'भारत में महामारी का प्रवेश'
तीन माह की अवधि में ही
कोविद-19 वायरस ने दुनिया को हलकान कर दिया है और अब उसने वैश्विक महामारी का रूप
ले लिया है। वे देश अभी सौभाग्यशाली हैं जिन में अभी तक इस वायरस के चरण नहीं पड़े
हैं। इस वायरस से बचाव के लिए कोई टीका वैज्ञानिक अभी तक पुख्ता तौर पर ईजाद नहीं
कर पाए हैं। न ही इस के रोगी की चिकित्सा के लिए कोई खास दवा की वे पहचान नहीं कर
पाए हैं। इन दोनों की खोज/ आविष्कार में वे में दिन रात जुटे हैं। टीका ईजाद करने
में उन्हें कम से कम एक वर्ष का समय लगेगा ऐसा अनुमान है। इस वायरस का संक्रमण
संक्रमित व्यक्ति के मुहँ और नाक से निकले डिस्चार्ज से फैलता है। यह छींक और
खाँसी के माध्यम से वातावरण में आता है। छींक और खाँसी के डिस्चार्ज से निकले कण
चार-पांच फुट की दूरी तक तुरन्त फैल जाते हैं।
इस कारण फिलहाल बचाव के लिए यह उपाय
निकाला गया है कि एक व्यक्ति दूसरे से कम से कम दो मीटर की दूरी बनाए रखे, घर से
बाहर निकले तो अनजान सतहों और व्यक्तियों को न छुए। अपने मुहँ और नाक को खास तरह
के मास्क से ढक कर रखे जिससे संक्रमण दूर तक न फैले। जब तक अत्यन्त ज्ररूरी न हो
तो घर से बाहर न निकले। अलग अलग सतहों पर कुछ ही समय में यह वायरस निष्क्रीय हो कर
समाप्त हो जाता है। यदि 14 दिन तक इस का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में
होने से रोका जा सके तो इस वायरस को नष्ट किया जा सकता है। यदि कुछ समय और अर्थात
कम से कम तीन सप्ताह तक इलाकों में आवागमन पूरी तरह रोक दिया जाए और लोग घरों से न
निकलें तो किसी भी क्षेत्र विशेष में इस वायरस को पूरी तरह से नष्ट किया जा सकता
है। सरकारें अपने अपने काम में जुट गयी हैं। यह वायरस पहले पहल चीन में 8 दिसंबर
को प्रकट हुआ था और 31 दिसंबर को एक रिपोर्ट से विश्व स्वास्थ्य संगठन को सूचित
किया गया था । चीन में उस ने तीन हजार से अधिक लोगों की जान ले ली। फिलहाल चीन में
स्थिति नियन्त्रण में प्रतीत होती है और वहाँ जिस नगर वुहान में इसे पहले पहले
देखा गया था उसे वहाँ सभी गतिविधियाँ फिर से आरंभ की जा रही हैं।
भारत में यह पहली बार 30 जनवरी
2020 को प्रकट हो चुका था। उसी समय हमारी सरकार को इसे गंभीरता से लेते हुए इस से
देश को बचाने के उपाय पूरी गंभीरता से आरंभ कर देने चाहिए थे। लेकिन केरल राज्य की
सरकार को छोड़ कर 19 मार्च 2020 की सुबह तक भारत को इस महामारी से बचाने के लिए
कोई खास उपाय भारत सरकार और राज्यों की सरकारें करती नजर नहीं आईं। 19 मार्च की रात 8 बजे प्रधानमंत्री मोदी अचानक
टीवी/रेडियो पर आए और देश की जनता से इतवार 22 मार्च को देश भर में सुबह 7 से रात
9 बजे तक जनता कर्फ्यू रखने का आव्हान किया गया। केवल एक दिन के लिए यह उपाय करने
का कोई औचित्य नहीं था। जनता कर्फ्यू के दिन शाम 5 बजे स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस
और प्रशासन को इस के लिए काम करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित करने के लिए शाम 5 बजे
पाँच मिनट के लिए तालियाँ और थालियाँ बजाने का आव्हान किया गया था। जनता कर्फ्यू
को जनता का अभूतपूर्व सहयोग मिला और वह पूरी तरह सफल रहा। मोदी जी के उत्साही
भक्तों ने तालियाँ और थालियों के साथ साथ शंख, ढोल, ड्रम वगैरा भी बजा दिए। यहाँ
तक कि अनेक नगरों में लोग जलूसों और झुण्डों में बाहर निकले जैसे कोविद-19 पर
उन्होने विजय प्राप्त कर ली हो। इस तरह उन्होंने कर्फ्यू की उपयोगिता को नष्ट कर
दिया। कर्फ्यू की सफलता से शायद मोदीजी ने
यह समझा कि भारत की जनता कोविद-19 से निपटने को तैयार है। एक दिन के अंतराल के बाद
24 मार्च 2020 को सुबह-सुबह घोषणा हुई कि प्रधानमंत्री रात आठ बजे देश को संबोधित
करेंगे। ... (क्रमशः)
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