परिणाम अच्छा रहा हो या बुरा,इस दिन को शायद ही कोई भूलता हो। हो सकता है कभी भूल हो भी जाए, लेकिन ब्लागजगत में आने के बाद तो यह कतई संभव नहीं है। यहाँ एक अदद डंडा लिए बी.एस.पाबला जो बैठे हैं। वे अकेले व्यक्ति हैं जो हरदम याद दिलाते रहते हैं कि आज तुम्हारा जन्मदिन है, या फिर विवाह की वर्षगाँठ है, कि किस किस ब्लागर की पोस्ट किस अखबार में प्रकाशित हुई है, किस का चर्चा कहाँ हुआ है? कल शाम मैं एक विवाह समारोह में था कि अचानक जेब से मोबाइल की घंटी की आवाज सुनाई दी। उस वक्त वहाँ कम शोर था या फिर मेरा ध्यान चला ही गया और मैं ने मोबाइल उठा लिया। हालाँकि उस के पहले और बाद में आई कुछ कॉल्स सुनाई न देने के कारण मिस कॉल्स में परिवर्तित हो गई थीं। यह नंबर मेरे फोन रिकॉर्ड में नहीं था, आदतन मैं ने उसे उठा लिया और छूटते ही पूछा -कौन बोल रहे हैं?
मैं (ताजा चित्र) |
वे पाबला जी ही थे और मोबाइल से नहीं बेसिक फोन से संयोजित हुए थे। आदेश मिला चित्र चाहिए। एक तो पिछले साल लगा चुका हूँ, इस बार अलग चाहिए। समारोह में शोर के कारण बात ठीक से नहीं हो पा रही थी। मैं ने उन से चित्र भेजने का वादा किया और फोन काट दिया। घर पहुँच कर पहले कंप्यूटर पर चैक किया। मुझे उचित चित्र ही नहीं मिल रहे थे। आखिर मैं ने कुल चार चित्र छाँटे, उन्हें मेल किया और सोने चला गया। रोज की तरह सुबह तैयार हो कर अदालत चला गया। वहाँ से लौटा तो तीन बज चुके थे। आज तीसरा खंबा की पोस्ट नहीं गई थी। मुझे कुछ अपराध बोध सा हुआ। तीसरा खंबा की पोस्ट का पाठक बेजारी से प्रतीक्षा करते हैं। खास तौर पर वे जो तीसरा खंबा को अपनी कानूनी समस्याएँ प्रेषित करते हैं, सलाह के लिए जवाबी पोस्ट की प्रतीक्षा करते हैं। मैं ने अधूरी पड़ी पोस्ट को पूरा कर पोस्ट किया। कुछ समय अवश्य लगा। आखिर हर पोस्ट के लिए कुछ न कुछ पढ़ना और कानून की किताबों से टीपना तो पड़ता ही है।
शोभा (ताजा चित्र) |
ये 17-18-19 मई के दिन-रात मैं कभी नहीं भूलता। क्या बेकरारी थी? मैं ने अपनी होने वाली जीवन साथी को देखा तक नहीं था, मिलने और बात करने की बात तो बहुत दूर की थी। चिट्ठी-पत्री का भी कोई सवाल न था। यहाँ तक कि सगाई डेढ़ वर्ष पहले हो गई थी। तभी से होने वाली ससुराल की दिशा में जाने पर परिवार ने स्थगन लगा दिया था। उस जमाने में हिम्मत कहाँ थी जो चोरी-छिपे भी उस का उल्लंघन करने की सोच पाते। हर साल गर्मी की छुट्टियों में मामाजी के यहाँ जाता था। रास्ता होने वाली ससुराल के नगर से गुजरता था। नतीजा, मामा के यहाँ जाना भी बन्द। अपनी जीवन साथी के बारे में जितना कुछ अन्य लोगों से सुना था। उसी के आधार पर उस का एक काल्पनिक चित्र मस्तिष्क में कहीं बन गया था। वही काल्पनिक चित्र उन दिनों रूमानियत का केंद्र था। उन दिनों रूमानियत के कुछ बिन्दु और भी थे। लेकिन अभी वे नैपथ्य में चले गए थे। 