कल महेन्द्र 'नेह' आए थे। मैं ने उन से पूछा कुछ है नए साल के लिए तो उन्हों ने एक बहुत ही सुंदर कविता भेज दी है। इस कविता के रसास्वादन के साथ नए वर्ष का स्वागत कीजिए.....
कल
- महेन्द्र 'नेह'
कल,
भिनसारे में उठ कर
चिड़ियाओं की चहचहाहट सुनूंगा
उदास कलियों के खिलने की
संभावनाएँ तलाशूंगा
लम्बी छलांग लगाऊंगा और
जी भर कर तैरूंगा नदी में
तपती दोपहर में
रेत के धोरों पर चढ़ कर
बादल राग गाऊंगा।
कल,
चांदनी के अप्रतिम सौन्दर्य
के अन्दर छुपी उदासी और
बेबसी का सबब
जानने की कोशिश करूंगा
और उस की खिलखिलाहट के
जादू में डूब कर
जिन्दगी के नए नग्मे लिखूंगा।
कल,
सितार पर नई धुन बजाऊंगा।
अपने भूले बिसरे दोस्तों को
नींद से जगाऊंगा
और उन के साथ चुहल करते हुए
कहकहे लगाऊंगा।
कल,
मोहल्ले के सारे बच्चों को
सीटियाँ बजा कर
इकट्ठा करूंगा
उन के साथ शहर की गलियों में
खूब दौड़ लगाऊंगा
और आसमान को
सर पर उठाऊंगा।
कल,
अपनी तमाम पीड़ाओं के साथ
महारास रचाऊंगा
और अपने दुखड़ों की
बाहों में बाहें डाल कर
दीपक नृत्य करूंगा।
कल पत्नी के जूड़े में
फूल सजाऊंगा
और बच्चों के साथ
सच्चे दोस्तों की तरह
एक नए उल्लास के साथ
बतियाऊंगा।
कल अपनी बहन के सारे आँसू
पी जाऊंगा
उस के होठों से रूठी हुई
मुस्कान वापस लाऊंगा
पिता जी के
एनक की धूल
साफ कर के
अपनी आंखों पर लगाऊंगा
और माँ की गोद में
अपना सिर रख कर
गहरी
बहुत गहरी
नींद में सो जाऊंगा।
* * * * * * *
सभी को नव वर्ष की बहुत बहुत शुभ कामनाएँ !
15 टिप्पणियां:
अद्भुत कविता...वाह..
आप को भी नव वर्ष की शुभ कामनाएं
नीरज
नया साल आए बन के उजाला
खुल जाए आपकी किस्मत का ताला|
चाँद तारे भी आप पर ही रौशनी डाले
हमेशा आप पे रहे मेहरबान उपरवाला ||
नूतन वर्ष मंगलमय हो |
आपकी समस्त इच्छाएं पूर्ण हो। नववर्ष की शुभकामनाएं॥
बहुत लाजवाब कवीता ! आपको और नेह जी को नये साल की घणी रामराम !
नव वर्ष की आप और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं !!!नया साल आप सब के जीवन मै खुब खुशियां ले कर आये,ओर पुरे विश्चव मै शातिं ले कर आये.
धन्यवाद
बहुत सुंदर कविता. आपके साथ नेह जी को भी नव-वर्ष की शुभकामनाएं!
नव वर्ष २००९ आपको मंगलमय हो आपका साहित्य सृजन खूब पल्लिवित हो
शुभ कामनाएं
प्रदीप मनोरिया
09425132060
बहुत सुन्दर कविता नेह जी की। और काश जो कुछ कविता में है, वह मैं कर पाता - चैन और इत्मीनान से!
बहुत सुन्दर और निराली कविता !
नववर्ष की शुभकामनाएँ ।
घुघूती बासूती
नववर्ष की हार्दिक शुभकामना और बधाई . आपका जीवन सुख सम्रद्धि वैभव से परिपूर्ण रहे . उज्जवल भविष्य की कमाना के साथ.
महेंद्र मिश्रा
जबलपुर.
बहुत सुंदर कविता...आभार
आपको और सभी परिजनों को नववर्ष की अनंत मंगलकामनाएं
"कल,
अपनी तमाम पीड़ाओं के साथ
महारास रचाऊंगा
और अपने दुखड़ों की
बाहों में बाहें डाल कर
दीपक नृत्य करूंगा।"
बहुआयामी भाव-चित्र खींचती है यह कविता पहली ही दृष्टि में. पीड़ा का आनन्द ही महारास का सबब है, सच ही है.
कविता के लिये धन्यवाद, व नव-वर्ष की शुभकामनायें.
यह कविता पढकर नेहजी से मिलने की इच्छा होने लगी । कोई निश्छल मन ही यह सब कह सकता है।
यह कविता पढकर नेहजी से मिलने की इच्छा होने लगी । कोई निश्छल मन ही यह सब कह सकता है।
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