कल सुबह से ही आसमान में धूल के कण दिखाई देने लगे थे। सूरज की चमक कम थी। लेकिन जैसे जैसे दिन चढ़ता गया धूल बढ़ती गई। सांझ तक सारा आकाश धूल से ढका था। सूर्यास्त का यह दृश्य मैं ने एक ही स्थान से देखा। आप के लिए भी कुछ चित्र हैं -
सूर्यास्त से पहले |
सूर्य एक बिंदु |
पंछी लौट चले घर को |
संध्या के माथे की बन्दी |
विदाई की बेला |
अलविदा! |
अब रोशनी थोड़ी देर और |
रात्रि विश्राम की तैयारी |
रात हुई, बत्तियाँ जल उठीं |
चित्रों को बड़ा कर के देखा जा सकता है