पाठकों और मित्रों!
आज न तो तीसरा खंबा पर कोई पोस्ट हुई और न ही अनवरत पर। आज गर्मी का यह आलम रहा कि दिन में जो काम होने थे उन में से अनेक छूट गए। सुबह साढ़े पाँच बजे उठा और बाहर निकल कर देखा तो तेज गर्म हवा चल रही थी। सुबह सुबह लू को चलते देख मैं स्तंभित रह गया। सुबह तैयार हो कर अदालत के लिए निकला तो नौ बजे थे। बाहर तेज हवा चल रही थी धूल के साथ। इसे आँधी की छोटी बहिन कहा जा सकता था। धूल दिन भर हवा के साथ उड़ती रही। पाँच मिनट पान की दुकान पर रुका तो लोग कल के तापमान का उल्लेख कर रहे थे। यह भी कह रहे थे कि ये तापमान बताने वाले कम बताते हैं। कल शहर का तापमान किसी सूरत में 50.0 से कम न रहा होगा और बताया 47.2 है। मैं ने कहा -कोटा शहर कचौड़ियों के लिए जाना जाता है। एक बार में कड़ाह से कम से कम तीन सौ कचौड़ियाँ एक साथ निकलती हैं, कम से कम 15 लीटर तेल कड़ाह में एक साथ उतरता है। डीजल भट्टी पर चढ़े उस गर्म कड़ाह के सामने जो हलवाई दिन भर कचौड़ियाँ तलता है उस के सामने का तापमान क्या रहता होगा? हम हैं कि 47-50 पर सुबह-सुबह बौरा रहे हैं। खैर मैं पान ले कर चल दिया। अदालत में मेरी बैठक का पंखा सुबह-सुबह गर्म हवा दे रहा था। दिन कैसा निकला होगा? आप अनुमान कर सकते हैं। अभी रात साढ़े दस बजे भी लू चल रही है। शाम एनडीटीवी बता रहा था कि कोटा आज देश का सब से गर्म नगर रहा। जिस का अधिकतम तापमान 48.2 डिग्री सैल्शियस रिकॉर्ड किया गया। आज दिन में कुछ चित्र मैं ने अपने मोबाइल के साधारण 352 X 288 पिक्सल वाले कैमरे लिए हैं।
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सुबह-सुबह आँधी-1 प्रातः 8.52 बजे |
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सुबह-सुबह आँधी-2 प्रातः 8.53 बजे |
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धूप से बचती ट्रेफिक सिपाहिन सुबह 8.59 बजे |
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उपले संभालती गूजरी शाम 4.12 बजे |
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उपले ले जाती गूजरी शाम 4.16 बजे |
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दूध ले कर आती एक उपभोक्ता शाम 4.32 बजे |
20 टिप्पणियां:
पढ़कर हौंसले पस्त हो रहे हैं... पता नहीं अगले आने वाले समय में गर्मी का क्या हाल होगा...
मेरी ससुराल में इतनी गर्मी ? कोटा में मेरा ससुराल है!
अरे बाप रे हम तो यहां बेठे ही सुन कर डर रहे है, अभी गर्मियो मै मुझे बहुत छुट्टियां होती है, लेकिन इस बार भारत आना इस भरी गर्मी मै... पहले मां जिन्दा थी तो सारा इंतजाम कर के रखती थी, घर मै पीने के पानी का ओर एयर कंडिशन या कुलर का अब कोन करेगा.... ओर मुझे गर्मी बहुत लगती है, आज हमारे यहां +२६ c ही थी, ओर इस साल का पहला गर्म दिन
आज सुबह से मेरा पसीना नहीं सूखा है अभी तक.. दिन भर AC में बैठने के बाद भी.. २-३ घंटे AC में बैठने के बाद ५ मिनट के लिए बाहर निकला बस पुनर्मूषको भवः वाला हिसाब चल रहा है सुबह से..
