मैंने अभी देखा की कुछ और ब्लोग्स को ब्लॉगर से हटा देने का आव्हान किया गया है। इस बात की मुझे पहले ही आशंका थी।
इससे अब अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो सकने की संभावना हो गई है। यह एक और ख़राब स्थिति है। इससे कैसे निपटा जा सकता है , इस पर विमर्श आवश्यक हो गया है। सभी हिन्दी ब्लोग्गेर्स को इस पर विचार करना पड़ेगा।
१, मार्च २००८,
भड़ास को किसी ने नहीं हटाया
भड़ास को की सी ने नहीं हटाया। न ब्लॉगर ने और न ही चिट्ठा संकलकों ने।
इसमें कोई भी बात बुरी नहीं। सबके अपने अपने पाठक हैं। मगर ख़ुद ही अपने चिट्ठे पर उसे हटाने का नाटक भी खूब रहा। हम गच्चा खा गए। कोई बात नहीं मधु मास चल रहा है और कुछ लोग मदन मस्ती पर उतर आये हैं। उन्हें अपना काम करने दीजिये। बाकी लोग अपना काम करें।
10 टिप्पणियां:
अच्छा है। पर ब्लॉगर ब्लॉग हटा सकता है, प्रवृत्ति नहीं!
I agree with you.
this is wrong information bhadaas is very much there on blogspot . only thing is they have changed the settings to adult and that is why we see a waarning in the begning . any one can change the blog setting to make it an adult blog and then first a waring will be shown . this waring has nothing to do with flaging . google will not do anything because for such things we need to get them deleted from agregators so that they dont come in mass circulation . and we should protest that if they are not removed from agregators our blogs should be removed from agregation . its high time we excercised our right to remain on a forum { agregator }
ये जो कुछ हिन्दी ब्लाग जगत में हो रहा है, बहुत गलत है। इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। ब्लाग बने थे विचारों को व्यक्त करने का माध्यम... और ये सब क्या होता जा रहा है... आप लोग स्वयं विचार कीजिये।
ये ही यशवंत सिंह स्टार न्यूज के सीनियर पत्रकार विनोद कापड़ी से भिड़ गए और उल्टा पुल्टा कहा था जिसने इनकी बात टेप कर जागरण अखबार के मालिकों को सुना दी जिसकी वजह से यशवंत को वहां से रवाना कर दिया गया। यह बात यशवंत जी जगजाहिर क्यों नहीं करते कि वे अपनी वाणी के साथ साथ दिमाग में भी कूडा रखते हैं।
badhiya kiya dhanyawad
bhadas ko hataya jana bhi bhadas ka hi khel tha. ise nahin hataya gaya hai. lekin is post ko phadhane walon kee sankhya bhi kuchh kah rahi hai.
दिनेश जी, मेरा आपसे परिचय नहीं है। पहली बार मुखातिब हूं, एक अनुरोध के साथ। मेरे खिलाफ एक अनाम नाम से आपत्तिजनक टिप्पणी किसी ने की है। इसे अगर हटा सकेंगे तो अच्छी बात है। निजी किस्म की बातों को आप अपने ब्लाग पर जगह न देकर दरअसल उसी स्वस्थ परंपरा का पालन करेंगे जिसका जिक्र आप करते रहे हैं। बाकी भड़ास और मोहल्ले को भिड़े रहने दीजिए। जीवन में कई बार न चाहते हुए भी कुछ लड़ाइयां लड़नी पड़ती है, खुद को स्वाभिमान से जिन्दा रखने के लिए।
आभार
यशवंत
Bhadas ko koi maa ka lal nahi hatwa sakta
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