@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: राजनेता नहीं चाहिए

बुधवार, 6 अप्रैल 2011

राजनेता नहीं चाहिए

भ्रष्टाचार से देश का हर व्यक्ति व्यथित है। सामाजिक जीवन का कोई हिस्सा नहीं जो इस भ्रष्टाचार से आप्लावित न हो। स्थिति यह हो गई है कि जिस के पास धन है, वह फूला नहीं समाता। वह अकड़ कर कहता है -कौन सा काम है जो मैं नहीं करवा सकता। मुझे कोई बत्तीस बरस पहले की एक मामूली उद्योगपति की बात स्मरण हो आई जिस की राजधानी में एक बड़ी फ्लोर मिल थी। वह कुछ दिनों के लिए एक दैनिक के सम्पादक मित्र का मेहमान था। मैं उन दिनों कानून की पढ़ाई करता था और उस दैनिक में उपसंपादक हुआ करता था।  उस उद्योगपति ने मुझ से कहा था। कभी सरकार में कोई भी काम हो तो बताना। मैं ने उसे कहा सरकार तो बदल जाती है। उस का उत्तर था कि मैं अपने कुर्ते की एक जेब में सरकार का एमएलए रखता हूँ तो दूसरी जेब में विपक्ष का एमएलए। निश्चित रूप से पिछले बत्तीस वर्षों में इस स्थिति में गुणात्मक विकास ही हुआ है। आज का उद्योगपति एमएलए नहीं एमपी और मंत्री तक को अपनी जेबों में रखने क्षमता रखता है।
देश में जितना भ्रष्टाचार है उस की जन्मदाता यही उद्योगपति बिरादरी है। उन के इशारे पर कानून बनते हैं, यदि कानून उन के विरुद्ध बन भी जाएँ तो उन्हें उस की परवाह नहीं, वे जानते हैं कि सरकार उन के विरुद्ध कार्यवाही नहीं करेगी। जिस के पास सब से अधिक धन है वह देश का सब से इज्जतदार व्यक्ति है, चाहे वह  कितना ही बेईमान क्यों न हो। जिस के पास पैसा नहीं है वह चाहे कितना ही ईमानदार क्यों हो उस की काहे की इज्जत, राशनकार्ड दफ्तर का बाबू उस की इज्जत उतार सकता है। उस की बेटी की शादी में यदि दहेज या बारात के सत्कार में कुछ कमी हो जाए तो कोई अनजान बाराती भी उस की इज्जत उतार सकता है। हमने आजादी के बाद समाज में ऐसे ही मूल्य विकसित होने दिए हैं। हम ने भ्रष्टाचारी को प्रतिष्ठा दी है और ईमानदार लोगों को ठुकराया है। शहर में सब से अधिक काला धन रखने वाला व्यक्ति साल में माता का एक जागरण करवा कर या मंदिर बनवा कर सब से बड़ा धर्मात्मा और ईमानदार बन जाता है, और ईमानदारी से काम करने वाले को मजा चखा सकता है। मुखौटा पहन कर सब से बड़ा वेश्यागामी रामलीला में हनुमान का अभिनय कर सकता है, और जनता की जैजैकार का भागी हो जाता है।
ह हमारा दोहरा चरित्र है। हम इस के आदी हो चुके हैं। हम इस से त्रस्त हैं, लेकिन इस किले में एक कील भी नहीं ठोकना चाहते। जब हमारी बारी आती है तो हम कहते है, हम कर भी क्या सकते हैं। एक चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। चने का ही भुरकस निकल जाता है। आखिर हम बाल-बच्चे वाले इंसान हैं। हमारा आत्मविश्वास डगमगा गया है, हम कहते हैं सब कुछ ऐसे ही चलता रहेगा, कभी कुछ ठीक नहीं हो सकता। चार दिन पहले ही जब मैं ने कहा था कि क्रिकेट विश्वकप जीत का सबक 'एकता और संघर्ष' जनता के लिए मुक्ति का मार्ग खोल सकता है तो उस आलेख पर एक मित्र की टिप्पणी थी कि आप मुझे निराशावादी कह सकते हैं लेकिन इस देश में कभी कुछ नहीं हो सकता।  उन मित्र की इस निराशा में भी एक बात जरूर थी, वे इस व्यवस्था के समर्थक तो नहीं थे।
र अब जब कि दो दिन पहले तक देश को क्रिकेट के नशे में डुबोने के भरपूर प्रयास किए जा रहे थे और देश भर उस नशे में डूबा दिखाई दे रहा था। अचानक अगले ही दिन वह उस नशे से मुक्त हो कर अण्णा हजारे के साथ खड़े होने की तैयारी कर रहा है। बहुत से लोगों ने अण्णा हजारे का नाम कल पहली बार सुना था और वे पूछ रहे थे कि ये कौन है? आज वे ही उस के साथ खड़े होने को इक्कट्ठे हो रहे हैं। गैर-राजनैतिक संगठन बनाने के लिए बैठकें कर रहे हैं। इस आलेख को लिखने के बीच ही एक मित्र का फोन आया कि परसों शाम बैठक है, आप को जरूर आना है। धन के कार्बन और राजनेताओं के गंधक/पोटाश ने देश के चप्पे-चप्पे पर जो बारूद बिछाया है वह एक स्थान पर इकट्ठा हो रहा है और कभी भी विस्फोट में बदल सकता है। अण्णा ने उस बारूद तक पहुंचने का मार्ग प्रस्तुत कर दिया है।
ब अण्णा अनशन पर बैठने जा रहे थे तो मन में यह शंका थी कि कुछ घंटों में ही कुर्सी तृष्णा वाले राजनेता जरूर उन का पीछा करेंगे। यह आशंका सही सिद्ध हुई। वे अपनी कमीज को सफेद साबित करने के लिए अण्णा से मिलने पहुँचे। लेकिन जनता ने उन्हें बाहर से ही विदा कर दिया। यह सही है कि हमारी संसदीय राजनीति के सानिध्य ने किसी दल को अछूता नहीं छोड़ा। वे जिसे हाथ लगाते हैं वह मैला हो जाता है। इस काम को सिर्फ जनता के संगठन ही पूरा कर सकते हैं। राजनेता इस काम की गति में अवरोध और प्रदूषण ही पैदा कर सकते हैं। फिलहाल जनता ने उन्हें कह दिया है  -राजनेता नहीं चाहिए।

