उधर अन्ना हजारे बारह दिनों से अनशन पर हैं। दिन में अनेक बार चिकित्सक उन की देह परीक्षा करते हैं। छठे सातवें दिन से ही सरकार इस प्रतीक्षा में थी कि चिकित्सक रिपोर्ट करें तो कुछ अन्ना के साथ लगे लोगों का मनोबल टूटे और सरकार अन्ना जी को अस्पताल पहुँचा दे। लेकिन जब जब भी चिकित्सकों ने उन की परीक्षा की तब तब सरकार को निराश होना पड़ा। वजन जरूर कम हो रहा था। लेकिन शरीर सामान्य था। रक्तचाप सामान्य, गुर्दे सामान्य, उन्हें काम करने में कोई परेशानी नहीं आ रही थी। ऊपर से वे बीच बीच में मंच पर आ कर जिस जोश से नारे लगाते थे। अन्ना इस्पात पुरुष साबित हुए। आज भी उन्हें यह कहते सुना गया कि अभी तीन-चार दिन उन्हें कुछ नहीं होगा। लालू यादव उन के 12 दिनों के अनशन पर रिसर्च कराना चाहते हैं कि उन में ऐसा क्या है जो भोजन का एक अंश भी ग्रहण किए बिना भी 12 दिनों तक सामान्य रह सकते हैं? संसद का प्रस्ताव पारित हो जाने के बाद जब अन्ना ने घोषणा की कि यह आधी जीत है तो उस के साथ ही उन्हों ने लालू जी की शंका का समाधान भी कर दिया कि यह ब्रह्मचर्य का प्रताप है, इसे वे समझ सकते हैं जिन्हों ने हमेशा स्त्री को माँ, बहिन व बेटी समझा हो। वे तो कदापि नहीं समझ सकते जो अपनी शक्ति बारह संतानों को जन्म देने में व्यय कर देते हैं।
आधी जीत का जश्न देश भर में आरंभ हो चुका है। नगर में पटाखों की आवाजें गूंज रही हैं। 28 अगस्तजश्न का रविवार होगा। सोमवार को जब सब संस्थान खुलेंगे तो वह दिन एक नया दिन होगा। जिन लोगों ने इस आंदोलन को पूरी ईमानदारी और सच्चाई के साथ जिया है उन के लिए आने वाले दिन आत्मविश्वास के होंगे। वे कोशिश करेंगे तो इस आत्मविश्वास का उपयोग वे अपने आसपास फैली भ्रष्टाचार की गंदगी को साफ करने में कर सकते हैं। जिन लोगों ने सदाचार को अपने जीवन में आरंभ से अपनाया और जमाने की लय में न चल कर अपने आप को अलग रखते हुए छुटका कद जीते रहे, उन का कद लोगों को बढ़ा हुआ दिखाई देने लगेगा। जो लोग गंदगी में सने हुए धन बल के मोटे तले के जूते पहन कर अपना कद बड़ा कर जीते रहे। कल से अपने जूते कहीं छुपाएंगे। धीमे स्वर में यह भी कहेंगे कि यह सब कुछ दिन की बात है राजनीति उन के रास्ते के बिना चल नहीं सकती, नई बिसात पर काले घोड़े फिर से ढाई घर कूदने लगेंगे। ऐसे लोगों से सावधान रहने और उन्हें किनारे लगाने के काम में लोगों को जुटना होगा।
यहाँ कोटा में इंडिया अगेन्स्ट करप्शन की कमान एक नौजवान के हाथों में थी जो कभी गणित का स्कॉलर रहा। एक धनिक परिवार से होते हुए भी अपने मूल्यों से समझौता करना स्वीकार नहीं कर के अपना पारिवारिक कारोबार त्याग कर नौकरी करने चल पड़ा था। परिवार को उस के मूल्य अपनाने पड़े। अप्रेल से आज तक वही नौजवान अपने साथियों के साथ राजनीति की चालों को दरकिनार करते हुए दृढ़ता से आंदोलन का संचालन करता रहा। हमारे जनकवि-गीतकार महेन्द्र 'नेह' ने भी इस आंदोलन में प्रमुख भूमिका अदा की उन के संघर्षों के लंबे अनुभवों का लाभ आंदोलन ने उठाया। एक चिकित्सक 16 अगस्त से ही अनशन पर थे। दो दिन पहले पुलिस मजिस्ट्रेट का आदेश ले कर उन्हें उठाने आई लेकिन उन्हें उन के निश्चय से नहीं डिगा सकी। लेकिन चिकित्सक समुदाय ने उन्हे अगले दिन समुदाय के हितों को ध्यान में रखते हुए अत्यावश्यक चिकित्सा लेने को बाध्य किया। लेकिन आज फिर वे क्रमिक अनशन पर पाण्डाल में उपस्थित थे। महेन्द्र भी आज अनशन पर थे। इस बीच उन के कुछ पुराने गीतों को कार्यकर्ता ले उड़े और उन की हजारों प्रतियाँ बना कर लोगों के बीच वितरित कीं। मैं आज महेन्द्र से मिलने अनशन स्थल पर पहुँचा तो मुझे भी वे गीत छपे पर्चे मिले। उन्हीं में से एक गीत से आप को रूबरू करवा रहा हूँ। यह गीत कोई बारह वर्ष पूर्व लिखा गया था। आज इसे पढ़ कर लगता है कि कवि केवल भूतकाल और वर्तमान की ही पुनर्रचना नहीं करता, वह भविष्यवाणियाँ भी करता है।
सच के ठाठ निराले होंगे
- महेन्द्र 'नेह'
सच के ठाठ निराले होंगे
झूठों के मुहँ काले होंगे!
