फेसबुक पर कल मैं ने एक स्टेटस लगाया था। स्टेटस और संवाद दोनों यहाँ ज्यों का त्यों प्रस्तुत है। आप पढ़िए और अपनी भी राय दीजिए ...
दिनेशराय द्विवेदी
गुरूवार
कन्यादान करने का
अर्थ है स्त्री को संपत्ति समझना। एक तरह से यह ह्यूमन ट्रेफिकिंग है। फिर कन्यादान
करने वाले और लेने वाले सभी लोगों के विरुद्ध ह्यूमन ट्रेफिकिंग का मुकदमा दर्ज कर
गिरफ्तार कर के सजा क्यों नहीं दी जाती है? जरा सोचिए और कुछ कहिए!!!
Anil Manchanda,
Ravindra Ranjan, Durgaprasad Agrawal और 44 अन्य को यह पसंद है.
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Pawan Mishra आप के पोस्ट पर टीप मारते हुये डर लग रहा है
कही न्यायालय के चक्क्र न लगाने पडे अभी न समय है न पैसा...फिर भी यह कथन निहायत ही
बचकाना है....
Rajendra Singh पता चला करोड़ो लोग अंदर हो गए ..इसकी जगह कोई और शब्द
इस्तेमाल होना चहिये
Lalit Sharma सभी के गिरफ़्तार होते ही वकीलों की चांदी कटने
लगेगी, मुकदमे ही मुकदमे… हा हा हा हा
Bs Pabla दान का अर्थ ही है किसी सामाजिक उन्नत्ति के
लिए अपना सह्योग बिना कुछ लिए दे देना, अब वो सामाजिक उन्नत्ति क्या है इस पर तो ....
Deepak Pandey कोई नही बचेगा. सब अंदर हा हा हा बकील भी.
Raj Bhatia इस दान का मतलब बहुत गहरा हे, यह कोई बिखारी वाला दान नही, इस मे समर्पन हे, वैसे कोई भी आदमी अपने दिल के टुकडे को दान नही करता,
लेकिन इस दान मे लडकी का भला होता हे.....
Anand R. Dwivedi
Customs and Usages नाम की भी कानूनी चिड़िया
होती है..जिनके पर कतरना इतना आसान नहीं!!
दिनेशराय द्विवेदी Raj Bhatia भाटिया जी, आप बहुत साफ मन के हैं, इस कारण से ऐसा कह रहे हैं। कन्यादान कन्या के माता-पिता
या उन के अभाव में उस के संरक्षक करते हैं। लेकिन दान सदैव वस्तु का ही किया जाता है,
न कि किसी मनुष्य का। इस कारण यह तो सही
है कि जब कन्यादान किया जाता है...और देखें
Sumant Mishra ·
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अत्यंत अभद्र और अबुद्धिहीनता पूर्ण वक्तव्य।
आप के तर्क से सभी हिन्दू माँ-बाप रण्ड़ी के भडुवे हैं? सोंचिये और बार-बार सोंचिये......! कानून को आप जैसे
लोग ओढ़े और बिछाये किसी को ऎतराज नहीं लेकिन ६५ साल में १०० से अधिक बार संविधान संशोधित
हो चुका है ऎसे कानून की दुहाई मजाक के अतिरिक्त कुछ नहीं।
दिनेशराय द्विवेदी सुमंत जी जब तर्क का कोई उत्तर
नहीं होता तभी लोग गाली गलौच पर उतर आते हैं। संविधान मनुष्य जीवन के लिए है मनुष्य
संविधान के लिए नहीं। वह संशोधित भी होगा और बदला भी जाएगा।
Anand R. Dwivedi इस हिसाब से तो दत्तक ग्रहण (u/r
Hindu Adoption and Maintenance Act) भी ह्यूमन ट्रैफिकिंग के अंतर्गत लाया जाना चाहिए..Vijay Manchanda And
Anr. vs State Of J & K And Ors. on 8 October, 1987 में ये कहा गया है कि "the adoption is
considered as a sacred gi...और देखें
Misir Arun स्त्री को खरीदने बेंचने और दान में दिए जाने
की वस्तु समझना प्राचीन धर्मसम्मत सभ्यता का अंग रहा है ...जो वस्तुतः एक असभ्यता ही
कही जा सकती है ।
Anand R. Dwivedi ये भी एकदम सही है कि संविधान मनुष्य के लिए
है , लेकिन मनुष्य भी संविधान के
लिए उतना ही उत्तरदायी है...कोई भी संविधान public at large की मान्यताओं पर तब तक हावी नहीं हो सकता जब तक उसकी
अवहेलना न हो!!
