@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: किस की है यह दौलत?

गुरुवार, 7 जुलाई 2011

किस की है यह दौलत?

'कविता'
किस की है यह दौलत?
  • दिनेशराय द्विवेदी

मंदिर के तहखानों में मिली है अकूत दौलत
इतनी कि देश के बड़े से बड़े सूबे का बजट भी पड़ गया छोटा
अभी बाकी हैं खोले जाने और भी तहखाने

सवाल उठे
किस की है यह दौलत?
कौन है इस का स्वामी?
क्या किया जाए इस का?

मैं ने पूछा ...
पहली बरसात के बाद खेत हाँक कर लौटे किसान से
वह ठठा कर हँसा हाहाहा .....
और बिजाई की तैयारी में जुट गया

मैं ने पूछा ...
हाथ-ठेला धकेलते मजदूर से
वह ठठा कर हँसा हाहाहा .....
और ठेले के आगे जाकर खींचता चला गया

मैं ने पूछा ...
नदी किनारे कपड़े धोती एक महिला से
वह ठठा कर हँसी हाहाहा .....
और तेजी से कपड़े कूटने लगी

मैं ने पूछा ...
कंप्यूटर पर काम करते सोफ्टवेयर इंजिनियर से
वह ठठा कर हँसा हाहाहा .....
और फिर से कंप्यूटर में डूब गया

मैं ने पूछा ...
सड़क किनारे दौड़ते सैनिक से
वह ठठा कर हँसा हाहाहा .....
और आगे दौड़ गया

शाम को सब मिले
एक साथ ढोलक और हारमोनियम बजाते
गाते हुए फ़ैज़ का एक पुराना गीत ...

हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे,
एक खेत नहीं,   एक देश नहीं,   हम सारी दुनिया मांगेंगे।
हम मेहनतकश जग वालों से जब.........
 
 










आप भी सुन ही लीजिए ...

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12 टिप्‍पणियां:

चंदन कुमार मिश्र ने कहा…

यह दौलत किसकी है? यह सवाल बता रहा है कि दौलत तो थी जरूर भारत में। लेकिन तहखाने में छिपाकर इतनी सम्पत्ति छिपा रखा है इन लोगों ने। घर पर हूँ और इंटरनेट अच्छा काम कर रहा है। बिजली भी है। सुना कि बिजली तो अच्छी है इन दिनों।

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक ने कहा…

काफी सुंदर अभिव्यक्ति के साथ ही सुंदर गीत सुनकर अच्छा लगा.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

कहाँ किसी के हाथ ये धन आया है,
धरती है, सबने अधिकार जताया है।

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

मैंने भी "बाबा" से पूछ ही लिया- किसकी है यह दौलत?
वे बोले "स्विस बेंक की, उनको इससे सुरक्षित ठिकाना कहीं नहीं मिला !!

http://aatm-manthan.com

Rahul Singh ने कहा…

दिल बहलाने को ख्‍याल अच्‍छा है.

विष्णु बैरागी ने कहा…

अब भगवान भी कहेंगे - तुम्‍हें मालूम हो जाए तो मुझे भी बताना।

गीत बहुत ही अच्‍छा है।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे,
एक खेत नहीं, एक देश नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे।
हम मेहनतकश जग वालों से जब.......bahut khoob

vandana gupta ने कहा…

सच कहा जब मेहनतकश अपना हिस्सा मांगेगा तो सारी दुनिया ही मांगेगा……………बहुत ही सुन्दर और उम्दा अभि्व्यक्ति।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

क्या तेरा क्या मेरा, ये तो जोगी वाला फेरा है :)

Saleem Khan ने कहा…

भारत के मंदिरों और मज़ारों में अकूत संपत्ति मौजूद है, अतिश्योक्ति न होगी की विदेश में जमा काला धन वापिस लाने के साथ साथ या पहले ही इन अकूत संपत्ति को सरकार अधिग्रहित कर ले और विकास कार्यों लगाये. मंदिर के धीश और मज़ारों के गद्दानशीं अरब पति हैं.......!

भारत सरकार मंदिर में अकूत धन, ज़ेवरात आदि की खोज कर रही है... इसी तरह से हज़ारों साल पहले भी तात्कालिक राजा अथवा शहंशाह भी खोज करके उस धन संपदा को अधिग्रहित कर लेते थे.....

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

अच्छा लगा गीत,आभार.

अशोक कुमार शुक्ला ने कहा…

Beautiful poem. Badhaiq