'कविता'
किस की है यह दौलत?
- दिनेशराय द्विवेदी
मंदिर के तहखानों में मिली है अकूत दौलत
इतनी कि देश के बड़े से बड़े सूबे का बजट भी पड़ गया छोटा
अभी बाकी हैं खोले जाने और भी तहखाने
सवाल उठे
किस की है यह दौलत?
कौन है इस का स्वामी?
क्या किया जाए इस का?
मैं ने पूछा ...
पहली बरसात के बाद खेत हाँक कर लौटे किसान से
वह ठठा कर हँसा हाहाहा .....
और बिजाई की तैयारी में जुट गया
मैं ने पूछा ...
हाथ-ठेला धकेलते मजदूर से
वह ठठा कर हँसा हाहाहा .....
और ठेले के आगे जाकर खींचता चला गया
मैं ने पूछा ...
नदी किनारे कपड़े धोती एक महिला से
वह ठठा कर हँसी हाहाहा .....
और तेजी से कपड़े कूटने लगी
मैं ने पूछा ...
कंप्यूटर पर काम करते सोफ्टवेयर इंजिनियर से
वह ठठा कर हँसा हाहाहा .....
और फिर से कंप्यूटर में डूब गया
मैं ने पूछा ...
सड़क किनारे दौड़ते सैनिक से
वह ठठा कर हँसा हाहाहा .....
और आगे दौड़ गया
शाम को सब मिले
एक साथ ढोलक और हारमोनियम बजाते
गाते हुए फ़ैज़ का एक पुराना गीत ...
हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे,
एक खेत नहीं, एक देश नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे।
एक खेत नहीं, एक देश नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे।
हम मेहनतकश जग वालों से जब.........
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