हिन्दी नाटक के क्षेत्र में शिवराम जाने माने नाटककार हैं। उन्हों ने नाटक केवल लिखे नहीं है, उन्हें खेला है और जनता के बीच जा कर खेला है। यह कहा जा सकता है कि उन्हों ने नाटकों को खेलने के लिए ही लिखा है। उन के नाटक केवल रंगमंच के नाटक नहीं हैं। वे जनता के नाटक हैं। जनता उन के नाटकों को देखती है और उन पर प्रतिक्रिया भी करती है। उन के नाटकों की चेतना जनता को अन्याय और शोषण के विरुद्ध संगठित होने और संघर्ष करने की प्रेऱणा देती है। जब उन्हों ने पहले पहल नाटक खेले और खान मजदूर उन के पास आ गए कि नाटक बता कर संगठित होने का संदेशा तो दे दिया लेकिन अब हमें संगठित होने का तरीका भी बताइए। खैर उस वक्त तो उन्हों ने मजदूरों को पास के नगर के ट्रेड यूनियन नेताओं के हवाले कर दिया। लेकिन जल्दी ही उन के अपने विभाग के कर्मचारियों ने उन्हें पकड़ा तो विभाग से सेवा निवृत्ति के बाद भी उन से पीछा नहीं छूटा है।
शिवराम की छह पुस्तकें पहले आ चुकी हैं। जिन में जनता पागल हो गई है, घुसपैठिए, दुलारी की माँ, एक गाँव की कहानी, राधेया की कहानी नाटकों की पुस्तकें हैं तथा सूली ऊपर सेज सेज पर विवेचनात्मक पुस्तक है। पिछले ही महीने उन के नाटक जनता पागल हो गई है के हाड़ौती अनुवाद जनता बावळी होगी का लोकार्पण हुआ है। जनता पागल हो गई है उन का वह नाटक है जिस ने उन्हें न केवल हिन्दी प्रदेशों में अपितु संपूर्ण भारत और विदेशों तक में पहुँचाया। इस नाटक को लगभग सभी भारतीय भाषाओं में खेला जा चुका है। राज की बात यह कि इस बन्दे ने भी उस नाटक में एक खासमखास भूमिका अनेक बार अदा की है।
अब इस बार उन के नाटकों की दो पुस्तकें पुनर्नव और गटक चूरमा बोधि प्रकाशन ने एक साथ प्रकाशित की हैं। 20 सितम्बर को अभिव्यक्ति नाट्य़ मंच और 'विकल्प' जन सांस्कृतिक मंच कोटा ने इन दोनों पुस्तकों का लोकार्पण समारोह आयोजित किया है। पुनर्नव में तीन जनप्रिय कहानियों के नाट्य रूपांतरण हैं। जिन में मुंशी प्रेमचंद की ठाकुर का कुआँ, सत्याग्रह और ऐसा क्यूँ हुआ हैं, तो रिज़वान जहीर उस्मान की खोजा नसरूद्दीन बनारस में और नीरज सिंह की क्यो? उर्फ वक्त की पुकार शामिल हैं। दूसरी पुस्तक में उन के चार मौलिक नाटक गटक चूरमा, बोलो- हल्ला बोलो!, ढम, ढमा-ढम-ढम और हम लड़कियाँ शामिल हैं।
लोकार्पण समारोह में 'विकल्प' के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बी.आर.ए. विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर बिहार के विभागाध्यक्ष डॉ. रविन्द्र कुमार 'रवि' मुख्य अतिथि हैं एल.एस. कॉलेज मुजफ्फरपुर बिहार की डॉ. मंजरी वर्मा विशिष्ट अतिथि हैं, अतुल चतुर्वेदी मुख्य वक्तव्य देंगे. समारोह की अध्यक्षता डॉ. नरेन्द्र नाथ चतुर्वेदी और संचालन महेंन्द्र नेह करेंगें। इस समारोह में समकालीन परिस्थितियों और नाटकों पर अच्छा विमर्श होने की संभावना है।
लोकार्पण समारोह की रिपोर्ट और दोनो पुस्तकों का परिचय अनवरत आप को पहुँचाएगा।
11 टिप्पणियां:
आप ने बहुत सुंदर जानकारी दी, जब भी कभी आये तो शिवराम जी की पुस्तके जरुर खरीदेगे.
आप का धन्यवाद
शिवरामजी को खूब खूब बधाइयां। ऊनकी सृजन-ऊर्जा ईर्ष्या जगाती है। जनता पागल हो गई है की मैने खूब चर्चा सुनी है। मंचन कभी देख न पाने का अफ़सोस है। गटक-चूरमा नाम ने लुभाया...
इस जानकारी का आभार।
द्विवेदी जी इस सूचना के लिये धन्यवाद ,शिवराम जी को बहुत बहुत बधाई । जनता पागल हो गई है तो उनका चर्चित नाटक है । पुस्तको के प्रकाशन ,मूल्य आदि की जानकारी भी दीजियेगा ताकि उन्हे मंगा सकें हमारे यहाँ की रंग संस्थाओं को इनकी सख्त ज़रूरत है ।
आपसे रंगमंच से जुड़े साहित्य व कला कर्म की बढिया जानकारी मिली
" गटक चूरमा " नाम बेहद मन भावन लगा -- आगे भी इंतज़ार रहेगा
शारदीय नवरात्र कीआपके समस्त परिवार को शुभकामनाएं
माँ अम्बिका कृपा करें
- लावण्या
शिवराम जी की इन उल्लेखनीय पुस्तकों का उल्लेख जरूरी था । हमें ्प्रतीक्षा रहेगी पुस्तकों के परिचय व उनके लोकार्पण की । आभार ।
शिवराम जी की पुनर्नव और गटक चूरमा की जानकारी
का आभार।
एक उम्मीद रहेगी कि शिवराम जी की किताब कभी हासिल हो पाये.
शिवराम जी से भोपाल में युवा संवाद के सेमीनार में हुई मुलाकात और और बात अब तक जेहन में है.
उन्हें हमारा सलाम तथा शुभकामनाएं दें.
मुझे शिवराम जी का परिचय आज ही मिला। नाटक लिखना और उसे मंचित करना बहुत बड़ा काम है। दर्शकों की कमी से जूझते थियेटर इस विशिष्ट कला के समक्ष कठिनाई पैदा कर रहे हैं।
अब आपका भी निमंत्रण मिल गया है...
तो पहुंचते हैं और मिलते है इस कार्यक्रम में...
nice
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