न्यायाधीश और अधिवक्ताओं के पूर्वाग्रह न्यायिक
निर्णयों को प्रभावित करते हैं।
केरल उच्च न्यायालय की निवर्तमान न्यायाधीश के.
हेमा ने उन की सेवा निवृत्ति पर आयो...और आगे देखें
दिनेशराय द्विवेदी Anand R. Dwivedi, संविधान मनुष्यों का समूह ही निर्मित करता है।
इस कारण उस के लिए वह उत्तरदायी है। आप का यह कहना भी सही है कि कोई भी संविधान public
at large की मान्यताओं पर तब तक हावी नहीं
हो सकता जब तक उसकी अवहेलना न हो!! और यह भी सही कि कन्यादान वास्त...और देखें
Anand R. Dwivedi आदरणीय निश्चय ही न्यायिक निर्णय पत्थर की लकीर
नहीं होते, परन्तु वास्तविकता की
खोज में न्यायिक निर्णय अहम् साबित होते हैं...जिन दायित्वों के हस्तांतरण की बात अपने
कही..उन्ही दायित्वों के हस्तांतरण का एक स्वरुप कन्यादान को भी माना गया है..दत्तक
ग्रहण में...और देखें
Anand R. Dwivedi हिन्दू पंथ में कन्यादान का विशेष स्थान है जिसमे
दायित्वों के स्वस्थ और इमानदारी से निर्वहन की प्रतिज्ञा निहित है..इसे एक बंधन माना
गया है जिसमे पिता अपने जीवन के अंग को दान करता है..जिसका उद्देश्य व्यवस्थित जीवन
मात्र है...बुद्धिजीवी इसे कुछ भी कहें परन्तु इसके उद्देश्य को कतई नाकारा नहीं जा
सकता अन्यथा विवाह नाम की संस्था ही एक अपराध हो जाएगी जो ह्यूमन ट्रैफिकिंग का सर्वोत्तम
उदाहरण होगा!
दिनेशराय द्विवेदी Anand R. Dwivedi, मान्यताएँ बदलती रहती हैं। कितनी मान्यताएँ वे
जीवित हैं जिन्हें हम पचास वर्ष पहले मानते थे। सती प्रथा को सदियों तक गौरवान्वित
किया जाता रहा। लेकिन अब सती का महिमामंडन करना अपराध हो गया है। किसी दिन ये भी हो
ही जाना है।
Baldeo Pandey
" बेटियों को दान में देना,
भले ही यह रिवाज़ सदियों से हिन्दू विवाह
का अभिन्न और पवित्र हिस्सा माना जाता रहा हो, लेकिन ' कन्या दान ' महिला समाज के
प्रति पुरुष प्रधान समाज का पुरातन, दकियानूस और अमानवीय नजरिया दर्शाता है - आमीन!"
जय प्रकाश पाठक नमस्कार ! कन्यादान और अन्य बहुत
से क्रित्य इसलिये कर दिये जाते हैं क्योंकि आधुनिक जीवन लायक एक पूर्ण व मान्य प्रक्रिया
का अभाव है. शंकराचार्य गण नवीन प्रक्रिया पर विचार नहीं चाहते.
Ram Singh Suthar श्रीमान,नमस्कार
जिस तरीके से हमारे विचार बदल रहे है उस हिसाब
से तो भारतीय संस्कृति खतम हो जायेगी। जिस दान को सर्वोतम दान समझा जाता रहा है,उसे संपति से जोड़ना सही नही है ओर न ही किसी
ग्रंथ या धार्मिक पुस्तक मे इसे संपति का नाम दिया गया है जहा तक कानून क...और देखें
रजनीश के झा
गुरूवार को 05:35 अपराह्न बजे · पसंद
बबीता वाधवानी सम्पति समझते रहे है इसलिए तो
जीने का अधिकार छीनते रहे है। हर स्त्री को अपने इस तरीके से दान किये जाने का विरोध
शुरू कर देना चाहिए । दकियानुसी विचारो ने जीने की तमन्ना छीनी है औरतो से।
Rajendra Prasad
Sharma श्रीमान -पुरानी कोई भी वस्तु या
विचार हो क्षरण एक स्वाभाविक प्रक्रिया है - इस परंपरा का अंत देखने के लिए समय का
अन्तराल कितना ...... होगा ? संभवतया
कहा नहीं जा सकता .
Bavaal Hindvee
rahi sahi kadar aur poori ho jaye. saare mard jail me aur auratain bahar.
