मैं ने कभी यह सत्य नियम जाना था कि कोई भी चीज तब तक नहीं टूटती-बिखरती जब तक वह अंदर से खुद कमजोर नहीं होती चाहे बाहर से कित्ता ही जोर लगा लो। जब अंदरूनी कमजोरी से कोई चीज टूटने को आती है तो वह अपनी कमजोरी को छुपाने को बहाने तलाशना आरंभ कर देती है।
पाकिस्तान अपने ही देश के आंतकवादियों पर काबू पाने में सक्षम नहीं हो पा रहा है और जिस तरीके से वहाँ आतंकवादियों ने मजबूती पकड़ ली है उस से यह आशंका बहुत तेजी से लोगों के दिलों में घर करती जा रही है कि एक दिन पाकिस्तान जरूर बिखर जाएगा। इस आशंका के चलते पाकिस्तान के लोगों ने बहाने तलाशना आरंभ कर दिया है। वैसे तो तोड़-जोड़ कर बनाया गया पाकिस्तान पहले भी टूट चुका है। लेकिन उस बार उसे तोड़ने का श्रेय खुद पाकिस्तानियों को प्राप्त हो गया था। उन्हों ने देख लिया कि वे पूर्वी बंगाल की आबादी पर अपना कब्जा वोट के जरिए नहीं बनाए रख सकते हैं तो उन्हों ने उसे टूट जाने दिया। अब फिर वही नौबत आ रही है।
अब वे यह तो कह नहीं सकते कि भारत उन्हें तोड़ रहा है। क्यों कि इस में तो उन की हेटी है। इस से तो यह साबित हो जाता कि पाकिस्तान बनाने के लिए भारत को तोड़ा जाना ही गलत था।यह पहलवान चाहे हर कुश्ती में हारता हो लेकिन कभी भी अपने पड़ौसी पहलवान को खुद से ताकतवर कहना पसंद नहीं करता। इस लिए भारत तो इस तोहमत से बच गया कि वह पाकिस्तान को तोड़ने की साजिश कर रहा है। अब किस के सर यह तोहमत रखी जाए? तो भला अमरीका से कोई पावरफुल है क्या दुनिया में? उस के सर तोहमत रखो तो कोई मुश्किल नहीं, कम से कम यह तो कहा जा सके कि हम पिटे तो उस से, जिस से सारी दुनिया पिट रही है।
लाहौर हाईकोर्ट की बार एसोसिएशन ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित कर दिया है कि अमरीका पाकिस्तान में आतंकवाद फैला रहा है और मुम्बई हमला भी उसी के इशारों पर काम कर रहे आतंकवादियों का कारनामा है। यह कारनामा इस लिए किया गया है जिस से पाकिस्तान पर इस हमले को करवाने के आरोप की जद में अपने आप आ जाए।
वकीलों से खचाखच भरी इस बैठक में पारित इस प्रस्ताव में कहा गया कि अमरीका यह सब इस लिए कर रहा है जिस से उस की बनाई योजना के मुताबिक यूगोस्लाविया के पैटर्न पर पाकिस्तान को तोड़ा जा सके। (खबर यहाँ पढ़ें) बैरिस्टर ज़फ़रउल्लाह खान द्वारा पेश किए गए इस प्रस्ताव में कहा गया है कि अमरीका के इस मुंबई कारनामे पर ब्रिटेन सब से अधिक ढोल बजा रहा है जिस से किसी की निगाह अमरीका के इस कुकृत्य पर न पड़ सके। इस प्रस्ताव में पाकिस्तान पर अमरीकी हमलों की निन्दा करते हुए कहा गया है कि ये हमले पाकिस्तान के उत्तरी भाग को आगाखान स्टेट में बदलने का प्रयास है। जिस के लिए आगाखान फाउंडेशन हर साल तीस करोड़ डालर खर्च कर रहा है।
13 टिप्पणियां:
जल्दी टूट जाय तो थोडी राहत मिले .
