३६ वर्ष का साथ कम नहीं होता, आपसी समझ विकसित करने के लिए। लेकिन पता नहीं क्यों? जैसे जैसे समय गुजरता जाता है, वैसे वैसे मतभेद के मुद्दे बदलते रहते हैं। साथ का ये ३६वाँ वर्ष तो बिलकुल वैसा ही था जैसे इन अंकों की शक्ल है। मतभेदों की चरम सीमा थी वह। शायद इन अंकों का ही प्रताप रहा हो। पर आपसी समझ भी ऐसी कि मतभेदों के बावजूद साथ गहरा होता गया। जैसे ही अंक बदल कर ३७ हुआ कि मतभेद न्यूनतम स्तर पर आ गए। हालांकि अब ऐसा भी नहीं कि बरतन खड़कते न हों और आवाजें न होती हों। वे होती हैं, लेकिन शायद उतना होना यह सबूत पैदा करने के लिए भी जरूरी है कि हमारे बीच पति-पत्नी का वैधानिक रिश्ता कायम है।
मैं अपने बहुत खुशकिस्मत हूँ कि मुझे ऐसी जीवनसाथी मिली। न पहले की कोई जान पहचान, न देखा-दाखी। बस एक दूसरे के परिजनों ने तय किया और हमें बांध दिया गया, ऐसी मजबूत डोर से जो जीवन भर साथ निभाएगी। वह आज का वक्त होता तो ये बांधा जाना कानून की निगाह में अपराध होता। मैं बीस का भी नहीं और शोभा, सत्रह की हुई ही थी। पर तब यह सब अपराध नहीं था। मेरी तो बी.एससी. की परीक्षा हुई थी, एक प्रायोगिक परीक्षा शेष भी थी। समझता था, कि यह जल्दी सही नहीं, उसे टालने का अपनी बिसात भर प्रयत्न भी किया था, लेकिन तब कहाँ चल सकती थी, न चली। इतना संकोच था कि अपने सहपाठियों तक को बताया नहीं, बुलाया भी नहीं। केवल घनिष्ट मित्र ही साथ थे। बारात जैसे ट्रेन से वापस उतरी तो एक दम उस से अलग बुक स्टॉल पर जा खड़ा हुआ, पत्रिकाएँ देखने लगा। एक सहपाठी ने ट्रेन से उतरते देख पूछ भी लिया -कहाँ से आ रहे हो? मैं ने तपाक से उत्तर दिया था -बारात में गया था। उस ने घूंघट में दुल्हन को उतरते देखा तो फिर पूछा ये दुल्हन उसी बारात की दिखती है शायद। मैं ने उत्तर में हाँ कहा। सहपाठी जल्दी में था, सरक लिया और मुझे साँस में साँस आई। उस कॉलेज का अंतिम वर्ष था, उस से कई महिनों बाद मुलाकात हुई तो कहने लगा -शादी के मामले में भी हमें उल्लू बना दिया।
दुल्हन का घूंघट मुझे कभी नहीं भाया। सप्ताह भर बाद ही जब हम बैलगाड़ी की सवारी करते हुए गाँव जा रहे थे, साथ में अम्मा भी थी, शोभा घूंघट लिए बैठी थी। मैं ने माँ से सवाल किया। जब मैं इस के साथ अकेला होता हूँ तो यह घूंघट में नहीं होती जब तुम्हारे साथ होती है तब भी नहीं। लेकिन जब हम दोनों सामने होते हैं तो घूंघट डाल लेती है और बोलती भी नहीं, क्यों? इस का कोई जवाब अम्मां के पास नहीं था। कम से कम अम्मां के सामने तो घूंघट से निजात मिली। परिवार में बाद में आने वाली बहुओं के लिए आसानी हो गई।
शादी के बाद शुरु हुआ प्रेम पनपने का सिलसिला। मैं कानून की पढ़ाई के लिए अक्सर शहर के बाहर रहता और शोभा वर्ष में कम से कम आधे समय अपने मायके में। मोबाइल तो मोबाइल टेलीफोन तक की सुविधा नहीं थी। बस डाक विभाग का सहारा था। हर सप्ताह कम से कम एक पत्र का आदान प्रदान अनिवार्य था। यूँ तीन-चार भी हुए कई सप्ताहों में। यूँ ही प्रेम गहराता गया और ऐसा रंग चढ़ा की कहा जा सकता है, चढ़े न दूजो रंग। कानून की पढ़ाई पूरी हुई। एक वर्ष बाद ही वकालत के लिए गृह नगर छो़ड़ कर तब के जिला मुख्यालय आ गया। वकालत में स्थापित होने के संघर्ष का दौर। आमदनी में खर्च चलाने की विवशता। फिर बच्चे हुए, घर में चहल पहल ह गई, रहने के मकान भी बना। बच्चे बड़े हुए तो अध्ययन के लिए बाहर चले गए। अध्ययन पूरा हुआ तो रोजगार ने उन्हें घर न टिकने दिया। एक उत्तर में तो दूसरे को दक्षिण जाना पड़ा। वे आते हैं तो बरसात की बदली की तरह। हमारे जीवन में कुछ नमी बढ़ा जाते हैं और चल देते हैं। साथ फिर हम दोनों ही रह जाते हैं। इस बीच कोई समय ऐसा नहीं था जब बावजूद तमाम मतभेदों के हम दोनों मुसीबत और उल्लास के मौके पर साथ नहीं रहे हों। हमारे बीच मतभेद अब भी हैं, उन में से कुछ ऐसे भी हैं जो जीवन भर न सुलझाए जा सकेंगे, लेकिन साथ तब भी बना रहेगा। शायद यही सहअस्तित्व का सब से अनुपम उदाहरण है। अब तो लगता ही नहीं हैं कि हम दो अलग-अलग अस्तित्व हैं। लगता है दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं, दोनों मिल कर ही एक हैं।
