@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: ‘एक चिड़िया के हाथों कत्ल हुआ, बाज से तंग आ गई होगी’

मंगलवार, 27 जुलाई 2010

‘एक चिड़िया के हाथों कत्ल हुआ, बाज से तंग आ गई होगी’

ज सुबह 7.07 बजे सावन का महिना आरंभ हो गया। सुबह सुबह इतनी उमस थी कि जैसे ही कूलर की हवा छोड़ी कि पसीने में नहा गए। लगा आज तो बारिश हो कर रहेगी। इंटरनेट पर मौसम का हाल जाना तो पता लगा 11 बजे बाद कभी भी बारिश हो सकती है। तभी बाहर बूंदाबांदी आरंभ हो गई। धीरे-धीरे बढ़ती गई। फिर कुछ देर बंद हुई तो मैं तैयार हो कर अदालत पहुँचा। बरसात एक अदालत से दूसरी में जाने में बाधा बन रही थी। लेकिन बहुत लंबी प्रतीक्षा के बाद आई इस बरसात में भीगने से किसे परहेज था। भीगते हुए ही मैं चला अपने ठिकाने से अदालत को। चमड़े के नए जूतों के भीगने की परवाह किए बिना पानी को किसी तरह लांघते गंतव्य पर पहुँचा। आज अधिकतर काम एक ही अदालत में थे। दोपहर के अवकाश तक लगभग सभी कामों से निवृत्त हो लिया। हर कोई सारी पीड़ाएँ भूल खुश था कि बरसात हुई। गर्मी कुछ तो कम होगी। कूलरों से मुक्ति मिलेगी। चाय-पीने को बैठे तो बरसात तेज हो गई। पुलिस अधीक्षक के दफ्तर के बाहर पानी भर गया। हमने एक तस्वीर ले ली।   
ज पहली बरसात हुई है। कल गुरु-पूर्णिमा पर परंपरागत रीति से वायु परीक्षण किया गया। नतीजा अखबारों में था कि अगले चार माह बरसात होती रहेगी। बरसात के चार माह बहुत होते हैं। इस पूर्वानुमान के सही निकलने पर हो सकता था कि बहुतों को बहुत हानि हो सकती थी। पर फिर भी हर कोई यह चाह रहा था कि यह सही निकले। कम से कम पानी की कमी तो पूरी हो। प्यासे की जब तक प्यास नहीं बुझती, वह पानी के भयावह परिणामों को नहीं देखता।  शाम को बरसात रुकी, लोग बाहर निकले। यह सुखद था, लेकिन लोग इस सुख को नहीं चाहते थे। उन का मन तो अभी भी सूखा था। इस बार शायद जब तक उस से आजिज न आ जाएँ तब तक उसे भीगना भी नहीं है। मैं ने अभी शाम को फिर मौसम की तस्वीर देखी। बादल अभी आस पास हैं। यदि उत्तर पश्चिम की हवा चल निकली तो रात को या सुबह तक फिर घनी बरसात हो सकती है। चित्र में गुलाबी रंग के बादल सब से घने, सुर्ख उस से कम, पीले उस से कम और नीले उस से भी कम घने हैं। उस से कम वाला सलेटी रंग तो दिखाई नहीं पड़ रहा है। मैं भी चाहता हूँ कि कम से कम यह सप्ताह जो बरसात से आरंभ हुआ है। बरसातमय ही रहे।
ल महेन्द्र नेह के चूरू में हुए कार्यक्रम की रिपोर्ट में जर्मनी में रह रहे राज भाटिया जी की टिप्पणी थी .....

महेन्द्र नेह जी से एक बार मिलने का दिल है, बहुत कवितायें पढी आप के जरिये, और आज का लेख और जानकारी पढ कर बहुत अच्छा लगा, कभी समय मिले तो यह गजल जरुर अपने किसी लेख में लिखॆ....
‘एक चिड़िया के हाथों कत्ल हुआ, बाज से तंग आ गई होगी’ जिस गजल की पहली लाईन इतनी सुंदर है वो गजल कैसी होगी!!!
धन्यवाद आप का ओर महेंद्र जी का.....