18 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

काश कि मेरी वह टिप्पणी झुठलाई जा सके और जल्दी ही झुठलाई जा सके... हर भारतीय यही चाहता है... एक बात जो मुझे रामदेव जी के साथ महसूस हुई और यहां भी, वह यह कि वहां भी अवसरवादी (जो विशुद्ध नेता नहीं हैं, नेता-कम-दलाल-अधिक टाइप के लोग हैं) घुसने की कोशिश कर रहे थे/हैं और यहां भी. दो दिन पहले "भ्रष्टाचार के विरुद्ध युद्ध" छपी हुई टी-शर्ट पहने एक दलाल को देखा. मेरी आशंका है कि ऐसे तत्व किसी भी अच्छे कार्य को बर्बाद न कर दें. दर-असल ये वे तत्व हैं जो आजादी के पहले अंग्रेजों के साथ है और बाद में चोला बदलकर हमें चूस गये...

Udan Tashtari ने कहा…

पहली सफाई की योजना है..गर पूरा न भी साफ हो तो इस दिशा में पहला कदम तो उठा....

सारा देश परेशान है..सब साथ हैं.

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

bhtrin chintan hai khuda shuddhikarna jldi krvaaye. akhtar khan akela kota rajsthan

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

लोकपाल के निर्लिप्त बने रहने की गारंटी कौन देगा. क्या लोकपाल/लोकायुक्तों के निरंकुश हो जाने से रोकने की कोई व्यवस्था भी होगी.... मुहिम अच्छी है पर सवाल बहुत सारे हैं...

Arvind Mishra ने कहा…

सर्वे गुणा कांचन माश्रयन्ति ...
दिनेश जी, इस देश की जनता ही सबसे भ्रष्ट है ....सौ फीसदी से बस कुछ दशमलव् कम !
यहाँ भ्रष्टाचार को लेकर कोई क्रान्ति नहीं हो सकती -यह मेरेलिए अपार दुखद है मगर नग्न सत्य भी
ये तमाशाईयों की भीड़ है धीरे धीरे छट जायेगी और हाँ इसमें भी सफ़ेद कमीज दिखाने के लिए खाये पिए लोगों के चेहरे ही दिख रहे हैं एकाध को छोड़कर
जिस दिन इस मुहिम में रिक्शेवाले ,ऑटो वाले ,मजदूर शामिल होंगे तभी यह क्रांतिक स्तर को पार कर पायेगा !
हाँ बिल के संशोधन का अन्ना का सुझाव उचित है !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जब कुछ लोग व्यवस्था को दूषित कर देते हैं तो व्यवस्था के प्रति अनमनापन आ जाता है। व्यवस्था स्वच्छ हो।

Khushdeep Sehgal ने कहा…

अन्ना की लड़ाई किसी व्यक्ति से नहीं सिस्टम से है...

