कल सुबह से ही आसमान में धूल के कण दिखाई देने लगे थे। सूरज की चमक कम थी। लेकिन जैसे जैसे दिन चढ़ता गया धूल बढ़ती गई। सांझ तक सारा आकाश धूल से ढका था। सूर्यास्त का यह दृश्य मैं ने एक ही स्थान से देखा। आप के लिए भी कुछ चित्र हैं -
सूर्यास्त से पहले |
सूर्य एक बिंदु |
पंछी लौट चले घर को |
संध्या के माथे की बन्दी |
विदाई की बेला |
अलविदा! |
अब रोशनी थोड़ी देर और |
रात्रि विश्राम की तैयारी |
रात हुई, बत्तियाँ जल उठीं |
चित्रों को बड़ा कर के देखा जा सकता है
9 टिप्पणियां:
सभी बहुत बढिया चित्र हैं। धन्यवाद।
आपके कैमरे की आंखों से देखना अच्छा लगा. धन्यवाद.
यह धुंध राजस्थान से ही उठी है ..कल दिल्ली और मुम्बई तक की दूरियां मापती दिखी
बहुत सुंदर विषय चुना है आशा है आगे भी आपका कैमरा अनूठी तस्वीरें देता रहेगा !
शुभकामनायें भाई जी !
वाह! बढ़िया चित्र हैं!!!
धूल में विकीर्णन न हो पाने से संध्या का लाल रंग खो जाता है।
अरे वाह। सुन्दर। अति सुन्दर। यह तो 'चित्र कविता' है।
बहुत सुन्दर चित्र।
अद्भुत छायांकन।
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