17 मई का दिन विवाह के पूर्व भोज का दिन था। वह भीड़-भाड़ और कुछ अनोखी घटनाओं में गुजरा। आधी रात को बारात रवाना हुई वह भी घटनापूर्ण रही। 18 मई की सुबह हम अपनी होने वाली ससुराल के नगर में थे। दिन भर विभिन्न वैवाहिक संदर्भों ने निपटा दिया। शाम को मैं घोड़ी पर था। कुल साढ़े पाँच घंटे घोड़ी पर बैठना किसी तपस्या से कम न था। इस के बाद भी जलूस ससुराल के दरवाजे से अपना स्वागत करवा कर लौट आया था। मुहूर्त लग्न रात के दो बजे जो था।
बीस साल पहले विवाह की वर्षगाँठ |
रात को एक बजे फिर से घोड़ी पर जलूस निकला। इस बार तोरण भी मारा और हाथ भी बंधवाया। चतुष्पदी संपन्न होते-होते रात्रि अंतिम प्रहर में प्रवेश कर गई। दुल्हन को ले कर वापस जनवासे पहुँचे। कुछ देर में दुल्हन वस्त्र बदल कर फिर से अपने मायके लौट चली। मैं अब अपने ससुराल का कुँअर था। सुबह कुँअर कलेवा का बुलावा आया। दोस्तों के साथ हम पहुँचे। कुछ शेष कार्यक्रम और निपटाए गए, दोपहर होने के पहले बारात विदा हो ली। शाम के पहले बारात मेरे नगर पहुँच ली। तब तक मैं ने अपनी जीवन साथी का चेहरा तक न देखा था। उस घटना को छत्तीस वर्ष होने में कुछ ही घंटे शेष हैं। पर लगता है यह कल की ही बात है।
जीवन संगिनी शोभा ने आज का दिन गेहूँ साफ करने में लगाया। शाम के भोजन की कोई तैयारी नहीं थी। मैं ने पूछा -आज शाम के भोजन का क्या करना है?
जवाब में प्रश्न मिला -आज भी कहीं न्यौता जीमने जाना है क्या?
-चले चलेंगे।
- कहाँ? आज का तो कहीं का न्यौता भी नहीं है।
बीस साल पहले विवाह की वर्षगाँठ |
-इतने रेस्टोरेंट जो हैं, शहर में। वे तैयार हो गईं। अब बारी थी रेस्टोरेंट चुनने की। मैं ने सब से दूरी (पाँच किलोमीटर) का रेस्टोरेंट बताया। उन्होंने दो किलोमीटर के अंदर ही चुनाव कर लिया। मैं ने कहा सुझाया मित्र जोड़े को साथ ले चलते हैं, पर किस को? बहुत से विकल्पों पर विचार हुआ। लेकिन प्रस्ताव अंत में गिर गया। रात नौ बजे हम दोनों घर से निकले। दिन भर बहुत गर्मी थी, लेकिन शाम को कुछ बारिश हुई थी और हवा चल रही थी। मौसम सुहाना हो चला था। हमने भोजन किया, मैं ने मीठे के लिए आग्रह किया तो उत्तर मिला बाहर निकल कर आइस्क्रीम खाएंगे। बिल आया मात्र 196 रुपए का। दस रुपए टिप में छोड़े, कुल हुए 206 रुपए। बाहर निकल कर पास ही एक वकील साहब के बेटे के पार्लर पहुँचे और एक एक कप केसर-पिस्ता आइस्क्रीम गटकी। यहाँ चुकाए मात्र 40 रुपए। पान की दुकान पर पहुँचे, 30 रुपए वहाँ खर्च किए। फिर याद आई बर्फ के गोलों की। चौपाटी पर जा कर उन का भी आनन्द लिया, चुकाए सिर्फ 16 रुपए। फिर वापस घर लौट आए। मैं ने हिसाब लगाया तो 18 रुपए का कार में जला पट्रोल भी जोड़ा। अधिक नहीं केवल 310 रुपए खर्च हुए। यह कुछ अधिक सस्ता भी नहीं। पिताजी खर्च का हिसाब लिखते थे। उन्हों ने डायरी में मेरी शादी का कुल खर्च बारह हजार कुछ सौ रुपए लिखा है।
