील हैं।  जब अंग्रेजी शब्दों का हिन्दीकरण शुरू हुआ तो इस एडवोकेट शब्द का भी हिन्दीकरण आरंभ हो गया।  जो कहीं अभिभाषक हुआ तो कहीं अधिवक्ता हो गया।  इस का नतीजा यह हुआ कि यहाँ राजस्थान में हम एडवोकेट को अभिभाषक कहते हैं और बार ऐसोसिएशन अभिभाषक  परिषद लेकिन छत्तीसगढ़ में उसे हिन्दी में अधिवक्ता और अधिवक्ता संघ कहते हैं।  लेकिन यह लिखने भर को ही है।  एडवोकेट शब्द के लिए अब वकील शब्द ही सर्वाधिक उपयोग में लिया जाता है और वकीलों के संगठन के लिए बार एसोसिएशन शब्द।

शब्दों के उपयोग और उनके प्रचलन के अनेक आधार हैं।  यहाँ उन की चर्चा अप्रासंगिक होगी और उस का अधिकार केवल भाषा-शास्त्रियों को है, मुझे नहीं।  लेकिन शब्दों का उपयोग लोग अपनी सुविधा के अनुरूप करते हैं,  किसी कानून और कायदे से नहीं।  यही कारण है कि भाषाओं के विकास को कभी भी नियंत्रित किया जाना संभव नहीं हो सका है और न कभी हो पाएगा।  अंत में इतनी सी बात और कि कोई खुद को एडवोकेट, अभिभाषक, अधिवक्ता या वकील कुछ भी कहना-कहलाना पसंद करता हो लेकिन जब उस से पूछा जाता है कि वह क्या करता है तो वह यही कहता है,  जी, वकालत करता हूँ !

18 टिप्‍पणियां:

Arvind Mishra ने कहा…

यह अच्छा बताया आपने -हिन्दी भाषी प्रान्तों में एक ही अंगरेजी शब्दों के अलग अलग रूपों की एक अलग व्यथा कथा है जो कभी विस्तार से चर्चा की मांग करती है !

P.N. Subramanian ने कहा…

आपने सही कहा है. हिंदी की प्रांतीय शैलियाँ हैं. एक ही शब्द के अनेक रूप. कलेक्टर के लिए कहीं जिलाधीश है तो कही जिलाधिकारी. अब हमें ठीक से याद नहीं आ रहा., उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी एक ही कार्यालय के अलग अलग नाम हैं. आभार.

Anshu Mali Rastogi ने कहा…

वाह वकील बाबू क्या अच्छे से समझाया है।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत ज्ञानवर्धक जानकारी दी आपने.

रामराम.

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

बहुत बढ़िया रही यह शब्द चर्चा। वास्तव में इस प्रकार के आम प्रयोग में आने वाले शब्दों की व्याख्या की पोस्टें बहुत जरूरी हैं।

L.Goswami ने कहा…

बढ़िया जानकारी.

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छी व्याख्या की- अजीत जी याद आते रहे. :)

Smart Indian ने कहा…

लायर और अडवोकेट का अतिरिक्त अंग्रेजी में एक और शब्द अटोर्नी (Attorney, Attorney-at-law) का भी प्रयोग होता है. गांधी जी के ज़माने मैं बैरिस्टर (Barrister) हुआ करते थे शायद आज भी होते हों कुछ देशों में.

अधिवक्ता तो खूब प्रचलित है परन्तु अभिभाषक तो मैंने आपकी पोस्ट पर ही देखा. यह शब्द इतना अपरिचित और नया सा लगा कि शुरू में तो अभिभावक का भ्रम भी हुआ था.

Priyankar ने कहा…

बेहद सार्थक शब्द-चर्चा .

बेनामी ने कहा…

शब्द चर्चा अच्छी लगी।

कुछ ऐसा ही एक्ज़िक्यूटिव इंजीनियर के साथ है। कहीं उसे अधिशासी अभियंता कहा जाता है कहीं कार्यकारी अभियंता।
वैसे ही एक्ज़िक्यूटिव डायेरेक्टर को अधिशासी निदेशक और कार्यकारी निदेशक।

लेकिन, बताये जाने पर तो ईई/ ईडी ही बताया जायेगा :-)

अजय कुमार झा ने कहा…

dinesh bhai ,
badee hee dilchasp baatein bataayee aapne, waise aajakal to suna hai ki kuchh wakeelon se jab poochaa jaataa hai ki ,
kya karte hain aap ?

jee aaj kal to ham hadtaal karte hain.

ha ha ha ha......

अनिल कान्त ने कहा…

vakeel saahab bahut baareeki se samjhaya aapne

राज भाटिय़ा ने कहा…

दिनेश जी जो मिठास अपनी भाषा मै है वो दुसरी किसी भाषा मै नही( मै हिन्दी की बात नही कर रहा, अपनी से मतलब हर आदमी की अपनी मात्र भाषा)हमारी अपनी भाषा हिन्दी है, अगर आप एक दो साल तक हिन्दी ना बोलो ना सुनो ओर ना पढॊ ओर एक दिन अचानक आप को कोई हिन्दी बोलने वाला दिख जाये तो आप को ऎसा लगे गा जेसे कोई खोया हुआ भाई मिल गया.
वो ही बात आप ने यह कही कि जब किसी वकील से पुछो तो उस का जबाब .... .
धन्यवाद दिनेश जी, मुझे आप की यह लेख बहुत अच्छी लगी,

विष्णु बैरागी ने कहा…

लायर और एडवोकेट का अन्‍तर आज समझ में आया। सचमुच में ज्ञानवर्ध्‍दन किया आपकी इस पोस्‍ट ने।
शुक्रिया।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

आप सही कहते हैँ कि " वकालत करता हूँ " - शब्दोँ और कार्योँ का फर्क समझना जरुरी है
- लावण्या

संगीता पुरी ने कहा…

अच्‍छी जानकारी मिली ... आभार।

उन्मुक्त ने कहा…

एक बार कहीं पढ़ा था (शायद छागला कि आत्मकथा Roses in December में) कि जिन्ना अच्छे Advocate थे न कि अच्छे Lawyer। इसीलिये प्रिवी काउंसिल के सामने सफल वकील नहीं बन पाये। यह शायद इसलिये था कि वे तथ्य की बहस, जूरी के सामने अच्छी बहस कर पाते थे कानून की नहीं। शायद यह दोनो के अर्थ के अन्तर समझा पाये।

नितिन | Nitin Vyas ने कहा…

बहुत ज्ञानवर्धक!