@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: होली के दिन का फिर हमें है इन्तज़ार

सोमवार, 1 मार्च 2010

होली के दिन का फिर हमें है इन्तज़ार

मारे शायर दोस्त पुरुषोत्तम ‘यक़ीन’ हर साल बड़ी हसरत लिए निकलते हैं होली खेलने। उन की हसरत कई साल से पूरी न हो पा रही है। बस एक वादा लिए लौट आते हैं हर बार। पिछले साल लौटे तो एक नज़्म लिखी। आज होली के दिन उन की ये नज़्म उन्हीं को समर्पित है । इस आशा के साथ कि इस साल तो उन की ये हसरत पूरी हो ले.......

नज़्म






नज़्म
पुरुषोत्तम ‘यक़ीन’

होली के दिन का था बड़ी हसरत से इन्तज़ार
अर्मां किसी के लम्स का करता था बेक़रार
होली जो आई तो चढ़ा, दिल पर हसीं जुनून
छू लेंगे अब के हुस्न को, आऐगा कुछ सुकून


ले कर गुलाल हाथ में, जा पहुँचे उन के घर
दरवाज़े पे खड़े थे वो ज़ुल्फ़ें बिखेर कर
हम को लगा कि अब चढ़ीं पर्वान हसरतें
आऐंगी काम आज बरस भर की मिन्नतें
मुखड़े पे उन के हम जो लगाऐंगे कुछ गुलाल
छूते ही लाल शर्म से हो जाऐंगे वो गाल


लेकिन वो बात हो गई, था जिस का हम को डर
बस आज भी वो अड़ गए हम को सताने पर
इठला के दूर हो गए, वो मुस्कुरा के बस
अपनी जगह से फिर हुए बिल्कुल न टस से मस
पहले की जैसे आज भी उस शोख़ ने किया
कोई क़रीब आने का मौक़ा नहीं दिया


होली की बात उस ने फिर आगे पे टाल दी
शातिर बहानेबाज़ की ख़ासी मिसाल दी
नाज़ो-अदा से भर तो ली मुट्ठी गुलाल की
पर दूर से खड़े-खड़े हम पर उछाल दी
हम भी अबीर फैंक के बस उन पे दूर से
अपना-सा मुँह लिए अजी आए हैं लौट के

होली के दिन का फिर हमें करना है इन्तज़ार
होली के दिन ही का किया है उस ने फिर क़रार


12 टिप्‍पणियां:

अजित वडनेरकर ने कहा…

होली के दिन का फिर हमें करना है इन्तज़ार
होली के दिन ही का किया है उस ने फिर क़रार

बस, इस बार ख्वाहिश पूरी हो ही जाए, यही दुआ करते हैं।

Himanshu Pandey ने कहा…

क्या गज़ब है कि इसी बहाने होली का चाव बना रहता है !
खूबसूरत नज़्म ! आभार ।
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ !

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बेहतरीन नज़्म लगी...

आभार इसे पढ़वाने का.


ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.


आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

-समीर लाल ’समीर’

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर
हम इन्तजार करेगे तेरा कयामत तक

उम्मतें ने कहा…

कैसे कहूं कि हौसले से काम लीजिये 'यक़ीन'जी ...क्या पता... अगले बरस वो 'शोख'...शाख से टूटी हुई किसी और के चूल्हे में जल रही होगी :)

रवि कुमार, रावतभाटा ने कहा…

बेहतर...

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

मुखड़े पे उन के हम जो लगाऐंगे कुछ गुलाल
छूते ही लाल शर्म से हो जाऐंगे वो गाल
वाह,शुभ होली...

निर्मला कपिला ने कहा…

यकीन जी की रचना हमेशा की तरह बहुत अच्छी लगी। उन्हें और आपको होली की हार्दिक शुभकामनायें

समयचक्र ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति ...
होली पर्व पर शुभकामनाये और बधाई .

Anita kumar ने कहा…

होली की असली रूह यकीन जी की ये नज्म। जो मजा इंतजार में है वो मिलने में कहां

राज भाटिय़ा ने कहा…

यकीन जी, बहुत लाजवाब लगी आप की यह रचना, जवानी के दिन याद दिला दिये...
दिनेश जी आप का ओर यकीन जी का धन्यवाद

Arvind Mishra ने कहा…

Tabhi to rahata hai Holi ka har varsh intzar! :-)