कल रात 10:45 पर सोने जा रहा था। उत्तमार्ध शोभा सो चुकी
थी। मैं शयन कक्ष में गया, बत्ती जलाई। पानी पिया और जैसे ही बत्ती
बन्द की, कमबख्त पंखा भी बन्द हो गया। गर्मी से अर्धनिद्रित
उत्तमार्ध को बोला -पंखा बन्द हो गया है। मुझे जवाब मिला - मैने पहले ही कहा था, बिजली मिस्त्री को बुलवा कर पंखे वगैरा चैक करवा लो।
मैंने सप्ताह भर पहले ही बात भी की थी। तकनीशियन को गए
रविवार को आना था। पर राजस्थान में शुक्रवार से ही लॉक डाउन हो चुका था। रविवार को
जनता कर्फ्यू हो गया। अब अगले 20 दिन तक
कोई संभावना नहीं कि कोई इलेक्ट्रिशियन आ कर पंखा चैक कर ले।
उत्तमार्ध का उलाहना, कुछ तो खून गरम कर ही
देता है। मैं ने तुरन्त अपनी ड्राअर से टेस्टर पेंचकस और प्लायर लिया और बोर्ड खोल
डाला। मैं ने पंखे का स्विच और रेगुलेटर दोनों खूब चैक किए पर पंखा चालू न हुआ।
वहाँ कोई खराबी नहीं थी। खराबी पंखे में ही थी। अब पंखा चैक करना होगा। बोर्ड खोला
तो पता लगा कि उस में दो स्विचों को बोर्ड में अटकाए रखने वाली प्लास्टिक की अटकन
टूटी पड़ी है, स्विच जैसे तैसे अटके थे। शायद पिछली बार जब
इलेक्ट्रिशिन ने खोला था तभी उन में क्रेक आ गया था। कल खोला तो उनका टूटा हिस्सा
निकल पड़ा। अब स्विच लूज हो गये हैं। स्थिर रहने के बजाए आगे पीछे हिल रहे हैं।
बोर्ड के दो स्विच बदलने पड़ेंगे और शायद बोर्ड भी।
जितना इलेक्ट्रिशियन कर सकता है, सैद्धान्तिक रूप से वह मैं भी करने में सक्षम हूँ। कोई दस साल पहले की बात
होती तो कर ही लेता। लेकिन यह घुटनों का ऑस्टियो आर्थराइटिस? उत्तमार्ध समझती हैं कि स्टूल पर चढ़ कर 10-15 मिनट तक खड़े रह कर पंखे को
चैक करना मेरे लिए शायद मुश्किल होा।
बेडरूम का पंखा है, मुश्किल तो हो ही गयी है। अगले 20
दिन किसी इलेक्ट्रिशियन का आना मुमकिन नहीं लगता। फिर बोर्ड और स्विच भी तो चाहिए।
उन की दुकानें तो बन्द ही रहेंगी।
सोचा था आज एक बार पंखे को चैक तो करूंगा। हो सकता है
उसे कनेक्ट करने वाले तारों में कोई खराबी तो
उसे चालू किया जा सकता है। पंखे का मोटर भी जला हो सकता है। तब उसे चालू
करना असंभव होगा। फिर या तो दूसरे बेडरूम का पंखा खोल कर इधर लगाना होगा। या फिर
हमें बेडरूम ही बदलना होगा। सुबह सारी कथा उत्तमार्ध को सुनाई तो बोलीं - सोने की
बहुत जगह है, हॉल है, दूसरा बेडरूम है। वैसे
भी स्विच बोर्ड लाना पड़ेगा। जब तक इलेक्ट्रिशियन और बिजली के सामानों की दुकान
उपलब्ध नहीं होती तब तक काम चलाने में कोई परेशानी नहीं होगी। वैसे भी हम दोनों को
ही तो रहना है कोई आ थोड़े ही रहा है, इस लॉकडाउन में।
5 टिप्पणियां:
घर पर रहकर छोटे छोटे कामो में बहुत मज़ा भी आता है ।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में शुक्रवार 27 मार्च 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
मेरे घर का भी पंखा खराब हो गया, बन नही पाया। सायद वाइंडींग खराब हो गया है।
वक्त कित्ना ज्लदी बित जाता है, एक समय ब्लाग पढता था सबका। ;)
@कुन्नू सिंह
ब्लाग लिखना पढ़ना फिर शुरू करें। शायद इन दिनों वापस आदत पड़ जाए।
वाह!बहुत खूब!
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