दिनेशराय द्विवेदी Ram Singh Suthar यहाँ धर्म ग्रंथ की बात नहीं है। यहाँ बात ये
है कि समाज वास्तव में क्या समझता है। क्या ये कहावत पूरे भारत में नहीं कि औरत पैर
की जूती है। अब आप बताएँ कि जूती संपत्ति है कि नहीं?
Sudha Om Dhingra दिनेशराय द्विवेदी जी मेरे पापा ने कन्यादान
नहीं किया था, क्योंकि मैं नहीं
चाहती थी कि मेरा दान हो और मेरे पति डॉ. ओम ढींगरा भी मेरे साथ सहमत थे। हालाँकि रिश्तेदारों
ने एतराज़ किया था, पर कुछ देर बाद
सब ठीक हो गया था।
दिनेशराय द्विवेदी Sudha Om Dhingra आप को उस घटना को एक अभियान का आरंभ मान कर उसे
आगे बढ़ाना था। और यह चलाया जाना चाहिए। यह इसलिए भी जरूरी है कि स्त्रियों में खुद
दान होने का प्रतिरोध होना चाहिए। क्यों कि अभी भी अधिकांश माएँ इस विचार से ग्रस्त
हैं कि बेटी का कन्यादान करने से उन्हें पुण्य मिलेगा। वे इसे अपना अधिकाार समझती हैं
और उसे छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
सुशील बाकलीवाल OMG
प्रथा ही तो है,
रघुुकुल रात सदा चली आई...
लगभग एक घंटा पहले mobile के द्वारा · पसंद
Ram Tyagi I think
the comparison is not right.... Vidya daan is another daan which you can not
express in terms of money..., in fact the thing you donate has no monetary
value as its worth of your emotions and feelings and your love.
Brijmohan
Shrivastava -पुराणों में दस महादानो का
वर्णन है इनमें से एक तो हुआ कन्यादान वाकी नौ है --स्वर्ण ,अश्व ,तिल , हाथी ,दासी ,रथ ,भूमी ,ग्रह और कपिला गौ /ध्यान
रहे यह सब सम्पत्ति है /स्त्री हमेंशा से संपत्ति मानी जाती रही थी / उसका क्रय विक्रय
होता था , उसे गिरवी रखा ज...और
देखें
दिनेशराय द्विवेदी Brijmohan
Shrivastava धन्यवाद बृजमोहन जी,
मेरी व्यस्तता में आप ने पूरी तरह तर्कसंगत
और तथ्य पूर्ण उत्तर दिया है।
Ravindra Ranjan आप सही कह रहे हैं
Jitendra Choubey सनातन धर्म में बेटियां लक्ष्मी का रूप मानी
जाती हैं और दामाद लक्ष्मिपति यानि भगवान् विष्णु का रूप.. दोनों के चरण छुए जाते हैं..
पिता लक्ष्मी सौंपता है उसके वर को बेचता नहीं है.. कन्या और गौ का विक्रय सनातन धर्म
में अधर्म माना गया है.. द्रोपदी को दाव प...और देखें
Jitendra Choubey और मेरे भाई तो बता दूं की राजा हरिश्चन्द्र,
और नचिकेता कन्या नहीं थे लेकिन एक को
चंडाल ने खरीदा था और दुसरे को उसके पिता ने मृत्यु को दान दे दिया था...
Yadav Shambhu मेरे ख्याल में सर इसकी इतनी सरल व्याख्या नहीं
हो सकती ....
Ashutosh Acharya
Jitendra choubey ji absolutely right ,i agree.
दिनेशराय द्विवेदी जितेन्द्र चौबे जी,
जो धार्मिक प्रवचन आप ने यहाँ किया है
वह हमारे समाज के दिखाने के दाँत हैं। खाने के दूसरे हैं? मुझे समझ नहीं आता कि। हम कितने मूर्ख और भोले हैं। सामने
की वास्तविकता हमें दिखाई नहीं देती और उसे मिथ्या सिद्ध करने के लिए अपने ग्रंथों
को उठा लाते हैं। हमारे ग्रन्थों का अब यही उपयोग रह गया है। अपनी गलती छुपाने को उन
की आड़ लेते हैं। वास्तविक बदलाव की जरूरत को नकारने का इस से अच्छा तरीका नहीं हो
सकता।
Ashutosh Acharya दिवेदी जी अब आप यहाँ कुतर्क कर रहे है ,
कन्यादान धर्म से जुड़ा होता है इसलिए धार्मिक
प्रवचन ही देना पड़ेगा .कन्या दान हिन्दू धर्म की व्यवस्था है इसलिए इसमें हिन्दू धर्म
से जुड़े साक्ष्य ही देने पड़ेगें यह दिखाने और खाने वाले दांत वाली बात नही है l
Shiv Shambhu
Sharma ऎसा है सर कि अंग्रेजों ने ऎसा
कोई प्रावधान नही रखा था इसीलिये वर्ना यह कब का हो चुका होता ।
Jitendra Choubey द्विवेदी जी आप मुझसे कहीं ज्यादा अनुभवी हैं..और
आपकी ये बात भी सत्य है की रिश्ते की शुरुआत दहेज़ की बात से शुरू होती.. लड़की का बाप
कहता है की अच्छा लड़का बताओ १० लाख तक की शादी करेंगे. लेकिन फिर भी दाल पूरी तरह से
काली नहीं हुई.. ह्यूमन ट्रेफिकिंग का मामला बनने में देर लगेगी..और फिर हम उसे कन्यादान
कहना बंद कर देंगे..