तो भाटिया जी, इंतजार किस बात का? महेन्द्र जी ने आप की फरमाइश पर यह ग़ज़ल मुझे फोन पर ही सुना डाली। वैसे यह ग़ज़ल का पहला नहीं आखिरी शेर था। आप भी इसे पढ़िए ......

एक चिड़िया के हाथों कत्ल हुआ
  • महेन्द्र 'नेह' 

जान मुश्किल में आ गई होगी
एक दहशत सी छा गई होगी

भेड़ियों की जमात जंगल से
घुस के बस्ती में आ गई होगी

सुर्ख फूलों को रोंदने की खबर
कोई तितली सुना गई होगी

उन की आँखों से टपकती नफरत
हम को भी कुछ सिखा गई होगी

एक चिड़िया के हाथों कत्ल हुआ
बाज से तंग आ गई होगी
राज भाटिया जी! 
अगली भारत यात्रा में कोटा आने का तय कर लीजिए। महेन्द्र नेह के साथ-साथ शिवराम, पुरुषोत्तम 'यकीन' और भी न जाने कितने नगीनों से आप की भेंट करवाएंगे।

12 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बढ़िया है..बरसातमय रहिये..गर्मी को विदा दिजिये.

गज़ल बहुत बेहतरीन लगी.

Sanjeet Tripathi ने कहा…

are baarish ka puchhiye na raipur me, shaniwar sham se aisi chali ki raviwar subah aur sham tak shahar ki kai bastiyon ki halat bahut hi kharab ho gai thi. kai jagaho me bhara paani to aaj monday shaam tak nahi utraa thaa ki fir shaam se jhadi lag gai....

are han, aap kah rahe hain ki 7.07 बजे सावन का महिना आरंभ हो गया aur apne yaha pandit kah rahe the ki sham se lagaa sawan isliye aaj k somwar ko sawan somwar nahi man na chahiye, kitne loche hain na pandito ke chakkar me, bataiye bhalaa. aadha shahar to pahla sawan somwar manaa liya, aadha agle somwar se manayega..... ye bhi koi baat hui..

ghughutibasuti ने कहा…

मजबूरी कुछ भी करवा सकती है।
घुघूती बासूती

Arvind Mishra ने कहा…

बरसात मुबारक .गजल /गीत जबर्दस्त है !

विष्णु बैरागी ने कहा…

बरसात ने इधर भी ऐसी ही कृपा की है। इधर भी चाहत आप जैसी ही है - एक सप्‍ताह तो बरसता ही रहे।
आमीन।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सावनीय शुभकामनायें। महेन्द्र जी की कविता बड़ी सुन्दर लगी।

The Straight path ने कहा…

कविता बढ़िया है!
शुभकामनायें।

उम्मतें ने कहा…

अच्छी बरसात के लिए शुभकामनायें !

गज़ल पसंद आई !

बेनामी ने कहा…

अच्छी बरसात के लिए शुभकामनायें !

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

jnaab aapne to chidiyaa ke haathon qt krvaa kr bhut dhi baat kh daali aapke is andaaz pr to hm mr mite hen . akhtar khan akela kota rajsthan

Smart Indian ने कहा…

सवा लाख ते एक लड़ाऊँ,
चिडियन ते मैं बाज़ तुडाउँ
तब गोबिंद सिंह नाम कहाऊं

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर पोस्ट, बहुत ही सुंदर लगी यह कविता, आप ने हमारी पसंद की कविता लगाई तो झट से बरसात शुरु, आप का ओर नेह साहब का धन्यवाद, तबीयत खारब होने के कारण मै समय पर इस पर टिपण्णी ना दे सका, वेसे अभी तक बिलकुल ठीक भी नही हुआ, माफ़ी चाहुंगा देरी से आप को ओर नेंह साहब को धन्यवाद दे रहा हुं.
धन्यवाद