के पात्रों आदरणीय गुरूजी सज्जन दास जी मोहता और उन के मित्र जगदीश नारायण जी माथुर और इस पोस्ट पर आई टिप्पणियों में व्यक्त विचारों के सम्बन्ध में, लेकिन यहाँ दूसरी ही खबरें आ रही हैं। एक खबर तो कल अनवरत पर ही थी- कोटा स्टेशन और तीन महत्वपूर्ण रेल गाड़ियों को विस्फोटकों से उड़ाने की आतंकी धमकी दूसरी खबर अभी अभी आज तक पर सुन कर आ रहा हूँ इसे नवभारत टाइम्स ने भी अपनी प्रमुख खबर बनाया है कि -
"भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने भी बताया है कि बॉर्डर के दूसरी ओर (पाकिस्तान की तरफ) हलचल तेज है। पाकिस्तानी रेंजर्स को हटाकर वहां पाकिस्तानी सेना को तैनात कर दिया गया है। बीएसएफ, वेस्टर्न जोन के एडीजी यू.के.बंसल ने कहा है कि हमने बुधवार को बॉर्डर का मुआयना किया और हमने पाया कि बॉर्डर के दूसरी तरफ सैन्य गतिविधियां तेज हैं। उन्होंने कहा कि बीएसएफ किसी भी हालात से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।"मुम्बई पर 26 नवम्बर के आतंकवादी हमले के संबंध में एकदम साफ सबूत हैं कि हमलावर पाकिस्तान से आए थे, हमले की सारी तैयारी पाकिस्तान में हुई थी। हमलावरों में से एक को जीवित पकड़ा गया वह चीख चीख कर कह रहा है कि वह पाकिस्तानी है। लेकिन फिर भी पाकिस्तान सरकार लगातार जानबूझ कर इन सबूतों को मानने से इन्कार कर रही है। उस ने यहाँ तक कहा है कि उन के डाटाबेस में कसाब नहीं है।
कसाब का पाकिस्तान के डाटा बेस में नहीं होने का बयान देना अपने आप में बहुत ही गंभीर बात है। इस का अर्थ यह है कि पाकिस्तान अपने प्रत्येक नागरिक का विवरण अपने डाटाबेस में रखता है। हालांकि उस की अफगान सीमा पूरी तरह से असुरक्षित है और एक पुख्ता डाटाबेस बना कर रखना संभव नहीं है। फिर भी हम मान लें कि उन का ड़ाटाबेस पुख्ता है और उस में हर पाकिस्तानी नागरिक का विवरण महफूज रहता है। लेकिन कसाब तो पाकिस्तानी है उस का विवरण उस में होना चाहिए।
पुख्ता डाटाबेस में कसाब का विवरण नहीं होना यह इंगित करता है कि विवरण को साजिश की रचना करने के दौरान ही डाटाबेस से हटा दिया गया है या फिर साजिश को अंजाम दिए जाने के उपरांत। यह पाकिस्तान के प्रशासन में आतंकवादियो की पहुँच को प्रदर्शित करता है। पाकिस्तान के इस तथाकथित डाटाबेस में किसी भी उस पाकिस्तानी का विवरण नहीं मिलेगा जो किसी आतंकवादी षड़यंत्र के लिए या फिर जासूसी के इरादे से पाकिस्तान के बाहर आएगा।

इन परिस्थितियों में पाकिस्तान की सरकार पूरी तरह निरीह नजर आ रही है। फौज, आईएसआई और आतंकवादी की मंशा के विपरीत कोई भी निर्णय कर पाना पाकिस्तान की चुनी हुई सरकार के विरुद्ध आत्महत्या करना जैसा है। यदि अंतर्राष्ट्रीय दबाव के आगे पाकिस्तान को आतंकवादियों के विरुद्ध कार्यवाही करनी ही पड़ती है तो पाकिस्तान एक गृहयुद्ध के दरवाजे पर खड़ा हो जाएगा। एक ही बात पाकिस्तान को गृहयुद्ध से बचा सकती है वह यह कि भारत उस पर हमला कर दे। पाकिस्तान द्वारा भारत से युद्ध का वातावरण बनाने के पीछे यही उद्देश्य काम कर रहा है।
इन परिस्थितियों में यह तो नितांत आवश्यक है कि भारत को अपनी सुरक्षा के लिए सेनाओं को तैयार रखना पड़ेगा। भारतीय कूटनीति की सफलता इसी बात पर निर्भर करती है कि किसी भी प्रकार के युद्ध में कूद पड़ने के पहले पाकिस्तान अपने गृहयुद्ध में उलझ जाए।
13 टिप्पणियां:
आपका अवलोकन बहुत सही है. पाकिस्तानी सेना, आई एस आई और तालेबानी अच्छी तरह समझते हैं कि अपनी दबी-कुचली जनता को पड़ोसी देशों के आक्रमण का भय, अपनी निरीहता की ग्रंथि और हिंसक मनोवृत्ति के साथ-साथ हमेशा सताए जाने का अहसास सतत बनाए रखना ही सैनिक शासन और तानाशाही को टिकाये रख सकता है. पाकिस्तान ही नहीं बहुत सी अन्य तानाशाहियों के साथ यही हो रहा है. जब कभी जनता को गुस्सा आए भी तो उसे लोकतान्त्रिक देशों यथा भारत या अमेरिका के ख़िलाफ़ मोड़ने को पूरा बढावा और राजनैतिक संरक्षण भी दिया जाता है ताकि भूख या पुलिस के अत्याचार से मरता हुआ एक गरीब अपनी दयनीय हालत के लिए अपने शोषक तानाशाह को न कोस सके. मगर एक न एक दिन यह बादल छंटेंगे और जैसे लेनिन और सद्दाम के बुतों को उन्हीं के देशों की मजलूम जनता ने चकनाचूर कर दिया उसी तरह पाकिस्तान जैसे देशों के दिन भी फिरेंगे.