विवेक जी सही कह रहे हैं !
राम राम !
अब क्या करें आदत सी हो गयी है!
पड़ौसी चाहे जैसा भी हो, के घर आग लगेगी तो उसकी आँच हम तक भी आएगी.
पड़ोस में आग लगने पर आंच अपने घर पर भी आती ही है. पर एक परेशानियों से मुक्त दुश्मन आपके लिए परेशनी खड़ी करता है.
परेशानी ये है कि साठ साल की दुश्मनी भरी कार्यवाहियों के बाद भी पाकिस्तान ये नही समझ पाया है कि हिन्दुस्तान से अच्छे सबंध से ज्यादा फायदा उसे किसी और देश से अच्छे संबंधों से नही मिल सकता. जिसकी नींव ही ग़लत रखी गई हो वो सही कैसे बन सकता है.
शायद पकिस्तान के साथ सुलूक के मामले में इंदिरा ही सही थी.
आज के दैनिक जागरण में जगमोहन जी जो जम्मू कश्मीर में पूर्व राज्यपाल थे ,उनका लेख आँख खोलने जैसा है...दुःख इस बात का है की पाकिस्तान की सरकार अगर हाथ ऊपर उठाकर भी कह दे की भाई हमारे बस में नही रहे आतंकवादी आप मदद करो...पर सारा खेल वोटो ओर राजनीति का है.....वहां भारत विरोधी ताकतों का जोर है...अमेरिका ने अफगानिस्तान युद्ध में आई एस आई को जो पैसा रशिया से लड़ने के लिए दिया था ,उसका ६० प्रतिशत हिस्सा आई एस आई ने कश्मीर में लगा दिया .....
पाकिस्तान पहले से ही बिखरा हुआ है . कही आई अस आई का प्रभाव है तो कही आतंकवादियों का तो कही कट्टरपंथियों का . सरकार और प्रशासन तो नाम की चीज़ है . उसका टूटना तो औपचारिकता मातृ है .
बहुत सही कहा.
इस रोचक और सार्थक आलेख के लिए आभार.
लाहौर हाईकोर्ट की बार एसोसिएशन ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित कर दिया है कि अमरीका पाकिस्तान में आतंकवाद फैला रहा है और मुम्बई हमला भी उसी के इशारों पर काम कर रहे आतंकवादियों का कारनामा है।
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बड़े और बुद्धिमान लोग हैं। सही कह रहे होंगे। अमेरिका अपने ही नागरिकों को मारने वाला निर्मम देश है! :(
बंगलादेश को पाकिस्तान ने टूट जाने दिया था, यह सत्य नहीं है - आज के पाकिस्तानियों ने बंगाली मुसलामानों पर हर सम्भव जुल्म ढाया था और उस अभियान में लगभग तीस लाख बंगाली मुसलामानों की जान ली थी.
मैं यह नहीं समझ पाता हूँ कि पाकिस्तान के लोग कब तक सत्य से आँखें चुराकर भरम में जीते रहेंगे.
आपकी कही सारी बातें तो अपनी जगह हैं ही, पाकिस्तान का अन्तर्कलह भी अपने आप में बडा कारण होगा । जीये-सिंध आन्दोलन इसका एक नमूना है ।
पाकिसतन के कम से कम चार टुकडे होने ही होन हैं । देखना यह है कि ऐसा कब होता है और इसका निमित्त क्या होता है ।
पाकिस्तान का भविष्य लिखा जा चुका है । केवल क्रियान्वयन शेष है ।
झुठ पर टिका शासन , देश ज्यादा नही चलता, आप ने बिलकुल सही लिखा है, ओर पाकिस्तान बरबादी के कागर पर खडा है, ओर अमेरिका का सपना साकार हो जायगा,
भारत को शायद अकल आये या ना आये लेकिन यह अमेरिका कभी भी भारत का दोस्त नही बन सकता.
धन्यवाद
दीमक लगी इमारत
धूल बन कर ढह जाती है
- लावण्या
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