यह हमारे विवाह की छत्तीसवीं वर्ष गाँठ थी। यूँ तो जगत में ३६ का आँकड़ा बहुत बदनाम है। लेकिन आज का दिन अच्छा गुजरा। हम दोनों में आँकड़ा ३६ न हुआ। वैसे इस साल में इसे हमने खूब झेला है। कुछ झगड़ा, कुछ रूठना, कुछ मनाना सब चलता रहा। लेकिन इस आखिरी दिन मामूली प्यार भरी छींटाकशी से अधिक कुछ न हुआ। हम ने भी चैन की साँस ली। ३६वाँ साल पूरा होने को है। सुबह होने के पहले सैंतीसवाँ आरम्भ हो लेगा। आखिरी दिन भी अच्छा गुजरा। खर्चा भी अधिक न हुआ सिर्फ 310 रुपए में काम चल गया। आशा की जा सकती है कि हमारे आने वाले दिन अच्छे ही होंगे। ३६ का आंकड़ा गुजर जो गया है। फिर आप सब की दुआएँ जो हमारे साथ हैं। कुछ और जानना चाहेँ तो यहाँ मेरी सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली पोस्टों में से एक उन्नीस मई का दिन, शादी के बाद की पहली रात पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
पाबला जी ने आज ही हमारी शादी की वर्षगाँठ मनवा दी। वैसे हमारी शादी हुई 19 मई में थी, और वह पूरा दिन गुजर जाने के बाद रात को ही अपनी पत्नी की शक्ल पहली बार देख पाया था। आप चाहें तो 19 तारीख में भी बधाई/शुभकामनाएँ भेज सकते हैं। हम बेकरारी से इंतजार करेंगे।
33 टिप्पणियां:
पाबला जी के उसूल फौजियों वाले हैं...सेरेमनी में कहीं कोई कमी न रह जाए इसलिए एक दिन पहले ही अलर्ट...
आपको और भाभी जी को छत्तीसवीं वर्षगांठ की बहुत-बहुत बधाई...
जय हिंद...
आपको पढ़ते हुए सब कुछ सजीव चित्र सा आँखों के सामने घूमने लगता है ... आधी रात के बाद अपने देश में 19 मई हो गई है.....आपको और शोभाजी को शादी की सालगिरह की बहुत बहुत बधाई....
एक गाना याद आ रहा है,
मुझे तुम जो मिल गये हो... ये जहाँ मिल गया
और आप हैं कि आठ रुपये प्रतिवर्ष की दर पर 310 रुपये में 36 वाँ वर्षगाँठ मना आये ।
आदर्श मितव्ययी जोड़ा ... ब्याह की सालगिरह की लेयो हमारे दिल से निकली बधाई,
अब जरा दरियादिली से झटपट इधर भेजो घेवर और मिठाई
एक गाना याद आ रहा है,
मुझे तुम जो मिल गये हो... ये जहाँ मिल गया
और आप हैं कि आठ रुपये छियासठ पैसे प्रतिवर्ष की दर पर 310 रुपये में 36 वाँ वर्षगाँठ मना आये । आदर्श मितव्ययी जोड़ा ...
ब्याह की सालगिरह की लेयो हमारे दिल से निकली बधाई,
अब जरा दरियादिली से झटपट इधर भेजो घेवर और मिठाई
:)
शुभकामनायें!
३६ का आंकड़ा पार करने के अवसर पर ढेरों हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ :)
Dheron mangalkamnaayein.
छत्तीसवीं वैवाहिक वर्षगांठ की बहुत-बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनायें...
ए लो...एक पाल्टी और ड्यू भई!!!
शुभकामनायें, कैसेट और टेपरिकोर्डर फोटो की उम्र बता रहे हैं :)
बधाई और शुभकामनाएं !!!!
