@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: इन्सान के पैर

शनिवार, 23 मई 2020

इन्सान के पैर


जिन सड़कों पर हम चले
जिन पर चलते हुए
कुचले गए भारी वाहनों से
उन सड़कों से पहले
कुछ और था वहाँ

गाड़ियों के चलने से बनी गडार
उस से भी पहले
वहाँ थी पगडण्डियाँ
जिन्हें बनाया था
इन्सान के पैरों की छाप ने

तो सड़कें आयीं
बहुत बाद में
वे इन्सान के चलने से
धरती पर पड़े निशानों की
तीसरी पीढ़ी हैं।





1 टिप्पणी:

Rakesh ने कहा…

सार्थक रचना