आपकी पोस्ट से कई लोगों को लू लग गई होगी। वैसे भोपाल में भी पारे ने छियालिस डिग्री की छलांग मार ली है। कोटा के चट्टानी इलाके की गर्मी का आलम झेल चुके हैं। चम्बल न होती तब क्या होता?
raipur aaj 45.6 raha, kal se nav-tapa shuru hone ja raha hai, ashanka hai ki kal raipur ka temp 46 par kar jayega, baki 8 din dekhiye kya haal hota hai, abhi raat ko 11:30 pe daftar se ghar aane ke liye nikla to aisa laga jaise loo abhi tak chal rahi ho, itni garm hawayein, aadhi rat me bhi.
mai to yahi soch ke halakan hu ki agle 8 dino me kya hoga....
क्या कहने क्या कहने क्या कहने। दिनेश जी सच कहूं तो आपकी पोस्ट तो लाजवाब है ही अभी तक जो कमेंट आए हैं वह और भी लाजवाब हैं, वाकई।
http://udbhavna.blogspot.com/
कैसी विडम्बना है ये की कल शिकागो में तापमान थोडा गर्म था तो बड़े खुस थे हम लोग इधर और इश्वर से प्रार्थना कर रहे है की ऐसा ही रहे अब मौसम गर्म गर्म ....और जब आपकी पोस्ट देखी या घर ग्वालियर फ़ोन किया तो लोग गर्मी से परेशान है.
वैसे कचोडी तो ग्वालियर में भी बढ़िया मिलती है एक है एस एस कचोडिवाला जिसकी कचोडी हम बहुत खाते थे.
दद्दा रे! वैसे ये डीज़ल की भट्टी कैसे काम करती है और कचौड़ियों को डीज़ल की गंध से कैसे बचाया जाता है?
बाप रे!! इतनी गर्मी..सुन कर सम्मान में स्वेटर उतार दिया.
ओह यह तो हद ही है -फोटो बेमन से देखे -अंतिम वाली फोटो पर उस उपभोक्ता को आपत्ति हो सकती थी ..पर गर्मी से सब बेहाल लगते हैं !
यहाँ भी हालत बदतर है !
अगर गर्मी का ये हाल रहा तो क्या होगा, सोच कर ही दिल कांप जाता है
हाय इस गर्मी का क्या कहें........... पर सुना है सबसे गर्म इस बार चित्रकूट रहा, अभी तक तो सोचिये वहाँ ५१ डिग्री में क्या हाल होगा??? :(
आह ! वाक़ई बहुत गर्मी है.
यूंही चलता रहा तो शायद भविष्य में कचौडियां तलने के लिये भट्टी जलाने की ज़रुरत ही ना पडे एक सम्भावना ये भी है कि अगर परग्रही हों और उन्हें मांसाहार प्रिय हो तो सौर्य ताप से भुने हुए मनुष्य कैसे रहेंगे ?
( यहाँ एक अपील बनती है ..."परग्रहियों का आहार बनने से पहले धरती को बचाइये" ...या फिर ..."आओ मिलकर धरती का ताप हरें... अपने प्राण बचायें" )
हमारे यहाँ लुधियाना में भी कुछ ऎसे ही हाल हैं...
ये अली भाई कैसी कैसी भयानक कल्पनाएं कर रहे हैं :-)
आप खुश हो जाइए। मालवा भी राजस्थान बन रहा है। यहॉं रतलाम में तापमान 46 डिग्री था। आपके पीछे-पीछे चले आ रहे हैं।
मनुष्य ने प्रकृति के साथ जाे छेडछाड की है, उसके जुर्माने तो भुगतने ही पडेंगे।
आपकी पोस्ट के साथवाले चित्र देखकर मन में आई बात - बाप रे। प्रकोप भी इतना सुन्दर हो सकता है।
घर पर रहें व गर्मी से बचें ।
अभी तो 48 पार हुआ है, देखते रहिये 50 पार भी होगा।
संभल कर रहिये।
हमारे लखनऊ में तापमान 48 डिग्री सेल्सियस है..... मेरा AC छब्बीस से नीचे जा ही नहीं रहा है..... कुछ भी काम नहीं कर रहा है....इत्ती गर्मी पड़ रही है.... यहाँ भी....
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