आप सोच रहे होंगे कि आज ऐसा क्या है जो मैं अपनी उत्तमार्ध शोभा का उल्लेख इस तरह कर रहा हूँ? ... तो बता ही देता हूँ। आज उस का जन्मदिन है। उसे जन्म दिन की बधाई और असंख्य शुभकामनाएँ!!! हमारा साथ ऐसा ही बना रहे।
24 टिप्पणियां:
अरे वाह!!! भाभी जी को जन्म दिवस की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.....
शोभा जी को जन्मदिन कि बहुत बहुत शुभकामनाएँ.
घुघूती बासूती
शोभाजी को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई.. आपकी यह पोस्ट तो एक नायाब तोहफा हो गया उनके जन्मदिवस पर...
Last paragraph is very emotional..
आंटी जी को मेरी तरफ से शुभकामनाएं.. :)
भाभी जी को जन्म दिवस की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.....
many many goodwishes for her
हार्दिक शुभकामनायें!
शोभाजी को जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई.
हम तो उस दुनिया में खो गए जहां आप ने अपनी दुनिया बसाई थी।
यह आत्मीयता बनी रहे।
भाभी जी को जन्म दिन की बधाई और अशेष शुभकामनाएं।
आप दोनों को जन्म दिन की बधाई...
आपके माध्यम से हमारी भी बधाई स्वीकार करें।
छत्तीस के आंकड़े के मायने बदलने के लिए आप दोनों को बहुत बहुत बधाई...
जय हिंद...
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Many happy returns of the day to dear Shobha ji .
May heaven's choicest blessings be showered on her today and forever.
You are a wonderful and loving husband. This has been proved by this lovely post of yours as a gesture of love towards your wife.
Once again ..."Happy birthday"
Lovely pics!
Regards,
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शोभा जी को जन्मदिन की शुभकामनाएँ और आप दोनो को इसी तरह प्यार और स्नेह के बँधन में बँधे रहने की.
३६ साल से सावधान रहना ही चाहिए :-)
अब मस्त रहें ३७ वें के बाद कोई खतरा नहीं ...
हाँ जन्मदिन पर खाली बधाई नहीं होनी चाहिए कोर्ट से छुट्टी लेकर बाहर बटुआ लेकर घुमाने ले जरूर जाएँ वर्ना खतरा ३६ बापस भी आ सकता है !
बधाई भाभी जी को शुभकामनायें आपको !
आंटीजी को मेरी तरफ से ढेर सारी बधाईयां....
शोभा जी को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई ...
रोचक शैली में लिखी पोस्ट
शोभा जी को जन्मदिन की असीम शुभकामनाएं.
बहुत ही प्यारा सा आत्मीय संस्मरण....आप दोनों का प्यार और समझदारी भरा साथ सदा बना रहे.
वाह ...बहुत ही सुन्दर और प्यारा लिखा है आपने.
शोभा जी को जन्मदिन की ढेरों बधाइयाँ.
जन्म दिन की बधाई और असंख्य शुभकामनाएँ
बधाई और शुभकामनाएं!
मगर तनिक उत्तमार्ध की व्युत्पत्ति और अर्थबोध में मेरी मदद कीजिये ..
आपकी स्वयं निर्मिति है या कहीं से लिया है -संदर्भ दें !
जन्मदिन कि बहुत बहुत शुभकामनाएँ|
बेटर-हाफ़ को अच्छा बटर लगाया आपने:) भाभी जी को हमारी ओर से जन्मदिन की बधाई॥
जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.....
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