सिस्टम जो भ्रष्टाचार को दीमक की तरह देश को खाने का मौका देता है...

अब बस चाहिए एक ऐसी तलवार (जन लोकपाल) जो भ्रष्टाचार को जहां कहीं भी देखे, उसका सिर कलम कर दे...

जय हिंद...

Arvind Mishra ने कहा…

@भारतीय नागरिक का प्रेक्षण हीमेरा भी प्रेक्षण है -भारतीय जनता की तमाशबीनी देखते जाईये !

सञ्जय झा ने कहा…

why i am not there......this is for
all........

apki baat grahya hai.....

mujhe bhartiya nagrikji evam arvind
bhaijee ke vichar kshubd karti hai.......lekin sahi hai.....


pranam.

Sushil Bakliwal ने कहा…

क्या बहुसंख्यक जनता इसलिये इस भ्रष्ट व्यवस्था का साथ नहीं दे रही है कि उपर से चल रही इस गंगोत्री से बच पाने के कहीं कोई आसार ही नहीं बचे हैं ? यदि उपर की व्यवस्था साफ हो सके और जनता के जायज कार्य रिश्वत व खुशामद के बगैर भी तय समय सीमा में निर्विघ्न होने लगें तो जनता में भी भ्रष्टाचार का प्रतिशत कम से कम हो सकेगा ।

भ्रष्टाचार के खिलाफ जनयुद्ध

राजेश उत्‍साही ने कहा…

अन्‍ना हजारे,हजारों हैं साथ तुम्‍हारे।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

इस लड़ाई में सब को साथ आना चाहिए ... देश का कोना कोना जागना चाहिए ... अन्ना का साथ देना चाहिए ...

bilaspur property market ने कहा…

हमको तो की आदत है ... भेड़ जो ठहरे .... पहले बाबा जी अब अन्ना जी ..इसे पहले का तो सब को पता है ...
...मुहिम अच्छी है देश का भला है ....
हम दुनिया ख़तम हो रही है यह टी वी पर देख कर सच मानाने वाले लोग है ..भाई ..
हम भी शामिल है जिधर भीड़ है ... वर्ना लोग कहेंगे

Minakshi Pant ने कहा…

अगर लोकपाल में काम करने वाले भ्रष्ट पाए गये तो ? लोकपाल \ लोकायुक्तों का कामकाज पूरी तरह पारदर्शी होगा | लोकपाल के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत आने पर उसकी जाँच अधिकतम दो महीने में पूरी कर उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा |
बहुत अच्छा विषय चुना आपने उनके साथ मिलकर न सही अपनी कलम से ही उनके साथ हो लें |

Satish Saxena ने कहा…

शुभकामनायें आपको !!

Rajesh R. Singh ने कहा…

ओ सत्ता के शैतानों , अन्ना का कहना मानो

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

‘ हम इस से त्रस्त हैं, लेकिन इस किले में एक कील भी नहीं ठोकना चाहते। ’

इसके लिए अन्ना साहब की तरह कोई नेता चाहिए ... जन तो समर्थन तो सदा मिलता है, नेता नहीं॥

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक ने कहा…

बजा दिया क्रांति बिगुल, दे दी अपनी आहुति अब देश और श्री अन्ना हजारे की जीत पर योगदान करें आज बगैर ध्रूमपान और शराब का सेवन करें ही हर घर में खुशियाँ मनाये, अपने-अपने घर में तेल,घी का दीपक जलाकर या एक मोमबती जलाकर जीत का जश्न मनाये. जो भी व्यक्ति समर्थ हो वो कम से कम 11 व्यक्तिओं को भोजन करवाएं या कुछ व्यक्ति एकत्रित होकर देश की जीत में योगदान करने के उद्देश्य से प्रसाद रूपी अन्न का वितरण करें.

महत्वपूर्ण सूचना:-अब भी समाजसेवी श्री अन्ना हजारे का समर्थन करने हेतु 022-61550789 पर स्वंय भी मिस्ड कॉल करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे. पत्रकार-रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना हैं ज़ोर कितना बाजू-ऐ-कातिल में है.