सही कहा आपने पाकिस्तान का गृहयुद्ध ही हमारे लिए सबसे अच्छा होगा .
उप्युक्त सलाह है !
भारत से युद्ध करना ही पाकिस्तान के लिए एक आसान विकल्प है. देखा जाए तो युद्ध में उलझना भारत के हित में नहीं है. और यदि करना पड़े तो सीधे आर पार की हो.
कहानी खत्म हो, जै्से भी हो!
रंजन
समाचार पत्र पत्रिकाओं में पाकिस्तान के बारे में जो प्रकाशित होता है उसके आधार पर तो यही निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वह एक राष्ट्र के रूप में कभी स्थापित हुआ ही नहीं बल्कि चार प्रदेशों का एक ऐसा समूह बना जो हमेशा भटकाव के मार्ग पर चला। पाकिस्तान का कथित सभ्य संविधान उसके दो प्रदेशों में कोई प्रभाव नहीं रखता तब उसे एक राष्ट्र कैसे माना जा सकता? यही कारण है कि बाहरी शक्तियां उसे चाहे जैसे उपयोग करने लगती हैं-तमाम तरह के विश्लेषणों को देखकर तो यही लगता है।
दीपक भारतदीप
आप ने बिलकुल सही कहा है, शायद दुसरा एक कारण ओर भी हो सकता है, ओर वो है अमेरिका इस नाजाय ओलाद का दाता, शायद वो भी अपनी दोगली नीति चला कर यह युद्ध चाहता हो, क्योकि उस ने भी अपने हथियार बेचने है अपनी अर्थ व्यवस्था को सुधारने के लिये, अगर युद्ध होता है तो उस कमीने के हथियार दोनो देश खरीदे गए,
सब से अच्छा तो यह है कि पकिस्तान अपने ही बनाये चक्र्व्युह मे फ़ंस जाये ओर खुद ही तबाह हो जाये, ओर होगा भी ऎसा ही.
धन्यवाद
दिनेश जी एक बात समझ मै नही आती जब भी आप की साईड पर आता हुं तो LineBuzz Key नाम की कोई चीज मांगता है मेरा पीसी, यह क्या है, हो सके तो जरुर बताये, अगर आप की जानकारी मै यह बात नही तो भी लिखे, फ़िर मै इसे ढुढता हुं
पाकिस्तान आतन्क युद्ध तो चला ही रहा है। यह शो-ऑफ भी राजनैतिक मजबूरी के तहद करेगा।
आपने स्थिति का बिल्कुल सही विश्लेषण किया है.
सेना तो हमेशा से तैयार है द्विवेदी जी,लेकिन मुल्क की-संपूर्ण मुल्क की इच्छा-शक्ती का क्या?
रोचक विश्लेषण है। दुर्भाग्य पाकिस्तान के साथ है।
पकिस्तान पर चर्चा या गंभीर बहस समय की बर्बादी है इस समय उस पर शासन आई एस आई . उसका दत्तक पुत्र दाऊद इब्राहीम उसका बिजनेस पार्टनर ज़रदारी उनके समधी जावेद मिया दाद का शासन है | ज़रदारी को प्रेजिडेंट बनाए के लिए ही तो बेनजीर भुट्टो का कत्ल इन्ही लोगों द्वारा किया गया है | जहाँ पर १२ लाख में मानव बम खरीद कर चाहे जिसकी ह्त्या कर लो | यह वाही भस्मासुर है जिसे ख़ुद पाक के नापाक इरादों ने जन्म दिया है | अबकी जाहे जो हो युद्ध में बहुत क्षति होगी जान माल दोनों की परन्तु आकी फैसलाकुन होना चाहिए पकी -काश्मीर में घुस का आतंकी अड्डे जरू र से ज़रूर नष्ट करने चैहिये |
ना दैन्यम ना पलायनम !
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