दिनेशराय द्विवेदी आशुतोष जी, इसे मेरा कुतर्क ही समझ लीजिए। मैं तो अपनी बेटी
दान नहीं कर सकता। आप शौक से कीजिए। लेकिन फिर उसे दान समझिए भी। उस से कोई रिश्ता
न रखिए। उस की तरफ झाँकिए भी नहीं। आप यह कहना चाहते हैं कि दान को दान नहीं समझा जाए।
दान को दान समझने में कौन सा कुतर्क है?
दिनेशराय द्विवेदी यदि आप की लड़की आप की संपत्ति
नहीं है तो उस का दान आप कैसे कर सकते हैं? आप को क्या अधिकार है उसे दान करने का? यदि अधिकार है तो आप उस के स्वतंत्र अस्तित्व
से इंकार कर रहे हैं।
दिनेशराय द्विवेदी जितेन्द्र जी, मैं जानता हूँ कि यह ह्यूमन ट्रेफिकिंग नहीं
है। उस से भी बुरी चीज है। लेकिन उस बुरी चीज पर हमारा समाज गौरव कर रहा है जिस के
लिए उसे दंडित किया जाना चाहिए, जिस पर उसे शर्मिंदा होना चाहिए। यदि इस अपराध के लिए कोई दंड निर्धारित नहीं है
तो होना चाहिए।
Jitendra Choubey अद्येति.........नामाहं.........नाम्नीम्
इमां कन्यां/भगिनीं सुस्नातां यथाशक्ति अलंकृतां, गन्धादि - अचिर्तां,
वस्रयुगच्छन्नां, प्रजापति दैवत्यां, शतगुणीकृत,
ज्योतिष्टोम-अतिरात्र-शतफल-प्राप्तिकामोऽहं ......... नाम्ने, विष्णुरूपिणे
वराय, भरण-पोषण-आच्छादन-पालनादीनां, स्वकीय उत्तरदायित्व-भारम्, अखिलं
अद्य तव पत्नीत्वेन, तुभ्यं अहं सम्प्रददे । वर उन्हें स्वीकार करते हुए
कहें- ॐ स्वस्ति ।
Ashutosh Acharya दान करने का अर्थ यह नही की उससे मिलना जुलना देखना बात करना मना हो गया ,हाँ यह सही है कि उसको वापस लेना वोह गलत है l दहेजप्रथा तो गलत ही है यह तो पाप भी है और अपराध भी l वैसे दिवेदी जी में आपसे किसी भी प्रकार से तर्कों में नहीं जीत सकता क्यूंकि आप तो संविधान और कानून के महान ज्ञाता है और में एक तुच्छ अल्प ज्ञान रखने वाला .
Jitendra Choubey दिवेदी जी कानून लागू करवा भी देंगे तो भी सालों तक थाने में एक भी रिपोर्ट न होगी क्योकि यहाँ न दान होने वाला शिकायत करेगा न पाने वाला न करने वाला.. इस दान प्रक्रिया में सभी खुश रहते हैं.. लड़की विदा के बाद ८-१० दिन में घर भी आ जाती है.. तीन बार विदाई होती है..
Jitendra Choubey दिवेदी जी कानून लागू करवा भी देंगे तो भी सालों तक थाने में एक भी रिपोर्ट न होगी क्योकि यहाँ न दान होने वाला शिकायत करेगा न पाने वाला न करने वाला.. इस दान प्रक्रिया में सभी खुश रहते हैं.. लड़की विदा के बाद ८-१० दिन में घर भी आ जाती है.. तीन बार विदाई होती है..
Sangita Puri अर्थ
का अनर्थ निकालने वाले किसी भी शब्द का कोई अर्थ निकाल सकते हं ... बोलने
और लिखने से अधिक जरूरी है .. व्यवहार में पविर्तन हो .. नारी को उचित
मान सम्मान मिले ...