जाने कब धनिया के घर में
सुचमुच ही उजियाले होंगे!
बूढ़ी अम्मा - दादाजी के
खत्म आँख के जाले होंगे!
आग लगेगी काले धन में
तार-तार घोटाले होंगे!
आने वाले दिन बस्ती में
आफ़त के परकाले होंगे!
सत्ता की संगीनें होंगी
करतब देखे भाले होंगे!
दुबके होंगे कायर घर में
सड़कों पर दिलवाले होंगे!
15 टिप्पणियां:
जाने कब धनिया के घर में
सुचमुच ही उजियाले होंगे!
क्या बात है सर! महेन्द्र जी ने बहुत सच्चा गीत रचा है.
फिलहाल अन्ना की जीत पर बधाई. बाद की बात तो बाद में ही समझ में आयेगी :) अभी तो खुश हो लें.
लालू को जवाब तो मजेदार दिया अन्ना ने। लेकिन धर्मगुरु बन कर। चलिए सुबह का आनन्द उठा लेते हैं।
jaandaar or shandar janakaari ke liyen shukriya bhai jaan .akhtar khan akela kota rajsthan
भारत अपना ऐसा होगा,
सत्य चरम पर बैठा होगा।
सच के ठाठ निराले होंगे
झूठों के मुहँ काले होंगे!
@ झूठों के काले मुंह कैसे होते है ये देश की पूरी जनता ने कल देखा |
कवि की पंक्तियों में भविष्यवाणी सच साबित हुई |
लोग कहते रहे हैं कि मनमोहन जी एक ईमानदार आदमी हैं।
ये कहीं के ईमानदार नहीं हैं।
हमारे प्रधानमंत्री एक कमज़ोर और अक्षम प्रधानमंत्री हैं।
इन्हें सोनिया जी ने इस कुर्सी पर इस लिए बैठा दिया है कि जगह ख़ाली न रहे और जब राहुल जी पूरी फ़ॉर्म में आ जाए तो इन्हें आर्डर देकर हटाया जा सके। कोई लायक़ प्रधानमंत्री होगा तो सीट हमेशा के लिए चली जाएगी ख़ानदान के हाथ से। एक डमी के रोल में हैं पीएम साहब।
जो आदमी पूरे देश के साथ पीएम होने की एक्टिंग कर रहा हो , वह कैसा ईमानदार ?
कांग्रेस ने फिर एक नया खेल खेला है.
जो बाद मे लोगो को समझ मे आ जायेगा.
हम तो तभी जीत समझेँगे जब वाकई ये बिल ज्यो का त्यो पास होगा.
खैर एक बात की खुशी है कि अब न्यूज चैनलो मे कुछ न्यूज देखने को मिलेगी.
आने वाले कल आज से बेहतर होना ही चाहिये
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 29-08-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
गुरुवर जी, आपके लेख से पूर्णत सहमत हूँ. कवि कभी-कभी भविष्यवाणी भी करते हैं. इसलिए कहा भी जाता है कि-जहाँ ना पहुंचे रवि,वहाँ पहुंचे कवि.
सच के ठाठ निराले होंगे
झूठों के मुहँ काले होंगे!
काश यह दिवा स्वप्न बन कर ही न रह जाय !
"सच के ठाठ निराले होंगे
झूठों के मुहँ काले होंगे!
जाने कब धनिया के घर में
सुचमुच ही उजियाले होंगे!"
बहुत प्यारा गीत पढवाया आपने !
यह सपना पूरा हो, यही कामना है ! बढती जन चेतना एक शुभ सन्देश है !
शुभकामनायें ...
जीत की बहुत -बहुत बधाई
निस्सन्देह। सच के ठाठ निराले ही होते हैं।
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