दिल्ली में होते तो बताते कि कैसे तीन सौ दस में निपट लिए आप और सालगिरह भी निपटा ली । हां बधाई डबल दे रहे हैं ....बस समझ जाइए न ..पालटी भी डबल ही लेंगे । बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं आपको सर
मुबारक हो! जोड़ी सलामत रहे। :)
कोई उपहार वगैरह नहीं दिया क्या? मात्र 310 रूपए में निपट गए वाह! आपको वकील की जगह सीए होना चाहिए था जो एक-एक पाई का हिसाब लगा रहे हैं, हा हा हाहा।
३६ का आंकड़ा पार करने के अवसर पर ढेरों हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ :)3A$
gh-+
बहुत बहुत बधाई हो
कुशल चितेरे सी शैली में इस उत्सव का बयान (36 का आँकड़ा पार करने का) भा गया.
शादी की छत्तीसवीं वर्षगांठ की बहुत-बहुत बधाई...
बहुत बहुत बधाई हो आपको इस अवसर पर।
Respected Pabla Ji Shadi ki chhattisvi barsh gaath ki bahut- bahut badhaiya.
sir bahut bahut shubhkaamanaa aur badhayi
माननीय गुरुवर जी, देखिये आपका कैसा अजीब-सा शिष्य है, जिससे आपकी वैवाहिक वर्षगाँठ भी जानकारी नहीं है. अपनी उलझनों में उलझा हुआ रहा और आपकी सलाह से उनको सुलझाता रहा मगर आपकी ख़ुशी में शामिल अब तक नहीं हुआ. देरी के लिए क्षमा करें.आज 18/5/1975 सिरफिरा ने अपने "फिरे" हुए दिमाग में स्टोर कर ली आपकी ख़ुशी का दिन.गुरुवर और गुरुयाणी को शादी की 36 वीं वर्षगाँठ मुबारक हो. भगवान् महावीर से दुआ है यह जोड़ी हमेशा साथ रहे.जीवन के किसी मोड़ पर कभी भी जुदा न हो.छत्तीसवीं वैवाहिक वर्षगांठ की बहुत-बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनायें
आपको और भाभी जी को छत्तीसवीं वर्षगांठ की बहुत-बहुत बधाई...आजकल दायें हाथ से लिख नही पा रही सही होते ही आती हून बायेम हाथ से अच्छी तरह लिख नही जाता ,शुभकामनाये.
बहुत-बहुत शुभकामनाएं गुरूजी...
आपको और भाभी जी को छत्तीसवीं वर्षगांठ की बहुत-बहुत बधाई...
बहुत बहुत बधाई जी! 36सवीं वर्षगांठ माने 36 तो निपट गये। अब तो उत्तरोत्तर और स्नेह बढ़ना-बढ़ते जाना है!
इकसठवी मनाइयेगा, तो और भी फोटो लगाइयेगा!
पुन: बधाई!
फोटो आपका गज़ब का है भाई जी ! आप दोनों को हार्दिक शुभकामनायें !
dadda balak in baton se thora sakuchata/sarmata hai.....lekin apne
jitni atmiyata se apne bhaw samprekshit kiye.....hum aap done ko
anuj ke nate....ilu-ilu karte hain...
pranam.
वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाएँ...
उम्मीद करें कि 72वीं सालगिरह की भी ऐसे ही मधुर घटनाक्रमों से जुडी पोस्ट आपके सभी चाहने वाले पाठक पढ सकेंगे ।
विवाह के छत्तीस सुखमय वसंत -कितने भाग्यशाली हैं आप !
Ek Bar Pumah Badhayi.
............
खुशहाली का विज्ञान!
ब्लॉगिंग का मनी सूत्र!
पाबला जी तो ब्लाग जगत के चित्रगुप्त हैं :)
शुभकामनाएं तो वहां दे ही चुके हैं, यहां भी दे देते हैं कि जोडी सदा हंसते-खेलते रहें, ठीक उसी तरह जिस तरह चित्रों में दिख रहे हैं॥
36 वैवाहिक वर्षगांठ की बधाई |
३६ वैवाहिक वर्षगांठ की बहुत-बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनायें
शुभकामनाएं :-)
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